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मंगलवार, 30 अगस्त 2022

NCERT Class 6 Polity : Chapter-4 | लोकतांत्रिक सरकार के मुख्य तत्त्व



 NCERT Class 6 Polity : Chapter-4 | लोकतांत्रिक सरकार के मुख्य तत्त्व

भागीदारी | Participation

लोकतंत्र में सरकार का चुनाव लोगों द्वारा होता है। इसमें किसी भी सरकार को एक निश्चित अवधि के लिए चुना जाता है। भारत में किसी भी सरकार को 5 वर्ष के लिए चुना जाता है और उसके बाद लोगों को एक नई सरकार चुनने का मौका मिलता है।

चुनाव एक तरीका है जिसके द्वारा लोग सरकार के गठन में अपनी भागीदारी निभाते है। यदि लोग तत्कालीन सरकार से संतुष्ट रहते है तो वे उसी सरकार को वापिस दोबारा चुनते है और लोग तत्कालीन सरकार से संतुष्ट नहीं हैं तो वे एक नई सरकार को चुनते है।

यथार्थ, हर नागरिक के लिए सरकार चलाने में प्रत्यक्ष रूप से भागीदारी संभव नहीं है। इसलिए पूरी दुनिया में प्रतिनिधि लोकतंत्र को मान्यता मिली हुई है। ऐसा माना जाता है की एक चुना हुआ प्रतिनिधि जनता के लिए काम करता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह प्रतिनिधि अगला चुनाव हार जाता है।

भागीदारी के अन्य तरीके | Other ways to Participate

लोगों के पास लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने के लिए सरकार के गठन में भागीदारी के अलावा और भी अन्य तरीके है। इस प्रक्रिया में कुछ लोग विरोध प्रदर्शन के द्वारा भाग लेते है तो कुछ मीडिया में बहस के द्वारा। जब किसी सामाजिक समूह को ऐसा लगता है की इसके हितो की अवहेलना हो रहा है तो यह विरोध प्रदर्शन के द्वारा अपनी आवाज उठा सकता है।

विभिन्न सामाजिक समूह अपनी मांगों को लेकर सरकार के सामने विरोध प्रदर्शन करता है। कभी कभी सरकार कुछ ऐसा निर्णय ले लेती है जो आबादी के एक बड़े हिस्से को पसंद न हो। ऐसी स्थिति में लोग विरोध प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतर जाते है।

लोग सरकार की प्रक्रियाओं में विभिन्न तरीके से भाग लेते है –

चुनाव में वोट देकर

सरकार का विरोध करने के क्रम में धरना, जुलूस और हड़ताल आदि करके

टेलीविजन पर वाद विवाद में हिस्सा लेकर

सोशल मीडिया पर अपना विचार व्यक्त करके

संपादक को पत्र लिखकर

जुलूस और धरना | Procession and Strike

लोगों द्वारा विरोध जताने के लिए जुलूस और धरने का मुख्य रूप से इस्तेमाल होता है। कोई सामाजिक समूह नौकरी में आरक्षण के लिए विरोध प्रदर्शन करता है। कोई समूह अपना वेतन बढ़ाने की मांग करता है तो कुछ लोग अपनी आवाज उठाने के लिए टेलीविजन पर चलने वाली बहस का सहारा लेते है। कुछ लोग सोशल मीडिया पर लिखते है तो कुछ लोग अखबार के संपादक को चिट्ठी लिखते है।

विवादों का समाधान | Resolution of Disputes

विवाद हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। जब विभिन्न सामाजिक समूहों में आपसी तालमेल नहीं रहता है तब विवाद उत्पन्न होता है। कई बार किसी विवाद को निपटाने के लिए लोग हिंसा करते है, इसलिए सरकार की यह जिम्मेदारी है की विवाद का समाधान शांतिपूर्वक हो और कोई हिंसा न हो।

विवादों और मुद्दों को सुलझाने के लिए सरकार की जरूरत क्यों है ?

