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शनिवार, 2 जुलाई 2022

पीसीएस में स्केलिंग के मुद्दे पर हाई पॉवर कमेटी गठित



 पीसीएस में स्केलिंग के मुद्दे पर हाई पॉवर कमेटी गठित

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) जल्द ही पीसीएस परीक्षा में स्केलिंग को लेकर स्थिति स्पष्ट कर सकता है। आयोग ने पीसीएस में स्केलिंग के मसले पर हाई पावर कमेटी गठित कर दी है। इस कमेटी में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की स्केलिंग प्रणाली से जुड़े विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। 

अभ्यर्थी लगातार दावा कर रहे हैं कि आयोग ने पीसीएस-2018 से स्केलिंग बंद कर दी है, क्योंकि पीसीएस-2018 से ही मार्कशीट पर स्केल्ड और नॉन स्केल्ड अंकों का विवरण भी नहीं दिया जा रहा है। इससे पूर्व आयोग मार्कशीट में स्केल्ड और नॉन स्केल्ड अंकों का जिक्र करता था और अभ्यर्थियों को पता चला जाता था कि बिना स्केलिंग के उन्हें कितने अंक मिले और स्केलिंग के बाद कितने अंक घटे या बढ़े। इसी आधार पर अभ्यर्थी अब मांग कर रहें हैं कि आयोग इस पर स्थिति स्पष्ट करे और स्केलिंग का फार्मूला भी सार्वजनिक करे।

आयोग दावा कर रहा है कि संजय सिंह केस पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में हर पीसीएस परीक्षा में विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर स्केलिंग और मॉडरेशन होता है। हालांकि, अभ्यर्थी आयोग के इस जवाब से संतुष्ट नहीं हैं। ऐसे में आयोग ने इस बार हाई पावर कमेटी का गठन कर दिया है, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर स्केलिंग होगी। कमेटी में सांख्यिकी से जुड़े विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है, ताकि स्केलिंग को लेकर किसी तरह का भ्रम न रहे। 

दूसरी ओर, अभ्यर्थी लगातार यह आरोप भी लगा रहे हैं कि स्केलिंग न होने के कारण मानविकी एवं हिंदी भाषी अभ्यर्थियों के चयन का ग्राफ पीसीएस में तेजी से घट रहा है। इसके विपरीत आयोग के अफसर यह दावा कर रहे हैं कि साइंस के विषयों से चयनित अभ्यर्थियों की संख्या महज तीन से चार फीसदी ही होती है। बाकी मानविकी विषय के अभ्यर्थी ही चयनित होते हैं। आगामी पीसीएस परीक्षा का परिणाम जारी होने के बाद आयोग इस मसले पर भी आंकड़ों सहित स्थिति स्पष्ट करने की तैयारी में है।

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