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गुरुवार, 15 अगस्त 2024

प्रधानमंत्री मोदी का स्वतंत्रता दिवस भाषण सेक्युलर सिविल कोड से लेकर बांग्लादेश तक के महत्वपूर्ण संकेत

लाल किले पर स्पीच के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

 

प्रधानमंत्री मोदी का स्वतंत्रता दिवस भाषण सेक्युलर सिविल कोड से लेकर बांग्लादेश तक के महत्वपूर्ण संकेत


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से 11वीं बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इस बार का उनका 98 मिनट लंबा भाषण एक बार फिर स्पष्ट संकेतों से भरपूर था, जो दर्शाते हैं कि आगामी महीनों में भारत सरकार की दिशा क्या होगी। अपने भाषण में मोदी ने देशवासियों को यह संदेश दिया कि जो लोग मानते हैं कि लोकसभा चुनावों में सीटों की कमी के चलते उनकी सरकार कमजोर हो गई है या विवादास्पद फैसलों से दूर रहेगी, वे गलत हैं। मोदी ने अपने भाषण में सेक्युलर कोड, रिफॉर्म और बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाकर स्पष्ट किया कि उनकी सरकार पूरी ताकत और आत्म-विश्वास के साथ कार्य कर रही है और आगे भी करेगी।

प्रधानमंत्री ने यूनिवर्सल सिविल कोड (यूसीसी) को नया नाम 'सेक्युलर सिविल कोड' देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मौजूदा कानून एक 'कम्युनल सिविल कोड' है जो धर्म के आधार पर समाज में विभाजन करता है। उनका कहना था कि देश की संविधान और सुप्रीम कोर्ट की सलाह के बावजूद, धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाले कानूनों की जगह एक समान सिविल कोड की आवश्यकता है। उनके शब्दों से यह स्पष्ट था कि यूसीसी अब ठंडे बस्ते में नहीं जाएगा। बीजेपी इस मुद्दे को पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ाएगी, भले ही इसके लिए राजनीतिक दबाव या सहयोगी दलों के विरोध का सामना करना पड़े।

मोदी ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमलों और मंदिरों की तोड़फोड़ पर भी ध्यान दिलाया। बांग्लादेश का नाम लिए बिना, उन्होंने कहा कि भारत को पड़ोसी देश में हो रही घटनाओं पर चिंता है और इस मुद्दे पर भारत की स्थिति को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हालात जल्द सुधारने की उम्मीद है और वहां हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। पीएम मोदी ने भारत के शांति और विकास के प्रति समर्पण को दर्शाते हुए कहा कि भारत हमेशा बांग्लादेश के विकास के साथ खड़ा रहेगा। उनके शब्दों में एक अप्रत्यक्ष चेतावनी भी थी कि बांग्लादेश की स्थिति पर भारत की निगरानी बनी रहेगी, और यह बयान बांग्लादेश के नेताओं के लिए स्पष्ट संकेत था।

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को लेकर भी मोदी ने स्पष्टता दिखाई। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही लड़ाई को किसी भी कीमत पर जारी रखेगी, भले ही इसके चलते उनकी प्रतिष्ठा पर असर पड़े। मोदी ने सीबीआई और ईडी की कार्रवाई की पुष्टि की और स्पष्ट किया कि ये संस्थाएं अपने तरीके से काम करती रहेंगी। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाए गए कदम उनके लिए व्यक्तिगत प्रतिष्ठा से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं और उन्होंने कहा कि विपक्ष के आरोपों और आलोचनाओं के बावजूद, उनकी सरकार भ्रष्टाचार के मामलों में कोई ढील नहीं देगी।

पीएम मोदी ने रिफॉर्म्स पर भी जोर दिया और कहा कि उनकी सरकार ने जो बड़े सुधार किए हैं, वे समाज के विभिन्न वर्गों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए हैं। उन्होंने कहा कि इन सुधारों की प्रतिबद्धता राजनीति की मजबूरी से नहीं, बल्कि देश की मजबूती के इरादे से है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रिफॉर्म्स केवल वाहवाही के लिए नहीं, बल्कि देश को सशक्त बनाने के लिए किए जा रहे हैं। मोदी ने आर्थिक सुधारों से लेकर कानूनी सुधारों तक, जैसे यूसीसी और वक्फ बोर्ड बिल, पर तेजी से काम करने की आवश्यकता पर बल दिया।

लोकसभा चुनावों में युवा वर्ग के निर्णायक वोटों की बात करते हुए, मोदी ने शिक्षा और रोजगार पर विशेष ध्यान देने की बात की। उन्होंने ग्रीन एनर्जी से जुड़े रोजगार, नालंदा स्प्रिट के विकास और 75,000 मेडिकल सीटों को बढ़ाने की योजनाओं की चर्चा की। उनका उद्देश्य यह था कि देश के युवाओं को बेहतर अवसर प्रदान किए जाएं और रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएं। नालंदा यूनिवर्सिटी के पुनर्निर्माण का उल्लेख करते हुए, मोदी ने शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की दिशा पर भी प्रकाश डाला। उनका मानना था कि नालंदा स्प्रिट को फिर से जगाना आवश्यक है, जिससे कि विश्वस्तरीय शिक्षा संस्थानों की स्थापना की जा सके और शिक्षा को रोजगार परक बनाया जा सके।

प्रधानमंत्री ने यह भी संकेत दिया कि उनके नेतृत्व में भारत अगले छह महीनों में कई महत्वपूर्ण राजनीतिक और आर्थिक बदलाव देखने वाला है। उनके भाषण से यह साफ था कि उनकी सरकार किसी भी तरह की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है और वे हर मुद्दे पर मजबूत स्थिति में हैं। उनके भाषण का लब्बो-लुआब यह था कि भारत के विकास, सुधार और शांति की दिशा में सरकार का दृष्टिकोण स्पष्ट है और आगामी महीनों में इस दिशा में तेजी से काम होगा।

इस भाषण से यह भी स्पष्ट हो गया कि नरेंद्र मोदी का नेतृत्व किसी भी प्रकार की राजनीतिक या सामाजिक दबाव के सामने नहीं झुकेगा। वे अपने राजनीतिक और आर्थिक एजेंडे को लागू करने में पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं, और यह सुनिश्चित करने के लिए कि देश में हर क्षेत्र में सुधार हो, वे कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। मोदी का यह संदेश पूरी तरह से स्पष्ट था कि उनकी सरकार अगले कुछ महीनों में महत्वपूर्ण निर्णय लेने और कार्यान्वयन में जुटी रहेगी, जिससे देश की स्थिति को और मजबूत किया जा सके।


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