69000 शिक्षक भर्ती: यूपी में आरक्षण के मुद्दे पर सप्लीमेंट्री न लाने पर हाई कोर्ट ने फटकारा
उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती को लेकर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट में तीन राउंड हुई सुनवाई में सरकार की वकीलों की बातों से जज असंतुष्ट नजर आए। आरक्षण में हुई धांधली का आरोप लगाते हुए शिक्षक भर्ती की मांग कर रहे अभ्यर्थियों की तरफ से वकील ने कहा कि 1981 के नियम का उल्लंघन किया गया है।अभ्यार्थियों का आरोप है कि जिला आवंटन में भी धांधली की गई है। आरक्षण के मुद्दे पर सप्लीमेंट्री भी पेश की गई, TET और ATRE पर बहस हुई। लेकिन सरकार के वकील के पास कोई जवाब नहीं, अगली डेट पर प्रपोजल लाने के लिए कहा।
हाई कोर्ट में हुई तीन राउंड सुनवाई में ये बहस
बीते 19 अक्टूबर को 69000 शिक्षक भर्ती हाई कोर्ट लखनऊ में बहस हुई। हाई कोर्ट जज के सवालों का तीन राउंड में सुनवाई के दौरान सरकार के वकील जवाब देने में असमर्थ रहे। सबसे पहले सामूहिक रूप से सभी पक्षों को सुना गया।
जिसमें आरक्षण वालों की तरफ से पूर्व आगे ज्योति सिक्का, जनरल वालों की तरफ से अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी, और सरकार की तरफ से संजय भसीन, और अन्य पक्षों के वकील कोर्ट में बहस के दौरान मौजूद रहे सभी ने सामूहिक रूप से सबसे पहले अपना पक्ष रखा।
जिसमें से ज्योति सिक्का ने सप्लीमेंट्री को पेश किया, जिसमें आरक्षण के केस में वह सारे मुद्दे शामिल रहे। ज्योति सिक्का ने आरक्षण के केस पर धुआंधार बहस की। इस भर्ती में बेसिक नियमावली 1981 और आरक्षण नियमावली 1994 का उल्लंघन हुआ है।
जज साहब ने कहा कि क्या आरक्षण को ऐसे ही समाप्त हो जाने दे, आरक्षण संविधानिक अधिकार है ओबीसी एससी और एसटी का इसमें रिजर्वेशन का वायलेंस हुआ है। ज्योति सिक्का ने कहा कि मूल चयन सूची, और 27% ,21% पूरा करने पर पर बहस की।
जनरल वालों की तरफ से अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी ने और ज्योति सिक्का ने बहस की और यह भी बताया कि इससे पहले 68500 शिक्षक भर्ती में भी स्कैम हुआ था। और वही आरक्षण के साथ यहां भी 69000 में खिलवाड़ किया गया। 69000 शिक्षक भर्ती में 18,588 सीटों का अभी भी हेरफेर किया गया है।
ओबीसी को 27 % की जगह मात्र 3.6% और 21% की जगह एससी को 16.6% ही दिया गया। टीईटी अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी ने टीईटी पर बहस की और कहां की या एक पात्रता परीक्षा है ना कि इससे नौकरी मिलती है।ATRE पर बहस करने के लिए कहा।अगली डेट 3 नवंबर 2022 के लिए लगी है। सरकार अगली डेट पर प्रपोजल लेकर आएगी। जज साहब ने कहा 13156 प्राइमरी मैटर है और 6800 सेकेंडरी, हम सिर्फ पूरी भर्ती का जो मेन केस है उसको सुनेंगे।
जिला आवंटन में हुई गड़बड़ी अभ्यर्थी जो कोर्ट में मौजूद रहे अजय जायसवाल,शिव सागर,सुबोध,अशोक ,कुर्बान,रमेश शैलेंद्र वर्मा इन सभी का कहना है कि जिला आवंटन में भी गड़बड़ियां की गई, मेरिट स्टेट लेवल पर बनाई गई है। लेकिन GO में जिला लेवल पर दिया गया है। और मूल चयन सूची में भी गड़बड़ी की गई है और आरक्षण में भी हेराफेरी की गई है।
अभ्यर्थियों का कहना है कि जिन्होंने भी यह घपला किया है उन सभी दोषी को सजा हो। यह फिर जो कोर्ट में लड़ रहे लोगों पर विचार किया जाए। क्योंकि जो कोर्ट में लोग लड़ रहे हैं ढाई साल से मानसिक आर्थिक और भौतिक रूप से प्रताड़ना झेल रहे हैं। लड़ने वाले लोगों को जो कोर्ट में हैं उन को राहत प्रदान की जाए और मामले को पूरी तरह निस्तारण किया जाए।
बहस के ये रहे मुख्य बिंदु
- आरक्षण पर 13156 महेंद्र पाल एंड आदर्श बनाम उत्तर प्रदेश सरकार पर हुई।
- मूलचयन सूची और आरक्षण के वायलेंस में ओबीसी में 27% और एससी में 21% पूरा करने के लिए, पूर्व AAG ज्योति सिक्का ने जोरदार बहस की।
- आरक्षण के मुद्दे पर सप्लिमेंट भी पेश की गई, TET और ATRE पर बहस।
- सरकार के वकील के पास कोई जवाब नहीं मिला, अगली डेट पर प्रपोजल लाने के लिए कहा गया है।
- जनरल के वकील द्वारा कहा गया 68500 शिक्षक भर्ती में भी इसके हुआ गड़बड़ी हुई।
- 69000 शिक्षक भर्ती में भी आरक्षण का पालन नियमतः नहीं किया गया।
अनेदखी करने का आरोप
राजधानी लखनऊ में बीते कई दिनों से प्रदर्शनकारी ओबीसी में 27 फीसदी और एससी में 21 फीसदी आरक्षण व्यवस्था लागू करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि बेसिक शिक्षा विभाग की अनदेखी की वजह से भर्तियां नहीं हो पा रही हैं। हम बीते कई महीनों से मंत्री से मुख्यमंत्री तक को मांग पत्र दे चुके हैं। लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। थक हारकर हमें मजबूरन सड़क पर उतरना पड़ रहा है। हम तब तक प्रदर्शन करेंगे। जब तक हमारी मांगों को मान नहीं लिया जाएगा।
अभ्यर्थियों के दो सवाल
- 9000 शिक्षक भर्ती में ओबीसी को 27 प्रतिशत के स्थान पर उनके कोटे में 3.86 प्रतिशत आरक्षण क्यों?
- भर्ती में दलित वर्ग को 21 प्रतिशत के स्थान पर उनके कोटे में 16.6 प्रतिशत आरक्षण क्यों?
अभ्यर्थियों की दो मांगे
आरक्षण नियमावली बेसिक शिक्षा विभाग उप्र 1994 का सही ढंग से पालन न होने की वजह से 20000 आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी चयन से वंचित हो गए।संविधान से मिले आरक्षण के अधिकार 27 प्रतिशत और 21 प्रतिशत को पूरी तरह से लागू किया जाए।
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