UP में जनपद न्यायालयों में रिटायर कर्मचारियों को मौका:भरे जाएंगे रिक्त 3000 पद; 65 साल से कम उम्र के कर्मचारी कर सकते हैं आवेदन
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सभी जनपद न्यायालय में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के रिक्त लगभग 3000 पदों को को रिटायर कर्मचारियों से भरने का आदेश दिया है। शर्त बस इतनी है कि उनकी उम्र 65 वर्ष से अधिक न हो और वे शारीरिक रूप से अक्षम न हों। इस घोषणा के बाद से नौकरी की राह देख रहे बेरोजगार युवाओं में आक्रोश है। सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ सुर उठने लगे हैं।
सभी अधीनस्थ न्यायालयों को भेजा पत्र
इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल आशीष गर्ग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अगर जनपद न्यायालयों में कर्मचरियों की कमी है तो जिला जज अपने स्तर पर रिटायर कर्मचारियों को दोबारा नियुक्त कर सकता है। इस पत्र में जनपद न्यायाधीशों से सेवानिवृत्त हुए 65 साल से कम उम्र के कर्मचारियों को सेवायोजन के लिए कहा गया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध डाटा के अनुसार तृतीय श्रेणी के लगभग 1500 और चतुर्थ श्रेणी के भी लगभग डेढ़ हजार पद अधीनस्थ न्यायालयों में रिक्त हैं।
3 बार हो चुकी है भर्ती परीक्षा फिर भी आधे पद खाली
पूर्व में अधीनस्थ न्यायालय में भर्तियां जनपद न्यायाधीश स्तर पर ही की जाती रही हैं। कालांतर में वर्ष 2014 से यह भर्तियां इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा संयुक्त परीक्षा के माध्यम से की जाती हैं। 2014 से तीन बार भर्ती परीक्षाएं आयोजित की जा चुकी हैं किंतु फिर भी अधीनस्थ न्यायालयों में कर्मचारियों के लगभग आधे पद रिक्त हैं। आधे पद खाली रहते हुए अधीनस्थ न्यायालय में कार्य हो रहा है। इससे कम कर्मचारियों के साथ काम कर रही अदालतों में कार्य का बोझ बढ़ता जा रहा है। एक-एक कर्मचारी के ऊपर औसत में तीन 3 से 4 हजार फाइलों का भार है। यही वजह है कि कई कर्मचारी कार्यालयों में बाहरी व्यक्तियों से भी कार्य करा रहे हैं। समय-समय पर जांच होने पर ऐसी बाहरी व्यक्ति पकड़े जाते हैं। किंतु सत्यता से कोई भी इनकार नहीं कर सकता।
रिटायर कर्मचारियों से पद भरने का विरोध शुरू
सोशल एक्टिविस्ट संदीप पाठक ने अपने फेसबुक वॉल पर पोस्ट कर रिटायर कर्मचारियों से पद भरने का विरोध किया है। संदीप पाठक कहते हैं कि एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश में पेट की परीक्षाओं में लाखों बेरोजगार अभ्यर्थी 1 अदद रोजगार की तलाश में शहर दर शहर भटक रहे हैं। वहीं भर्ती प्रक्रिया न करके रिटायर कर्मचारियों को पुनः से सेवायोजित किया जाना इन बेरोजगार अभ्यर्थियों के रोजगार के सपनों को तोड़ने से कम नहीं है।
उत्तर प्रदेश डिस्ट्रिक्ट कोर्ट सर्विस रूल 2013 राज्यपाल उत्तर प्रदेश द्वारा हस्ताक्षरित एवम अनुमोदित है। इस नियमावली में कहीं पर भी इस तरीके की सेवायोजन से संबंधित बात नहीं लिखी गई है और ना ही उच्च न्यायालय द्वारा भेजे गए पत्र में हाल फिलहाल में राज्यपाल से इस तरीके की भर्तियों के अनुमोदन से संबंधित बात लिखी गई है। सरकारी दफ्तरों में कर्मचारियों की कमी के नाम पर सेवानिवृत्त कर्मचारियों की भर्ती का चलन बढ़ता जा रहा है। यह चलन बंद होना चाहिए। यह चलन मेहनतकश, विवेकवान, ईमानदार बेरोजगार अभ्यर्थियों के मुंह पर तमाचा है।
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