
18 वर्ष तक के बच्चों की शिक्षा हो मुफ्त और अनिवार्य, तभी बाल विवाह का खात्मा संभव
बीकानेर अठारह वर्ष की उम्र तक सभी बच्चों को अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा साल 2030 तक देश से बाल विवाह के खात्मे में निर्णायक भूमिका निभा सकती है। गैरसरकारी संगठनों के गठबंधन बाल विवाह मुक्त भारत अभियान की ओर से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जारी एक शोधपत्र एक्सप्लोरिंग लिंकेजेज एंड रोल्स ऑफ एजुकेशन इन एलिवेटिंग एट मैरेज फॉर गर्ल्स इन इंडिया में इस तथ्य को उजागर किया गया है।
शोधपत्र के अनुसार, भारत बाल विवाह की बुराई के 2030 तक खात्मे की राह में एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। इस अध्ययन से जुड़े पुरुजीत प्रहराज के अनुसार, मौजूदा शिक्षा का अधिकार कानून में बदलाव कर 18 वर्ष तक शिक्षा अनिवार्य और निशुल्क कर दी जाए, तो यह बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में प्रयासों को नई गति दे सकता है। राजस्थान के अजमेर, बीकानेर, नागौर, चूरू व झुंझुनूं सहित 5 जिलों में इस शोधपत्र के निष्कर्षों को जारी करते हुए अभियान के सहयोगी संगठन राजस्थान महिला कल्याण मण्डल के निदेशक राकेश कुमार कौशिक ने कहा कि बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई को धार देने के लिए कुछ और अहम कदम उठाने की दरकार है।
आरएमकेएम संस्था की सचिव क्षमा आर. कौशिक ने कहा कि फिलहाल शिक्षा को शीर्ष प्राथमिकता देने की जरूरत है। बीकानेर जिला समन्वयक अमित कुमार ने बताया कि राजस्थान महिला कल्याण मण्डल की ओर से बीकानेर सहित अजमेर, नागौर, चुरू व झुंझुनूं जिलों में बाल विवाह की रोकथाम व जागरूकता के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
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