पेंशन योजना पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, खत्म की 15 हजार वेतन की सीमा
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को साल 2014 की कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना को लेकर बड़ा फैसला किया है। कोर्ट ने वर्ष 2014 की कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना को 'कानूनी और वैध' करार दिया। कई कर्मचारियों को राहत देते हुए कोर्ट ने कहा कि जिन कर्मचारियों ने कर्मचारी पेंशन योजना में शामिल होने के विकल्प का प्रयोग अबतक नहीं किया है, उन्हें ऐसा करने के लिए 6 महीने का और मौका दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने पेंशन फंड में शामिल होने के लिए न्यूनतम पेंशन योग्य 15,000 रुपये मासिक वेतन की सीमा को खत्म कर दिया है, जो वर्ष 2014 के संशोधन में अधिकतम पेंशन योग्य वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता मिलाकर) की सीमा 15,000 रुपये प्रति माह तय की गई थी और संशोधन से पहले अधिकतम पेंशन योग्य वेतन 6,500 रुपये प्रति माह था।
क्या है कर्मचारी भविष्य निधि संगठन?
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के देशभर में करोड़ों खाताधारक हैं। ईपीएफओ अपने खाताधारकों की जमाराशि पर ब्याज देता है। साथ ही पेंशन स्कीम के तहत न्यूतनम 1,000 रुपये की पेंशन देता है।
क्या है मामला?
साल 2014 के संशोधन के तहत ईपीएफओ ने अधिकतम पेंशन योग्य वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता मिलाकर) की सीमा 15,000 रुपये प्रति माह तय की थी। संशोधन से पहले अधिकतम पेंशन योग्य वेतन 6,500 रुपये प्रति माह था। पेंशन नीति के तहत आने वाले कर्मचारियों के मूल वेतन का 12% हिस्सा भविष्य निधि में जाता है, जबकि कंपनी के 12% हिस्से में से 15,000 रुपये का 8.33% हिस्सा पेंशन योजना में जाता है। इसके अलावा पेंशन कोष में सरकार की ओर से भी 1.16% का योगदान किया जाता है।
क्या है तकनीकी पेच?
इसमें तकनीक पेच यह है कि बेसिक सैलरी और डीए को मिलाकर जो राशि बनती है उसका 12 फीसदी कंपनी पीएफ में कंट्रीब्यूशन देती है। यहां तकनीकी पेच यह है कि अगर किसी की बेसिक सैलरी और डीए मिलाकर 15,000 रुपये से ज्यादा है तो कंपनी की ओर से किए गए अंशदान में 15,000 रुपये का जो 8.33 फीसदी बनता है, उसको पेंशन फंड में दिया जाता है। इससे कर्मचारी को पेंशन के मोर्चे पर नुकसान हो रहा था।
क्या होंगे फैसले से लाभ?
सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन फंड में शामिल होने के लिए 15,000 रुपये मासिक वेतन की सीमा को रद्द कर दिया है। इसका यूं समझा जा सकता है। अगर किसी का ईपीएफओ अकाउंट है। काम करने वाला कर्मचारी अपने वेतन का 12 फीसदी पीएफ के रूप में जमा करता है. इसके बदले उसकी कंपनी भी उसे उतनी ही रकम देती है। लेकिन इस रकम में 15000 रुपये का सिर्फ 8.33 फीसदी हिस्सा ही पेंशन में जाता है। ऐसे में अगर 15 हजार की सीमा हटा दी जाती है और आपका मूल वेतन और डीए 20 हजार रुपये हो जाता है तो पेंशन में कंट्रीब्यूशन तथा पेंशन की राशि भी बढ़ जाएगी। मगर इसके लिए कर्मचारी और कंपनी में सहमति जरूरी है।
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