परीक्षा और मूल्यांकन में सहयोग पर विचार करेंगे महाविद्यालय
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा मिड टर्म परीक्षा चार पालियों में कराए जाने और परीक्षा मूल्यांकन के भुगतान में करीब दो तिहाई कटौती के आदेश के बाद गुआक्टा हमलावर हो गया है। गुआक्टा ने धमकी दी है कि परीक्षा एवं मूल्यांकन में सहयोग के लिए महाविद्यालयों के साथ विचार कर निर्णय लिया जाएगा।
डीडीयू से सम्बद्ध महाविद्यालयी शिक्षकों के संगठन गुआक्टा के अध्यक्ष डॉ. केडी तिवारी व महामंत्री प्रो. धीरेन्द्र सिंह ने विज्ञप्ति जारी कर कुलपति पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि चार पाली में परीक्षा कराना कुलपति की तानाशाही की पराकाष्ठा है। चार पाली में परीक्षा कराने का तात्पर्य सीधे-सीधे कम से कम 8 घंटा का कार्य होगा। इतने कम समय में छात्रों का सीटिंग प्लान कैसे अरेंज होगा? शिक्षकों को बिना विराम लगातार आठ घंटे ड्यूटी करनी पड़ेगी।
अधिकार क्षेत्र से बाहर है पारिश्रमिक घटना
उन्होंने कहा कि स्नातक की उत्तरपुस्तिका मूल्यांकन का 20 रुपये और परास्नातक के मूल्यांकन का पारिश्रमिक 25 रुपये शासन से निर्धारित है। इसे घटाकर अब क्रमश: 7 और 9 रुपये कर दिया गया है। मूल्यांकन का पारिश्रमिक घटाना कुलपति के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। अनुदानित एवं स्ववित्तपोषित सभी कॉलेज के प्राचार्य एवं शिक्षकों को इस शिक्षक एवं शिक्षा विरोधी कुलपति का विरोध तथा असहयोग करना चाहिए।
कई वर्षों से नहीं मिला नोडल केन्द्रों को धन
गुआक्टा ने कहा कि परीक्षा शुल्क का संग्रहण विश्वविद्यालय खुद करता है जबकि परीक्षाओं का भार अनुदानित महाविद्यालयों के प्राचार्य पर नोडल केंद्र बना कर डाल दिया है। नोडल केंद्र को मिलने वाला धन भी विगत कई वर्षों से नहीं प्राप्त हुआ है। ऐसी परिस्थिति में कोई भी प्राचार्य, नोडल केंद्र का समन्वयक विवि के इस आदेश को मानने के लिए बाध्य नहीं है। नोडल केंद्रों को तभी कार्य करना चाहिए जब एडवांस मिल जाए।
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