ट्रांसफर-पोस्टिंग पर यूपी सरकार सख्त:ट्रांसफर के बाद एक हफ्ते में जॉइन नहीं किया तो होगी छुट्टी, बेहतरीन काम पर मिलेगी मनचाही पोस्टिंग
यूपी में ट्रांसफर के बाद अधिकारियों और कर्मचारियों को तय समय सीमा में कार्यभार संभालना ही होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो विभागीय कार्रवाई होगी। तबादला नीति के मुताबिक उसे कार्यमुक्त कर दिया जाएगा। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की ओर से नई तबादला नीति को लेकर 17 सूत्रीय गाइड लाइन जारी की गई है। इसमें कहा गया कि तबादला होने के बाद अगर कोई अधिकारी, कर्मचारी को कार्यमुक्त नहीं करता है, तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। तबादला होने के एक सप्ताह के अंदर नया काम शुरू करना होगा।
जिले में 3 और मंडल में 7 साल करनी होगी नौकरी
तबादले में ग्रुप ए और बी में उनको पहले प्राथमिकता मिलेगी, जिन्होंने जिले में कम से कम 3 साल और मंडल में 7 साल की नौकरी पूरी कर ली हो। इसको तय करने के लिए कट ऑफ डेट 31 मार्च रहेगी। यानी 31 मार्च 2022 तक जिले में संबंधित अधिकारी ने कम से कम 3 साल की नौकरी पूरी की हो। 31 मार्च के बाद अगर तीन साल पूरा होता है, तो उनका तबादला मुश्किल है। विशेष परिस्थिति में सीएम ऑफिस से अनुमति लेनी होगी।
जिसका काम बढ़िया, उनको अच्छी पोस्टिंग मिलेगी
ग्रुप सी और डी में मेरिट के आधार पर ऑनलाइन तबादला होगा। यानी जिसका काम बेहतर होगा, उनको इच्छा अनुसार जिला मिल सकता है। इसमें संबंधित विभाग के विभागाध्यक्ष की टिप्पणी जरूरी होगी। उनके द्वारा अच्छे काम के अनुमोदन के बाद मेरिट बेहतर मानी जाती है। जिसका काम खराब रहा होगा, उसका तबादला कहीं भी किया जा सकता है।
कम दिमाग वाले बच्चों के माता-पिता को राहत
मुख्य सचिव ने कम दिमाग वाले बच्चों के मां-बाप को राहत दी है। उनका का तबादला डॉक्टर की सलाह के बाद उस जगह पर किया जाएगा, जहां उनको बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल सके। ऐसे में कर्मचारी और अधिकारी आवेदन कर रुटीन में अपना तबादला करा सकते हैं। 30 जून के बाद विभागीय मंत्री या फिर सीएम से अनुमति लेनी पड़ेगी।
कर्मचारी नेताओं को दो साल की छूट
कर्मचारी नेताओं को कार्मिक विभाग की नियमावली के तहत तबादले में राहत है। मान्यता प्राप्त संगठनों के अध्यक्ष और सचिव का तबादला नहीं होगा। इसमें प्रदेश से लेकर जिला स्तर के नेता शामिल है। संगठन में पदधारण करने के बाद दो साल के पहले तबादला नहीं होगा। दरअसल, दो साल में कर्मचारी संघ का चुनाव होता है। ऐसे में पद पर रहते हुए तबादला नहीं होगा। अगर तबादला किया भी जाता है, तो संबंधित अधिकारी भी अपने से बड़े अधिकारी से अनुमोदन लेगा। मसलन, विभागाध्यक्ष को प्रमुख सचिव से अनुमति लेनी होगी।
तबादले को लेकर जरूरी बातें
- एक मंडल में 7 साल पूरा करने वालों का प्राथमिकता के आधार पर तबादला होगा।
- समूक ए और बी में अगर तबादला 20 फीसदी से ज्यादा होता है, तो इसके लिए सीएम के यहां से अनुमति लेनी होगी।
- 30 जून के बाद तबादला के ए ग्रेड में सीएम और बी ग्रेड में विभागीय मंत्री की सहमति से होगा।
- बी ग्रेड अधिकारियों का तबादला विभाध्यक्ष करेगा। समूह ग का तबादला भी विभाध्यक्ष करेगा।
- समूह ग और घ के संवर्ग में अधिकतम 10 फीसदी तबादला होगा। 10 से 20 फीसदी की सीमा तक तबादला विभागीय मंत्री के अनुमोदन से होगा।
- 30 जून के बाद अगर समूह ग और घ में तबादला कराना है, तो विभागीय मंत्री की सहमति चाहिए।
ये भी जानें
- आरोपी और जांच की सीमा में आने वाले कर्मचारियों का तबादला संवेदनशील पदों पर नहीं हो सकता है।
- ए ग्रेड के अधिकारी अपने गृह जनपद में नहीं जा सकते।
- 30 जून के बाद तबादले के लिए कोई पत्र जारी नहीं होगा।
- तबादले के लिए कट ऑफ डेट 31 मार्च मानी जाएगी।
- अगर पति-पत्नी दोनों ही सरकारी सेवा में हैं, तो उनका तबादला एक ही जिले में हो सकता है।
- कम दिमाग वाले बच्चों के माता-पिता का तबादला डॉक्टर की सलाह के बाद वहां किया जाएगा, जहां बच्चे को बेहतर चिकित्सा सेवा मिलेगी।
- जिन कर्मचारियों के रिटायरमेंट में दो साल का समय बचा है, उसको उनके गृह जनपद के अलावा मन चाहा जिला मिल सकता है।
- ग्रुप बी और सी के कर्मचारियों का तबादला मैरिट के हिसाब से होगा। यह ऑनलाइन ट्रांसफर सिस्टम के आधार पर होगा।
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