कई शिक्षकों-कर्मियों के कानपुर छोड़ने पर पाबंदी
सीएसजेएमयू के कई शिक्षक, अधिकारी और कर्मचारियों के शहर छोड़ने पर पाबंदी लगा दी गई है। एसटीएफ ने व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर कई लोगों से शहर से बाहर न जाने की बात कहने के साथ कुछ बिंदुओं की हकीकत जानने का प्रयास किया है। शुक्रवार को विवि में एसटीएफ के आने की भी चर्चा रही। हालांकि किसी भी अधिकारी या जिम्मेदार ने इसकी पुष्टि नहीं की है। सूत्रों के मुताबिक एसटीएफ अपने सोर्स की मदद से पूछताछ के लिए सूची तैयार कर रही है।
कुलपति प्रो. विनय पाठक के खिलाफ चल रही जांच की आंच कानपुर तक पहुंचने लगी है। लखनऊ में दर्ज हुए मुकदमें से पहले कानपुर में भी नियुक्ति समेत कई बिंदुओं पर प्रो. पाठक के खिलाफ आरोप लगे थे। हालांकि किसी भी मामले में आरोप सत्यापित नहीं हुए। अब एसटीएफ जांच कर रही तो उसने उन सभी विवि को जद में लेना शुरू कर दिया है, जहां प्रो. पाठक कुलपति रहे हैं या फिर उनके पास विवि का प्रभार रहा हो। बताया जा रहा है कि प्रो. पाठक ने कानपुर में चार्ज संभालते ही सभी पुराने को किनारे कर खास लोगों की टीम बनाई थी। यहां तक कि विवि में वर्तमान पदों पर तैनात सभी को हटाकर नए लोगों को जिम्मेदारी सौंपी थी।
विवि में रुकने लगा काम
विवि में प्रो. पाठक के खिलाफ शुरू हुई जांच के बाद अनेक तरह के काम बाधित होने लगे हैं। सूत्रों की मानें तो विभागवार डिस्प्ले बोर्ड लगने थे, जिससे छात्र-छात्राओं को दिक्कत न हो। कुछ विभाग में बोर्ड लग भी गए लेकिन अब संबंधित एजेंसी ने काम करने से मना कर दिया है। इसी तरह, प्रिंटर, प्रैक्टिकल के लिए केमिकल समेत अन्य जरूरी आपूर्ति भी बाधित हो गई है। एजेंसियों को अंदेशा है कि उनका भुगतान कहीं अटक न जाए।
प्रो. पाठक का दोबारा मूल्यांकन पर रहा जोर
आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय ने मेडिकल की परीक्षा का फिर से मूल्यांकन कराने में अपने बनाए नियमों के साथ-साथ शासन के आदेशों को भी दरकिनार कर दिया। बीएचएमएस के मूल्यांकन में डीन की ओर से पत्र लिखे जाने के बाद विवि ने परिणाम की ना तो जांच करायी और ना ही परीक्षकों पर कोई कार्रवाई की। बल्कि सीधा दोबारा मूल्यांकन करा दिया। इसके बाद फेल से पास होने में छात्रों को देर नहीं लगी। बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी का विवि ने परिणाम जारी होने के बाद फिर से मूल्यांकन कराया।
नियुक्तियों में गड़बड़ी की पहुंच रहीं शिकायतें
सीएसजेएमयू में कुलपति ने शिक्षकों से लेकर एजेंसी के माध्यम से कर्मचारियों की नियुक्ति की थी। इन नियुक्ति पर अनेक तरह के आरोप लगे थे। कई अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया था कि वे योग्य होने के बावजूद उनसे नीचे रैंक वाले को जॉब दी गई। तब कोई सुनवाई नहीं हुई। अब ऐसे अभ्यर्थी मौका पाकर अपनी समस्याएं भी सुना रहे हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें