UPSSSC PET NEWS: सवालों से ज्यादा दुश्वारियों ने लिया इम्तिहान
लखनऊ। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूपीएसएसएससी) की ओर से आयोजित प्रारंभिक अर्हता टेस्ट (पीईटी) 2022 में दूसरे जिलों से आए अभ्यर्थियों का सवालों से ज्यादा दुश्वारियों ने इम्तिहान लिया। परीक्षा केंद्र तक पहुंचने के लिए तमाम अभ्यर्थियों को दूसरे दिन भी परेशानी झेलनी पड़ी। खासकर महिला अभ्यर्थियों को। यात्रा केदौरान कहीं बस और ट्रेन में सीट नहीं मिली तो वहीं परीक्षा केंद्र तक पहुंचने के लिए कई जगह भटकना पड़ा। किसी ने खड़े होकर पूरी रात यात्रा की तो किसी को अपने मासूम बच्चे को पति के पास छोड़कर परीक्षा देनी पड़ी। अभ्यर्थियों ने बताया कि परीक्षा तो महज दो घंटे की थी लेकिन इसके पहले और बाद में अव्यवस्थाओं के चलते अग्नि परीक्षा भी देनी पड़ी।
गोद में बच्चा, पत्नी की परीक्षा, ऑटो वालों ने दिया गच्चा
अंबेडकरनगर निवासी धर्मेंद्र बेरोजगार हैं। घर खर्च चलाने के लिए खेती-किसानी करते हैं, लेकिन पत्नी निशा को सरकारी नौकरी के लिए प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करा रहे हैं। पीईटी के लिए वे ट्रेन से शनिवार रात चारबाग पहुंचे। साथ में ढाई का साल बच्चा भी था। पूरी रात स्टेशन पर गुजारी और सुबह परीक्षा के लिए केंद्र पर पहुंचे। पत्नी अंदर परीक्षा दे रही थी और धर्मेंद्र बच्चे को संभाल रहे थे। बताया कि ट्रेन में कंफर्म टिकट के बावजूद भीड़ की वजह से परेशानी भरी यात्रा रही। वहीं परीक्षा केंद्र के लिए ऑटो संचालकों ने भी काफी देर तक भटकाया। आशियाना जाना था तो उसने आलमबाग में ही छोड़ दिया। वहां से दूसरी ऑटो पकड़कर किसी तरह पहुंचे। चारबाग से ऑटो वालों ने 200 रुपये वसूल लिए।
तबियत खराब, रात भर खड़े होकर किया सफर
आजमगढ़ की कविता का कहना था कि इतनी बदइंतजामी आज तक नहीं झेली। मेरी तबियत खराब है। रात को आजमगढ़ से ट्रेन पकड़ी। बड़ी मुश्किल से बोगी के अंदर घुसने को मिला। रातभर खड़े होकर सफर किया। उसके बाद ऑटो चालकों ने बहुत छकाया। चारबाग से आशियाना के स्वामी विवेकानंद सेंटर पर आने केलिए तीन ऑटो बदलने पड़े। जो भी मिला दूसरी जगह पर छोड़कर चलता बना। कोई सीधे आने को तैयार नहीं और न ही किसी ने सही रास्ता बताया। शौचालय की व्यवस्था न होने से समस्या झेली। कहा कि महिला अभ्यर्थियों के लिए सरकार को सोचना चाहिए।
आजमगढ़ से लखनऊ, फिर हरदोई और फिर वापस लखनऊ
आजमगढ़ की प्रिया गुप्ता ने बताया कि टिकट कंफर्म नहीं था, आजमगढ़ से लखनऊ तक का सफर खड़े होकर किया। भीड़ केवल अभ्यर्थियों की थी, सब एक-दूसरेपर चढ़े हुए थे। रात को चारबाग पहुंची तो ठहरने की चिंता बढ़ी तो भाई के पास हरदोई चली गई। सुबह हरदोई से लखनऊ दोबारा आई परीक्षा देने। महिला अभ्यर्थियों के लिए सरकार को अपने जिले में ही या तो नजदीक के ही जिले में सेंटर देने की व्यवस्था करनी चाहिए।a
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