उच्च शिक्षा निदेशालय पर मुकदमों का बोझ, इलाहाबाद हाई कोर्ट में निदेशक तलब, नवंबर में तीन बार हो चुकी पेशी
प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय पर मुकदमों का बोझ बढ़ गया है। निदेशालय में 507 मुकदमें लंबित हैं। वर्षों से लंबित मुकदमों में काउंटर एफीडेविड (जवाब) भी नहीं लगाया जा रहा था। विभाग के अफसर की लापरवाही से इन मामलों पर फैसले नहीं हो सके। लंबित मामलों में जवाब न देने पर पिछले दिनों कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है और उच्च शिक्षा निदेशक को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया। सितंबर में वह तीन दिन पेश हुए। इस महीने भी तीन दिन पेश हो चुके हैं और शुक्रवार को फिर पेश होना है। ऐसे में अब निदेशक ने लंबित मुकदमों का जवाब बनाने के लिए सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को लगा दिया है।
पेंशन, फंड, एरियर, नियुक्ति, पदोन्नति, वरिष्ठता, गुणवत्ता संवर्धन के मुकदमे लंबित
उच्च शिक्षा निदेशालय में एडेड और राजकीय महाविद्यालयों से जुड़े पेंशन, फंड, एरियर, नियुक्ति, पदोन्नति, वरिष्ठता, गुणवत्ता संवर्धन के मुकदमे लंबित हैं। कोर्ट केस के जवाब देने की जिम्मेदारी सहायक निदेशक शैलेंद्र तिवारी को 2016 से दी गई है। लेकिन उन्होंने अधिकतर मामलों में जवाब ही नहीं दिया।
मुकदमों में तारीख पर तारीख लगती रही। जवाब नहीं जा रहा था, इसलिए फैसले नहीं हुए और बोझ बढ़ता गया। इसी में एक मामला आगरा महाविद्यालय के गुणवत्ता संवर्धन का था। इस केस की सुनवाई पर निदेशालय से जवाब दिया गया कि उनके यहां 507 मामले लंबित है। मुकदमों का बोझ अधिक होने के कारण उन्हें जवाब देने में विलंब हो रहा है। इस जवाब पर जज ने नाराजगी जताई और सभी लंबित मामले में जवाब लगाने के निर्देश दिए।
साथ ही उच्च शिक्षा निदेशक डा. अमित भारद्वाज को व्यक्तिगत तलब किया। वह एक, नौ और 23 सितंबर को हाई कोर्ट में पेश हो चुके हैं। इस महीने 18, 22 और 23 तारीख को उनकी पेशी हो चुकी है। 25 नवंबर को फिर उन्हें तलब किया गया है। ऐसे में निदेशक ने तीनों सहायक निदेशक, संयुक्त निदेशक और सभी कर्मचारियों को लंबित मामलों का जवाब बनाने में लगा दिया। इससे दूसरे काम ठप हो गए हैं। लेकिन कई वर्षों से जवाब न देकर मामले को लंबित रखने वाले अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। निदेशक ने बताया कि कोर्ट के आदेश का पालन किया जा रहा है।
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