महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की समीक्षा के सम्बन्ध में उठे सवाल
राजस्थान सरकार द्वारा जिले, ब्लॉक और मांग के आधार पर कई हिंदी माध्यम स्कूलों को महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में परिवर्तित किया गया है, लेकिन इस बदलाव से जुड़े कई मुद्दे सामने आ रहे हैं। हिंदी माध्यम में अध्ययन करने वाले बच्चों को प्राथमिकता से अंग्रेजी माध्यम में प्रवेश दिया जाता है। वहीं, जो बच्चे हिंदी माध्यम में ही शिक्षा जारी रखना चाहते हैं, उन्हें टीसी काटकर पास के अन्य हिंदी माध्यम स्कूलों में भेजने का निर्देश दिया जाता है।इस परिवर्तन के बाद से, कई हिंदी माध्यम के विद्यार्थी मजबूरी में अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं, क्योंकि उनके घर के पास कोई हिंदी माध्यम सरकारी स्कूल उपलब्ध नहीं है। इसके परिणामस्वरूप, उन्हें प्राइवेट स्कूलों में महंगी शिक्षा लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग की 14-8-2014 की अधिसूचना के तहत बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान किया गया है, लेकिन हिंदी माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चों को उचित शिक्षा नहीं मिल पा रही है। सरकार की अधिसूचना में यह स्पष्ट किया गया था कि, कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों के लिए स्कूल उनके घर से एक किलोमीटर की पैदल दूरी पर होने चाहिए और कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों के लिए यह दूरी दो किलोमीटर तक होनी चाहिए।
संगठन ने सरकार से आग्रह किया है कि, (1) सरकार द्वारा अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तित किए गए स्कूलों को फिर से हिंदी माध्यम में परिवर्तित किया जाए और इस प्रक्रिया का आंकलन किया जाए। (2) अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में 5 शिक्षक 1-1 के साथ ही हिंदी माध्यम के लिए 2 शिक्षक 1-1 के पद निर्धारित किए जाएं, ताकि बच्चे हिंदी माध्यम से भी शिक्षा प्राप्त कर सकें। (3) उन स्कूलों का आंकलन किया जाए, जहां पर्याप्त छात्र, शिक्षक और भवन की कमी के कारण शिक्षा का स्तर प्रभावित हो रहा है। यह सभी मुद्दे शिक्षा के अधिकार और बच्चों के उज्जवल भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं।
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