संपत्तियों का ब्योरा न देने पर वेतन रोकने के निर्देश
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में निकाय कर्मियों के लिए एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया गया है। अपर निदेशक स्थानीय निकाय, ऋतु सुहास ने सभी नगर आयुक्तों और अधिशासी अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जिन कर्मियों ने अपनी चल-अचल संपत्तियों का ब्योरा नहीं दिया, उनका वेतन रोक दिया जाएगा। यह कदम सरकारी पारदर्शिता को बढ़ावा देने और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए उठाया गया है।
संपत्ति का विवरण देना अनिवार्य
अपर निदेशक ने कहा कि सभी स्थानीय निकाय कर्मियों को अपनी संपत्तियों का विवरण देना अनिवार्य है। यह विवरण 30 सितंबर 2023 तक मानव संपदा पोर्टल पर ऑनलाइन फीड करना होगा। यदि कोई कर्मी इस निर्धारित समय सीमा तक अपना विवरण ऑनलाइन नहीं करता है, तो उसे सितंबर माह का वेतन नहीं मिलेगा। इस आदेश का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों के संपत्ति विवरण में पारदर्शिता लाना है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी कर्मचारी अवैध संपत्ति का मालिक न हो।
वेतन रोकने की प्रक्रिया
नगर आयुक्तों और अधिशासी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे इस आदेश का पालन सुनिश्चित करें। यदि कोई कर्मी संपत्ति का विवरण नहीं देता है, तो उसका वेतन रोकने की प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाएगी। इससे पहले, कर्मचारियों को उनके संपत्ति विवरण को समय पर देने के लिए कई बार सूचित किया गया था, लेकिन इसके बावजूद कुछ कर्मियों ने इसे नजरअंदाज किया है। ऐसे में अब इस निर्णय के माध्यम से सख्ती बरती जा रही है।
कर्मचारियों की प्रतिक्रिया
इस आदेश पर विभिन्न कर्मचारियों की प्रतिक्रिया मिश्रित रही है। कुछ कर्मचारी इसे उचित मानते हैं और कहते हैं कि यह कदम सरकारी कार्यों में पारदर्शिता लाने में मदद करेगा। वहीं, कुछ कर्मचारी इसे अनुचित मानते हैं, यह कहते हुए कि उन्हें उचित समय नहीं दिया गया।
उच्च अधिकारियों की भूमिका
इस आदेश के पीछे उच्च अधिकारियों की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी कर्मचारी इस प्रक्रिया का पालन करें। इसके लिए नगर आयुक्तों और अधिशासी अधिकारियों को नियमित रूप से समीक्षा करनी होगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी कर्मियों ने समय पर अपने संपत्ति विवरण प्रस्तुत किए हैं।
भविष्य की योजनाएं
अपर निदेशक ने यह भी कहा कि भविष्य में संपत्तियों का ब्योरा देने की प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाया जाएगा। इसके लिए तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिससे सभी कर्मी सही तरीके से अपनी संपत्तियों का विवरण भर सकें।
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