प्रदेश में अब फ्लैट, जमीन, मकान वन दुकान आदि भू-सम्पत्तियां की मालियत के आधार पर स्टांप शुल्क का निर्धारण जिलाधिकारी के स्तर से किया जाएगा। इससे जहां संपत्ति रिजस्ट्री कराते समय स्टांप शुल्क तय करने को लेकर होने वाले विवाद खत्म होंगे, वहीं एक मालियत की संपत्ति के स्टांप शुल्क में एकरुपता आएगी। स्टांप एवं रजिस्ट्री विभाग द्वारा रखे गए ‘संपत्ति मूल्यांकन नियामवली-1997’ में संशोधन प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
स्टाम्प व पंजीयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल ने बताया कि कैबिनेट के इस महत्वपूर्ण निर्णय के बाद अब प्रदेश में भू-सम्पत्तियों की कीमत तय करने और रजिस्ट्री करवाते समय उस पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क को तय करने में विवाद नहीं होंगे और इस मुद्दे पर होने वाले मुकदमों की संख्या घटेगी। उन्होंने बताया कि अब कोई भी व्यक्ति प्रदेश में कहीं भी कोई जमीन, मकान, फ्लैट, दुकान आदि खरीदना चाहेगा
तो सबसे पहले उसे संबंधित जिले के जिलाधिकारी को एक प्रार्थना पत्र देना होगा और साथ ही ट्रेजरी चालान के माध्यम से कोषागार में 100 रुपये का शुल्क जमा करना होगा। उसके बाद डीएम लेखपाल से उस भू-सम्पत्ति की डीएम सर्किल रेट के हिसाब से मौजूदा कीमत का मूल्यांकन करवाएंगे। उसके बाद उस सम्पत्ति की रजिस्ट्री पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क का भी लिखित निर्धारण होगा।
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