72 हजार विशेष आवश्यकता वाले बच्चे पढ़ाने को 5500 शिक्षक, नतीजा - 22,322 ने छोड़ दी पढ़ाई,यू-डाइस की ताजा रिपोर्ट में खुलासा, विशेष आवश्यकता वाले छात्रों से सरकार का सौतेला व्यवहार
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विशेष आवश्यकता वाले हजारों बच्चों के साथ दोगला व्यवहार किया जा रहा है। वर्तमान समय में सरकारी स्कूलों में करीब 72 हजार विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन इन्हें पढ़ाने के लिए महज करीब 5500 शिक्षक ही हैं। इनमें से भी 202 शिक्षक प्लेसमेंट संविदा पर हैं। ऐसे में हर साल स्कूलों से विशेष आवश्यकता वाले बच्चों का नामांकन भी घटता ही जा रहा है। प्रदेश में विशेष शिक्षकों के करीब 7100 पद स्वीकृत हैं। इनमें से भी वर्तमान समय में करीब 1500 पद खाली पड़े हैं। यू-डाइस की 2015-16 से 2022-23 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेशभर में बीते 8 वर्षों में सरकारी स्कूलों से विशेष आवश्यकता वाले 22322 बच्चों ने पढ़ाई ही छोड़ दी।
इस रिपोर्ट को देखकर लगता है सरकारों व शिक्षा विभाग की ओर से ऐसे बच्चों को ड्रॉप आउट होने से रोकने के लिए प्रयास तक नहीं किए गए। शिक्षा विभाग की ओर से यू-डाइस पोर्टल पर अपडेट डेटा के अनुसार 2015-16 में प्रदेशभर के स्कूलों में 94215 बच्चे थे। लेकिन 2022-23 तक ये आंकड़ा कम होकर 71893 तक पहुंच गया। 2023-24 सत्र का डेटा अभी तक यू-डाइस पर अपलोड नहीं किया गया है।
वर्ष 2015-16 में प्रदेश में 94 हजार छात्र पढ़ रहे थे, अब संख्या 71,893 ही रह गई
राज्य में दिव्यांग बच्चों के कल्याण लिए कई तरह की सरकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। सरकार की योजनाओं के तहत ऐसे बच्चों की पढ़ाई, किताबों, देखभाल सहित अन्य जरूरतें पूरी करने को अलग-अलग योजनाओं में फंड दिए जाते हैं, लेकिन यह नाकाफी है। लेकिन दूसरी ओर इनकी शिक्षा के मामले में परिणाम आशानुकूल नजर नहीं आ रहे हैं। प्रदेश में 22 हजार बच्चों का सरकारी स्कूल छोड़ना बड़ी चिंता का विषय है। राज्य में लाखों विशेष बच्चे हैं। लेकिन इनमें से 25 फीसदी तो स्कूलों तक पहुंच ही नहीं पा रहे। जबकि कुछ पहुंच जाते हैं, उन्हें भी न्यूनतम सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। इनकी शिक्षा के लिए विशेष शिक्षक नहीं मिल पाते हैं। सरकारें का दावा तो यहां तक करती हैं कि प्रदेशभर के सभी जिलों के स्कूलों में विशेष शिक्षक की नियुक्ति होगी, ताकि किसी भी स्कूल में विशेष बच्चे अपना दाखिला करवाकर समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकें। लेकिन अभी ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है
राज्य में 2015 के बाद द्वितीय श्रेणी विशेष शिक्षकों की कोई भर्ती नहीं की गई: राज्य
में 21 प्रकार की श्रेणी के लगभग 72 हजार + वि शेष आवश्यकता वाले बालक-बालिकाएं सरकारी स्कूलों में अध्यनरत हैं। इनमें से ज्यादा संख्या प्रार्येभक शिक्षा की है। प्रारंभिक शिक्षा में विशेष शिक्षकों की आज भी कमी है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 15 हजार विशेष शिक्षक होने चाहिए थे। लेकिन 2022 में थर्ड ग्रेड के 4500 पदों पर निकाली गई भर्ती में से आज भी बहुत से पद और 2015 में सेकंड ग्रेड की भर्ती में से कई पद खाली पड़े हैं। जो विशेष शिक्षक
