हाईकोर्ट ने कहा-नेताओं के दबाव में ब्यूरोक्रेट्स काम करना खेदजनक:विशेष सचिव ने स्वामी प्रसाद मौर्य के लेटर पर प्रिंसिपल की नियुक्त रद्द की थी; कोर्ट ने बहाल की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंत्री और विधायक के दबाव में आकर अफसरों के काम करने पर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि यूपी के जनप्रतिनिधि सरकारी अफसरों को अवैध आदेश देने के लिए मजबूर करते हैं, ये खेदजनक है। उससे भी ज्यादा बड़ी बात ये है कि सरकारी अफसर भी बिना किसी आपत्ति के जनप्रतिनिधियों के गलत आदेशों का पालन करते हैं।
ये टिप्पणी जस्टिस सिद्धार्थ ने बस्ती के मदरसा दारुल उलूम अहले सुन्नत बदरुल उलूम में बतौर प्रधानाचार्य काम कर रहे बशरत उल्लाह की याचिका को स्वीकार करते हुए की है। याचिका में बताया गया कि वर्ष 2019 में मदरसे में प्रधानाचार्य नियुक्त किया गया था। उसने नियुक्ति से पहले गोंडा के दारुल उलूम अहले सुन्नत मदरसे में सहायक अध्यापक के तौर पर 5 वर्ष टीचिंग भी की थी। जिसके अनुभव के आधार पर उसे प्रधानाचार्य बनाया गया। वर्ष 2020 में की गई एक शिकायत के आधार पर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने उसके अनुभव प्रमाण पत्र की जांच भी की गई थी। जिसमें उसे क्लीन चिट दे दी गई थी। उसके बाद तत्कालीन विधायक संजय प्रताप जायसवाल और तत्कालीन श्रम एवं रोजगार मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने शासन के विशेष सचिव से उनके नियुक्ति के अनुमोदन को रद्द कराया था।
पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया
उनके वकील ने कहा कि अनुमोदन रद्द करने से पहले उनको अपनी बात रखने का मौका तक नहीं दिया गया। वहीं, राज्य द्वारा दाखिल प्रति शपथ पत्र में कहा गया कि विधायक संजय प्रताप जायसवाल और मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के पत्र के बाद हज समिति के सचिव ने पोस्टिंग की जांच की थी। जांच में ये पोस्टिंग सहीं नहीं पाई गई।
नेता अफसरों को अवैध आदेश देने पर मजबूर करते हैं
कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि विशेष सचिव ने मंत्री और विधायक के लेटर के बाद ही प्रकरण का संज्ञान लिया था। हज समिति के सचिव की एकपक्षीय जांच के आधार पर याची की नियुक्ति के अनुमोदन को रद्द कर दिया गया है। विशेष सचिव ने आदेश को राज्य सरकार को भी नहीं भेजा गया है।
सेवा समाप्ति अवधि का वेतन भुगतान करने का आदेश
न्यायालय ने विभाग से जारी याची के अनुमोदन निरस्तीकरण आदेश को रद्द करते हुए उसे बहाल करने का आदेश दिया। कोर्ट ने राज्य सरकार को अगले 6 सप्ताह में सेवा समाप्ति अवधि का वेतन भुगतान करने का आदेश दिया है। ये भुगतान नहीं होने पर 9% ब्याज के साथ भुगतान करने का आदेश दिया है ।
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