विभिन्न क्षेत्रों, संस्कृतियों, धर्मों और आर्थिक पृष्ठभूमि के लोग जब कभी आपस में ताल मेल नहीं बैठा पाते है तब विवाद उत्पन्न होता है और इन विवादों को खत्म करने के लिए लोग हिंसात्मक तरीके अपनाते है। इस स्थिति में सरकार, खासकर पुलिस की यह जिम्मेदारी होती है की आपस में न तो टकराव की स्थिति पैदा हो और न ही हिंसा भड़के।सरकार सभी पक्षों को एक साथ बैठाकर बात करवाती है ताकि विवाद का समाधान निकल सके। इस तरह की बहुत सारी समस्याएँ है, जिसका निपटारा सरकार अच्छी तरह से करती है।

विवादों के कुछ संभावित कारण | Some Possible causes of Controversies

धर्म : कई बार इस बात के लिए विवाद उठ खड़ा होता है की एक धार्मिक जुलूस किस रास्ते से जाएगा ? किसी एक धर्म के लोग अपना जुलूस us रास्ते से ले जाने को अड़ जाते हैं जिस रास्ते में बहुसंख्यक आबादी किसी अन्य धर्म की हो। इस स्थिति में पुलिस और स्थानीय प्रशासन की यह जिम्मेदारी होती है की इस विवाद का कोई ऐसा समाधान निकाले जो दोनो पक्षों को मान्य हो।

नदी का पानी : कई बार दो राज्यों के बीच नदी के पानी के बंटवाड़े को लेकर झगड़ा हो जाता है. जैसे की कावेरी नदी जल विवाद। कावेरी नदी कर्नाटक से निकलती है और तमिलनाडु में समाप्त होती है। कावेरी नदी के पानी को लेकर केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों में अक्सर झगड़े होते है। ऐसी स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए अक्सर केंद्र सरकार को ऐसे मामले में हस्तक्षेप करना पड़ता है।

विवाद की स्थिति में सरकार की भूमिका | Government’s role in disputes

जब कोई विवाद होता है तब हर स्तर की सरकारें स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिश करते है। सरकार ऐसा समाधान ढूंढने की कोशिश करती है जो हर पक्ष को मान्य हो।


भारतीय संविधान में बुनियादी नियम और कानून दिए गए है। ये नियम और कानून, सरकार और लोगों के लिए है, जिसे सबको मानना पड़ता है। विवादों का समाधान भी इन्हीं कानूनों के आधार पर किया जाता है।

समानता और न्याय | Equality and Justice

जाति व्यवस्था के कारण भारत में सामाजिक असमानता का एक लंबा इतिहास रहा है। इसके कारण कई लोगों को पढ़ने का मौका नहीं मिला है तो कई लोगों को कुछ अलग पेशों में आने का मौका भी नहीं मिला है। दलितों के एक बड़े हिस्से को न्यूनतम मानवाधिकार से भी वंचित रहना पड़ा।

दलित लोगों को मंदिरों में प्रवेश की इजाजत नहीं थी। इन्हें सार्वजनिक स्थलों से पीने का पानी तक नहीं लेने दिया जाता था। आजादी के बाद सरकार ने समाज से असमानता और अन्याय हटाने के लिए कुछ नीतियाँ बनाई। हर नागरिक को समान रूप से देखना सरकार की जिम्मेदारी है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होता है की कोई भी व्यक्ति असमानता का शिकार न हो। लैंगिक असमानता हमारे देश में एक बड़ा अभिशाप है। कई परिवारों में लड़कियों को उचित अवसर नहीं दिया जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकारी स्कूलों में लड़कियों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है। इससे लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा मिलता है।

समानता के लिए उठाए गए कदम | Steps taken for Equality

  • समानता के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए है –
  • संविधान में सभी लोगों को बराबरी का दर्जा दिया गया है।
  • जाति, धर्म, लिंग और आर्थिक रूप से सभी को समानता का अधिकार दिया गया है।
  • समाज में पिछड़े वर्ग के लोगों को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण दिया गया है।
  • छुआछूत की प्रथा पर अब कानून रोक लगा दी गई है।
  • लड़कों और लड़कियों में असमानता खत्म करने के लिए सरकार ने सरकारी स्कूल और कॉलेजों में लड़कियों की फीस खत्म करने या कम करने की कोशिश की है।

FAQ | Frequently Asked Questions 

1. दक्षिण अफ्रीका एक लोकतांत्रिक देश कब बना ?

उत्तर – 1994

2. छुआछुत क्या है ?

उत्तर – जाति के आधार पर अछूत मानकर भेदभाव करना

3. कावेरी नदी जल बँटवारे को लेकर विवाद किन-किन राज्यों के बीच विवाद है ?

उत्तर – तमिलनाडु, कर्णाटक, केरल

4. भारत में चुनाव की अवधि कितनी है ?

उत्तर – 5 वर्ष

5. दक्षिण अफ्रीका में रंग-भेद की नीति कब समाप्त हुई ?

उत्तर – 1994

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