उत्तर प्रदेश बेरोजगारी से लड़ने में अव्वल, केंद्रीय योजनाओं से भी ज्यादा को जोड़ा
देश में बेरोजगारी से लड़ने में यूपी का प्रदर्शन अव्वल है। उत्तर प्रदेश में पूरे देश के मुकाबले न केवल रोजगार बढ़ाने पर ज्यादा काम हुआ बल्कि केंद्र की योजनाओं से लोगों को जोड़ने में भी बेहतर रहा। यही वजह है कि संगठित और असंगठित दोनों मोर्चों पर बेरोजगारी घटाने का बड़ा फायदा मिल रहा है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों के मुताबिक देशभर में अगस्त में 8.3 फीसदी बेरोजगारी रही है। 8.3 फीसदी बेरोजगारी का मतलब होता है जितने भी लोग रोजगार ढूढ़ रहे थे उनमें से 8.3 फीसदी को रोजगार नहीं मिला। वहीं उत्तर प्रदेश में ये आंकड़ा 3.9 फीसदी पर रहा। यूपी के मुकाबले बिहार 12.8, दिल्ली 8.2, हरियाणा 37.3 प्रतिशत बेरोजगारी के साथ कमजोर स्थिति में रहा। इसके विपरीत मध्य प्रदेश 2.6, महाराष्ट्र 2.2, गुजरात 2.6 प्रतिशत के साथ यूपी से बेहतर रहा।
नियोक्ताओं को यूपी पसंद नियोक्ताओं को भी यूपी भा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक मई 2022 तक पोर्टल पर देश भर में कुल 1,89,018 नियोक्ता रजिस्टर्ड हैं। इनमें से 13,219 यूपी में 2,403 बिहार में 11,145 हरियाणा में झारखंड में 2,892, मध्य प्रदेश में 5,382, राजस्थान में 8,874 नियोक्ताओं ने राज्यों में रजिस्ट्रेशन करा रखा है। श्रम मंत्रालय की तरफ से रोजगार बढ़ाने के मकसद से करियर सेंटर संचालित है। अन्य राज्यों की तुलना में यूपी में सर्वाधिक 111 सेंटर है। इतना ही नही देश भर में कुल 3,924 लोगों ने स्किल देने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। यूपी में इनकी तादाद 431 है। बिहार में 270, मध्य प्रदेश में 207, राजस्थान में 227 है। इससे लोगों को रोजगार मिलने में आसानी हो जाती है।
साथ में चुनौतियां भी सीएमआईई के प्रबंध निदेशक महेश व्यास के मुताबिक यूपी में श्रमिक भागीदारी कम है। देश भर में औसतन 40 फीसदी लोग नौकरी ढूढ़ने निकलते हैं लेकिन यूपी में कृषि राज्य होने से ये औसत 33 फीसदी है। राज्य में महिला श्रमिक भागीदारी भी कम है जो चुनौती है। साथ ही राज्य में संगठित रोजगार बढ़ाना, कम मजदूरी की वजह से कामगारों का दूसरे राज्यों में पलायन की आशंका , काम मानसून से उत्पादन में कमी का रोजगार पर प्रभाव भी बड़ी चुनौती है।
राष्ट्रीय औसत से अधिक मनरेगा रोजगार
वित्तवर्ष 2022-23 के आंकड़ों के मुताबिक 5 सितंबर तक मनरेगा में देश भर में औसतन प्रति परिवार 32.29 दिन का रोजगार और औसतन 213.64 रुपए प्रति व्यक्ति मजदूरी दी गई है। यूपी में राष्ट्रीय औसत से कुछ ज्यादा यानि औसतन 32.93 दिन प्रति परिवार काम दिया जा रहा है। हालांकि प्रति व्यक्ति मजदूरी 212.86 रुपए है जो कि राष्ट्रीय औसत से कम है।
छोटी कंपनियों से रोजगार को बड़ा सहारा
एमएसएमई मंत्रालय की सालाना रिपोर्ट 2021-22 के मुताबिक देश में करीब 6.3 करोड़ एमएसएमई कंपनिया हैं जिसमें अकेले यूपी में लगभग 90 लाख छोटे और मझोले उद्योग चल रहे हैं। बिहार में 34.46 लाख, राजस्थान में 26.87 लाख, हरियाणा में 9.70, मध्य प्रदेश 26.74 लाख यूनिटें ही हैं। एक जिला एक उत्पाद योजना की वजह से भी रोजगार को बड़ा सहारा मिल रहा है।
● यूपी में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत की तुलना में आधे से कम
● कानून व्यवस्था बेहतर होने से निवेशकों को भी भा रहा है उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश सरकार की पारदर्शी नीतियों और बेहतर कानून व्यवस्था के कारण माहौल बदला है। बड़ी संख्या में औद्योगिक निवेश धरातल पर उतरे और लोग स्वरोजगार के लिए भी प्रेरित हुए। इसके कारण रोजगार सृजन के अवसरों में भी वृद्धि हुई है।- योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश
सरकारी व्यवस्थाओं से जुड़कर ज्यादा लोगों को लाभ
उत्तर प्रदेश में असंगठित क्षेत्र के कामगारों का सबसे बड़ा नेटवर्क मौजूद है। केंद्र सरकार के ई-श्रम पोर्टल के मुताबिक 8.2 करोड़ लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। वहीं बिहार में 2.8 करोड़, 1.6 करोड़, 1.26 करोड़, झारखंड में 90 लाख, हरियाणा में 52 लाख कामगारों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
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