सरकारी स्कूल में कार्यरत हैं वे सामान्य अध्यापक एल-1 एल-2 के पद विरुद्ध पदस्थापित हैं। राज्य सरकार को पीईईओ यूसीईओ स्तर पर एक-एक पद सृजित करते हुए उस क्षेत्र में अध्ययनरत विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों हेतु विशेष शिक्षकों की व्यवस्था करनी चाहिए। राज्य में 2015 के बाद द्वितीय श्रेणी विशेष शिक्षकों की कोई भर्ती नहीं की गई है।
शिक्षक संघ बोले- सरकार शिक्षा के लिए गंभीर नहीं, शासन सचिव- ऐसा कोई मामला मेरे ध्यान में नहीं
राज्य में विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों को शिक्षा देने हेतु विशेष शिक्षकों की भारी कमी है। गंभीर दोष वाले छात्रों को सरकार की ओर से होम बेस्ड एजुकेशन की व्यवस्था की गई है। राज्य सरकार ने 2014 से पूर्व केयर गिवर्स लगाए थे, लेकिन वर्तमान में पद नहीं होने के कारण बच्चों को ज्यादा लाभ नहीं मिल रहा।-भूपेंद्र स्वामी, प्रदेशाध्यक्ष,राजस्थान विशेष शिक्षक संघ
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विशेष आवश्यकता वाले बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं, ऐसा कोई मामला मेरे ध्यान में नहीं है। राज्य सरकार के द्वारा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए विभिन्न लाभकारी योजनाएं चलाई जा रही है। इन बच्चों को पढ़ाने के लिए भी अलग से व्यवस्था की गई है।-नवीन जैन, शासन सचिव
8 साल में बच्चों की संख्या घटी
सत्र------------प्रदेश---- ----जिला
2015-16-----94215------4239
2016-17-----87798-----3874
2017-18------91529-----3532
2018-19-------57563----2132
2019-20--------88457----3425
2020-21--------72885------3013
2021-22---------71716-----2980
2022-23----------71893-----2819
21 प्रकार की श्रेणी: पूर्ण
दृष्टि बाधित अल्प दृष्टि जिसमें कम दिखाई देता है।
कुष्ठ रोग मुक्त व्यक्ति में टेढ़ापन, त्वचा पर (अंगुलियां में टेव धब्बे, अंगुलियां सुन्न या चेहरा विकृत)
बधिर (70 डेसिबल तक नहीं सुनना) ऊंचा सुनने वाला व्यक्ति बौनापन (कद 4 फीट 10 इंच या 147 सेमी से कम) प्रमष्तिकीय पक्षाघात (सेरिब्रल पाल्सी) अंगों में जकड़न/विकृति, मुंह से लार गिरना मानसिक विमंदित
स्वपरायणता- खुद में खोए 6 के रु नेते को लग वाह ही किर बत हेतर डाब अल दो ओब लाय रहना, आंखें मिलाकर बात नहीं करना। मानसिक रुग्णता
चलन निःशक्तता (हाथ-पैर में निशक्तता, लकवा, पोलियो या हाथ-पैर कटना पार्किंसंस रोग
अधिगम अक्षमता- सीखने-समझने की कमजोरी, भाषा ज्ञान कमजोर वाक एवं भाषा दिव्यांगता पेशीय दुष्पोषण (मस्कुलर डिस्ट्रोफी )
थैलेसीमिया हीमोफीलिया सिकिल सेल डीजिज मल्टीपल स्कलेरोसिस तेजाब हमला पीड़ित बहु दिव्यांगता बधिरांधता सहित
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