आरटीई के नियमों में उलझा क्वालिटी एजुकेशन का सपना,दूसरी जगह दाखिला वरीयता के आधार पर लेकिन, प्रूफ देना जरूरी
25 फीसदी सीटों को रिजर्व किया गया, इन पर आरटीई से प्रवेश
चित्तौड़गढ़. गरीब तबके के अभिभावकों का सपना होता है कि उनके बच्चे भी निजी स्कूलों में पढ़े। सरकार ने इस सपने को पूरा करने के लिए शिक्षा का अधिकार कानून बनाया। लेकिन, इसके कुछ नियम ही बच्चों की शिक्षा में बाधा बनए गए हैं।
आरटीई नियमों में साफ है कि दाखिले के समय शहरी क्षेत्र में स्कूल से संबंधित वार्ड तथा ग्रामीण क्षेत्र में स्कूल से संबंधित गांव में निवास करने वाले विद्यार्थियों को प्राथमिकता दी जाएगी। स्कूल जिस वार्ड, गांव में स्थित है, वहां से विद्यार्थी उपलब्ध नहीं होने पर ही शेष शहरी निकाय, ग्राम पंचायत के विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाएगा।
यूं होती है परेशानी
कई ग्रामीण इलाकों से लोग शहरों में रोजगार के लिए पलायन कर रहे हैं। अब शहर में एड्रेस प्रूफ के लिए उन्हें कई सालों की उपस्थिति दिखानी पड़ती है। ऐसे में अभिभावक बच्चों का आरटीई में दाखिला नहीं करवा पाते हैं। इसी तरह मजदूर भी इधर से उधर घूमते हैं। उनके बच्चों को भी आरटीई के तहत दाखिला नहीं मिल पाता है।
लाटरी से दाखिला
शिक्षा विभाग की ओर से निजी स्कूलों में दाखिला देने के लिए 25 फीसदी सीटों को रिजर्व किया गया हैए इन सीटों पर केवल आरटीई के माध्यम से विद्यार्थियों को दाखिला दिया जाएगाए लेकिन दाखिला देने के लिए अभिभावकों को वार्ड या गांव का प्रूफ देना होगा। उसके आधार पर निजी स्कूल विद्यार्थी को लॉटरी के माध्यम से दाखिला देगी।
कर दिए आदेश जारी
निजी स्कूलों में आरटीई के माध्यम से दाखिला देने के लिए विभाग की ओर से आदेश जारी कर दिए गए है। नियमों के अनुसार विद्यार्थियों को दाखिला दिया जाएगा।
राजेन्द्र शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा, चित्तौड़गढ़
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