विधानसभा चुनाव में पेपर लीक बना मुद्दा अब केन्द्र ने भी बनाया कानून
नए कानून से प्रदेश के 50 लाख शिक्षित बेरोजगारों को राहत की आस
सीकर. प्रदेश में विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सियासत गर्माने वाला पेपर लीक का मुद्दा अब देश की सियासत तक भी पहुंच है। पेपर लीक के मुद्दे के जरिए राजस्थान में सत्ता हासिल करने पर भाजपा ने अब एसआईटी व नए कानून के जरिए बेरोजगारों को साधने की कोशिश तेज कर दी है। केन्द्र सरकार के पेपर लीक माफिया के खिलाफ मास्टर स्ट्रोक लगाने से पहले ही राजस्थान कानून ला चुका है। राजस्थान की ओर से लाए गए कानून में केन्द्र सरकार के कानून से ज्यादा सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया था। इसके बाद भी पेपर लीक के मामले नहीं थमे। ऐसे में बेरोजगारों का सवाल है कि सरकार को पेपर लीक माफिया के खिलाफ कार्रवाई के लिए बेरोजगारों व राज्य सरकारों से सुझाव लेकर और इसमें संशोधन करने चाहिए। बेरोजगारों का सवाल है कि सरकार को ऑनलाइन परीक्षाओं की तरफ कदम आगे बढ़ाने होंगे जिससे पेपर लीक माफिया का खात्मा हो सके। हालांकि कई राज्यों में ऑनलाइन परीक्षाओं के भी पेपर लीक हो चुके है।
पहले था भंग का वादा, अब बताई आरपीएससी संवैधानिक संस्था
प्रदेश में सत्ता में आने से पहले भाजपा के कई नेताओं की ओर से आरपीएससी को भंग करने का दावा किया गया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, राजेन्द्र राठौड़ सहित कई नेताओं ने सत्ता में आने पर आरपीएससी को भंग करने की बात कही थी। लेकिन अब सरकार बनते ही सरकार के मंत्रियों की ओर से आरपीएससी के संवैधानिक संस्था होने के तर्क दिए जा रहे है। तीन दिन पहले सीकर में यूडीएच मंत्री ने कहा थ कि आरपीएससी को भंग करना संभव नहीं है। इसको लेकर भी बेरोजगारों की ओर से सवाल उठने लगे है।
आरएएस 2013 को लेकर 978 पदों के लिए प्री-परीक्षा 26 अक्टूबर 2013 में हुई थी। इसका परिणाम 11 जून 2014 को जारी हुआ था। गड़बड़ी का अंदेशा होने के बाद 11 जुलाई 2014 को परीक्षा रद्द कर दी गई।
एलडीसी भर्ती परीक्षा 2013 में करीब 7 हजार पदों के लिए आरपीएससी ने 11 जनवरी, 2014 को परीक्षा कराई थी। दिसम्बर 2015 में परीक्षा को रद्द कर दिया गया। यह भर्ती बाद में 3 साल बाद पूरी हुई।
जेल प्रहरी भर्ती परीक्षा 2015 के तहत 925 पदों के लिए हुई। परीक्षा में 6 लाख अभ्यर्थियों ने इम्तिहान दिया। परीक्षा से पहले ही सॉल्व पेपर वाट्सऐप पर वायरल हो गया। इस कारण परीक्षा होने के बाद शाम को पेपर को रद्द कर दिया गया।
कांस्टेबल भर्ती 2018 में पुलिस मुख्यालय की ओर से परीक्षा हुई। 11 मार्च 2018 को पुलिस को पेपर लीक की जानकारी मिली। 17 मार्च 2018 को इस परीक्षा को रद्द किया।
लाइब्रेरियन भर्ती 2018 में कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से 29 दिसंबर को परीक्षा हुई थी। पेपर लीक के कारण रद्द कर दिया गया।
जेईएन सिविल भर्ती 2018 का आयोजन भी कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से किया गया। छह दिसंबर 2020 को परीक्षा को एसओजी की रिपोर्ट के आधार पर बोर्ड ने पेपर लीक मानते हुए रद्द कर दिया।
रीट लेवल-2 परीक्षा का आयोजन राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से 26 सितंबर 2021 को हुआ. परीक्षा का पर्चा लीक होने की बात सामने आई। परीक्षा के करीब 4 माह बाद पेपर लीक मानते हुए सरकार ने इसे रद्द कर दिया।
बिजली विभाग की टेक्निकल हेल्पर भर्ती 2022 का एग्जाम ऑनलाइन हुआ था। परीक्षा में पेपर लीक को लेकर बवाल मचा और तकनीकी खामी भी सामने आई, इसके बाद 6 केंद्रों की परीक्षा रद्द की गई।
कांस्टेबल भर्ती 2022 का आयोजन पुलिस मुख्यालय की ओर से किया गया था. इस परीक्षा में भी 14 मई 2022 को दूसरी पारी का पेपर वायरल हो गया था। इस पारी के पेपर को रद्द कर फिर से परीक्षा कराई गई थी।
वनरक्षक भर्ती परीक्षा 2020 में कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से 12 नवंबर 2022 को आयोजित दूसरी पारी के पेपर के विकल्प सोशल मीडिया पर वायरल हो गए. इस पारी की परीक्षा को बोर्ड ने रद्द कर दिया।
कनिष्ठ अभियंता भर्ती परीक्षा 2020, चिकित्सा अधिकारी भर्ती परीक्षा 2021, वरिष्ठ अध्यापक प्रतियोगी परीक्षा 2022, हाईकोर्ट एलडीसी भर्ती परीक्षा 2022, एसआई भर्ती परीक्षा 2022 और सीएचओ भर्ती परीक्षा 2022 भी पेपर लीक की वजह से विवादों में रही है।
किस राज्य में कितने पेपर लीक के मामले
पांच सालों में देश के 15 राज्यों में पेपर लीक के मामले सामने आए। इससे 41 प्रतियोगी परीक्षाएं प्रभावित हुई।
राजस्थान में 2015 से 2023 तक 14 परीक्षाओं के पेपर लीक माने गए।
गुजरात में आठ साल में 14 पेपर लीक के मामले सामने आए।
उत्तर प्रदेश में 2017 से 2022 तक आठ मामले आए।
राजस्थान में पहले से सख्ती: उम्र कैद से लेकर 10 करोड़ का जुर्माना
राजस्थान रीट सहित अन्य परीक्षाओं के लीक होने पर सियासी पारा उफान पर रहा था। बेरोजगारों ने भी जमकर आंदोलन किए। इसके बाद पिछली सरकार की ओर से कानून लाया गया। इस कानून के तहत पेपर लीक पर उम्र कैद और पेपर लीक के नाम पर धोखाधड़ी में दस साल की कैद और 10 करोड़ के जुर्माने का प्रावधान किया गया। वहीं केन्द्र सरकार के कानून में दस साल तक जेल व एक करोड़ के जुर्माना का प्रावधान किया गया है।
पेपर लीक पूरे देश की बड़ी समस्या है। सरकार को इस मुद्दे पर सियासत करने के बजाय हकीकत में बेरोजगारों का दर्द जानने की कोशिश करनी होगी। राजस्थान में केन्द्र सरकार का कानून आने से पहले ही सख्त कानून लागू है। केन्द्र सरकार को इस समस्या के समाधान के लिए देशभर के विशेषज्ञों से राय लेकर नीति में कुछ और बदलाव करने चाहिए। पेपर लीक की समस्या खत्म होने पर ही बेरोजगारों को राहत मिल सकती है।-डॉ. एचआर कुड़ी, भर्ती विशेषज्ञ
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