65 हजार स्कूल में करीब 5600 कर्मचारी, कैसे स्वच्छ बनें स्कूल, 80 फीसदी स्कूलों में नहीं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी
सरकारी स्कूलों में करीब 30 साल से नहीं की गई चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नियुक्ति
चित्तौड़गढ़. देश में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए प्रयास हो रहे हैं। जिलों से लेकर शहरों तक की रैंकिंग निकाली जा रही है लेकिन, प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सफाई का जिम्मा शिक्षकों व विद्यार्थियों के भरोसे ही है। प्रदेश में करीब 30 साल से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की गई है। ऐसे में प्रदेश के 80 फीसदी से अधिक स्कूलों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियां के पद रिक्त है। दूसरी तरफ सफाई व्यवस्था के नाम पर स्कूलों को राशि भी बहुत कम मिलती है। ऐसे में बाहर से सफाई कर्मचारी लगाना भी संभव नहीं हो पाता है। हालांकि एसडीएमसी व एसएमसी के माध्यम से स्कूलों में सफाई कर्मचारी लगाए जाते हैं, लेकिन वे भी उस तरह का कार्य नहीं कर पाते, जैसा एक नियुक्त कर्मचारी पूरे दिन कर सकता है।
मिलती है बहुत कम राशि
सरकारी स्कूलों में स्वच्छता के लिए मिलने वाली राशि बेहद कम है। स्कूलों को 15 बच्चों तक 1250 रुपए सालाना राशि दी जाती है। वहीं 100 बच्चों तक 2500, 250 बच्चों तक 5000 रुपए व एक हजार बच्चों तक 7500 रुपए सालाना सफाई खर्च दिया जाता है। एक हजार से ज्यादा विद्यार्थी होने पर अधिकतम दस हजार रुपए सालाना तय है। इस राशि से पूरे साल स्कूल की सफाई कराना बेहद मुश्किल है।
कर्मचारियों की होनी चाहिए भर्ती
प्रदेश में 65 हजार से अधिक स्कूल हैं। इनमें से अधिकांश स्कूलों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नहीं हैं। शिक्षकों के साथ बच्चों को भी स्कूल में सफाई करनी पड़ रही है। सरकार को सभी स्कूलों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नई भर्ती निकालकर पद भरने चाहिए। कई स्कूलों में पानी भरने के लिए भी कार्मिक नहीं है। शिक्षकों व विद्यार्थियों को ही मटकी में पानी भरना होता है।-बसन्त कुमार ज्याणी, प्रदेश प्रवक्ता, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ, रेस्टा
पदनाम स्वीकृत कार्यरत रिक्त
लेब बॉय --1472 --242 --1230
जमादार --457-- 115-- 342
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी --27236-- 5643 ---21593
योग --29165-- 6000-- 23165
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