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बुधवार, 10 अगस्त 2022

यूपी बोर्ड के एक आदेश से मचा हड़कंप, 9 से 12 वीं तक हजारों छात्रों को सता रहा पढ़ाई छूटने का डर



 यूपी बोर्ड के एक आदेश से मचा हड़कंप, 9 से 12 वीं तक हजारों छात्रों को सता रहा पढ़ाई छूटने का डर

यूपी बोर्ड ने कक्षा 9 से 12 तक के छात्र-छात्राओं के ऑनलाइन पंजीकरण में अचानक से आधार नंबर को अनिवार्य कर दिया है। शासन के निर्देश पर चार दिन पहले बोर्ड ने चुपके से वेबसाइट अपडेट कर दी है जिसके चलते उन बच्चों के रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहे जिनके पास आधार नहीं है। पिछले साल तक बोर्ड का फॉर्म भरते समय आधार नंबर तो मांग गया था, लेकिन अनिवार्य नहीं था।

चार दिन पहले हुए इस बदलाव के कारण सबसे अधिक समस्या कक्षा नौ और 11 में प्रवेश लेने वाले उन बच्चों को हो रही है जिनके पास आधार नहीं है। कक्षा 10 और 12 में भी सीधे प्रवेश लेने वाले बगैर आधार नंबर वाले बच्चे परेशान हैं। हालांकि इस बदलाव पर बोर्ड का कोई अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है।

अचानक से आधार अनिवार्य होने के कारण कक्षा नौ से 12 तक के हजारों छात्र-छात्राओं के समक्ष पढ़ाई छूटने का खतरा पैदा हो गया है। यूपी बोर्ड से संबद्ध 27735 स्कूलों में 2332 राजकीय, 4528 सहायता प्राप्त और 20875 वित्तविहीन हैं। अधिकतर वित्तविहीन स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में जहां जागरूकता के अभाव में अभी भी बड़ी संख्या में बच्चों के पास आधार नहीं है। ऐसे में यदि इन बच्चों का फॉर्म बोर्ड स्वीकार नहीं करता तो इनकी पढ़ाई बाधित हो जाएगी।

2023 की बोर्ड परीक्षा के लिए इस साल 10वीं-12वीं के छात्र-छात्राओं के परीक्षा शुल्क 10 अगस्त तक कोषागार में जमा होंगे और उनके शैक्षिक विवरण बोर्ड की वेबसाइट www. upmsp. edu. in पर 16 अगस्त तक अपलोड की जाएगी। दस अगस्त के बाद प्रति छात्र 100 रुपये विलम्ब शुल्क के साथ परीक्षा शुल्क 16 अगस्त तक जमा होंगे और शैक्षिक विवरण 20 अगस्त तक अपलोड होगी। कक्षा 9 व 11 में प्रवेश लेने वाले बच्चों के अग्रिम पंजीकरण के लिए शुल्क एवं शैक्षिक विवरणों को 25 अगस्त तक अपलोड किया जाएगा।

कानूनी तौर पर आधार को नहीं कर सकते अनिवार्य: बच्चों को आधार संख्या के नाम पर पढ़ाई से वंचित करना कानूनी तौर पर उचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2018 में केन्द्र की महत्वाकांक्षी योजना ‘आधार’ को 4:1 के बहुमत से संवैधानिक ठहराया था। हालांकि अदालत ने आधार संख्या को बैंक खाते तथा फोन नंबर से जोड़ने को असंवैधानिक बताते हुए इससे संबंधित प्रावधान रद्द कर दिए थे। यही नहीं यूपी बोर्ड ने आधार अनिवार्य करने से पहले अपने एक्ट में संशोधन भी नहीं किया है। इसलिए यह कानूनी रूप से मान्य नहीं है।

बिना पूर्व सूचना दिए अचानक से आधार अनिवार्य करना अनुचित है। ग्रामीण क्षेत्र में अधिक संख्या में छात्र-छात्राओं के पास आधार नहीं है। ऐसे में आधार के नाम पर बच्चों को शिक्षा से वंचित करना न्यायसंगत नहीं है। आधार अनिवार्य करने से पहले मौका देना चाहिए।-सुरेश कुमार त्रिपाठी, एमएलसी और नेता शिक्षक दल विधानपरिषद


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