Phd : डीयू से पीएचडी करना होगा महंगा, बढ़ेगी थीसिस के मूल्यांकन की फीस
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) पीएचडी थीसिस के मूल्यांकन का शुल्क सभी विद्यार्थियों के लिए 2500 रुपये से ज्यादा करने पर विचार कर रहा है। एक आधिकारिक दस्तावेज़ से इस बाबत जानकारी मिली है। पहले थीसिस जमा करने का शुल्क फेलोशिप के विद्यार्थियों के लिए पांच हजार रुपये था जो बढ़कर अब 7500 हजार रुपये हो सकता है। इसमें 50 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। वहीं बिना फेलोशिप वाले विद्यार्थियों के लिए शुल्क 80 प्रतिशत बढ़कर साढ़े पांच हजार रुपये हो सकता है जो पहले तीन हजार रुपये था।
हालांकि, विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि फीस में अब थीसिस जमा करने और अस्थायी प्रमाण -पत्र का शुल्क भी शामिल होगा। उन्होंने दावा किया कि पहले विद्यार्थी को थीसिस जमा करने और अस्थायी प्रमाण पत्र के लिए बाद में भुगतान करना पड़ता था। नए नियम सभी शुल्कों को मिला देंगे और एक बार में एकमुश्त भुगतान करना होगा।
बढ़ोतरी का बचाव करते हुए, परीक्षा डी डीएस रावत ने कहा कि यह अधिक वृद्धि नहीं है और कहा कि पूरी व्यवस्था ऑनलाइन स्थानांतरित की जा रही है।
रावत ने न्यूज एजेंसी भाषा से कहा, “इससे पहले, विद्यार्थी को थीसिस जमा करने के प्रमाण पत्र और अस्थायी प्रमाण पत्र के लिए 500 रुपये का भुगतान करना पड़ता था। इसे अब बढ़ाकर 750-750 रुपये किया जा रहा है और इसे थीसिस जमा करने के शुल्क के साथ ही जमा किया जाएगा।”
उन्होंने कहा, 'इसके अलावा, थीसिस जमा करने के शुल्क में केवल 1,000 रुपये की वृद्धि की जा रही है, जो कोई खास वृद्धि नहीं है। पूरी प्रक्रिया को आसान बनाया जा रहा है और विद्यार्थियों को इसका लाभ मिलेगा।' शैक्षणिक परिषद की 22 नवंबर को होने वाली बैठक में इस संबंध में प्रस्ताव पेश किया जाएगा।
कुलपति योगेश सिंह ने अपनी 'आपातकालीन शक्ति' का प्रयोग करते हुए अक्टूबर में थीसिस मूल्यांकन के लिए मानदेय में संशोधन को मंजूरी दी थी। परिषद के सदस्य ने वृद्धि को अनुचित बताया है। नवीन गौड़ ने कहा कि शुल्क बढ़ाने से पहले विश्वविद्यालय को कारण बताना होगा।
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