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शुक्रवार, 9 दिसंबर 2022

UPPSC : राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक एवं प्रवक्ता के पदों पर चयनित डेढ़ हजार चयनितों को लगी एक-एक लाख रुपये की चपत, सफल होने के बाद भी नहीं मिला नियुक्ति पत्र



 UPPSC : राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक एवं प्रवक्ता के पदों पर चयनित डेढ़ हजार चयनितों को लगी एक-एक लाख रुपये की चपत, सफल होने के बाद भी नहीं मिला नियुक्ति पत्र

नियुक्ति में विलंब के कारण राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक एवं प्रवक्ता के पदों पर चयनित तकरीबन डेढ़ हजार अभ्यर्थियों को एक-एक लाख रुपये की चपत लग चुकी है। इन अभ्यर्थियों की काउंसलिंग हो चुकी है। एक कार्यक्रम में इन्हें नियुक्ति पत्र वितरित किए जाने हैं, लेकिन शासन स्तर से कार्यक्रम का समय ही निर्धारित नहीं हो पा रहा।

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 19 विषयों में जीआईसी प्रवक्ता के 1342 पदों का परिणाम जून-2022 में दो चरणों में जारी किया था। इसके बाद 10 से 20 अक्तूबर तक चयनित अभ्यर्थियों की ऑनलाइन काउंसलिंग की गई थी। इसी दौरान एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती-2018 के तहत सात विषयों में वेटिंग लिस्ट के 123 अभ्यर्थियों की भी काउंसलिंग करा दी गई थी।  

पूर्व की व्यवस्था में अभ्यर्थियों को काउंसलिंग पूरी होते ही नियुक्ति पत्र जारी कर दिए जाते थे, लेकिन इस बार अभ्यर्थियों से कहा गया कि शासन स्तर पर अलग से कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें नियुक्ति पत्र वितरित किए जाएंगे। 30 अक्तूबर तक नियुक्ति पत्र वितरित किए जाने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अभी तक कार्यक्रम निर्धारित नहीं किया जा सका और अभ्यर्थी नियुक्ति के लिए भटक रहे हैं।

राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक यानी एलटी ग्रेड शिक्षक को 64500 रुपये और प्रवक्ता को 67500 रुपये वेतन मिलता है। वेतन नियुक्ति की तिथि से मिलता है। वर्षों तक परीक्षा की तैयारी करने के बाद बेरोजगार अभ्यर्थियों का चयन तो हो गया, लेकिन नियुक्ति न मिल पाने के कारण जेब अब भी खाली है।

प्रतिदिन के हिसाब से एलटी ग्रेड शिक्षक के पद पर चयनित अभ्यर्थियों को 2150 रुपये और प्रवक्ता पद के चयनित अभ्यर्थियों को 2250 रुपये का नुकसान हो रहा है। चयनित अभ्यर्थियों का कहना है कि अगर काउंसलिंग के तुरंत बाद उन्हें नियुक्ति मिल गई होती तो यह नुकसान नहीं उठाना पड़ता। प्रत्येक अभ्यर्थी को तकरीबन एक-एक लाख रुपये की चपत लग चुकी है।

प्रतियोगी छात्र मोर्चा के संयोजक अनिल उपाध्याय और अध्यक्ष विक्की खान का आरोप है कि शासन इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा है। नियुक्ति में विलंब के कारण अभ्यर्थियों को हो रहे नुकसान की कोई भरपाई भी नहीं हो पाएगी। उन्होंने शासन से मांग की है कि चयनित अभ्यर्थियों को आवंटित विद्यालयों में नियुक्ति शीघ्र प्रदान की जाए।

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