दिल्ली विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति के तहत चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम पर फिर विवाद
दिल्ली विश्वविद्यालय में एक बार फिर चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम विवादों में है। इस बार यह पाठ्यक्रम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत किए जाने वाले प्रावधानों के तहत हो रहा है। डीयू प्रशासन द्वारा चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को लेकर कॉलेजों के प्रिंसिपल व विभागाध्यक्षों को प्रारूप भेजा गया है उसमें विकल्प दिया गया है। इसका सभी शिक्षक संगठनों ने विरोध किया है। इसमें 184 क्रेडिट व 164 क्रेडिट का प्रावधान है।
डीयू के नव नियुक्त कुलपति प्रो.योगेश सिंह को सभी शिक्षक संगठनों ने अलग अलग पत्र लिखा है। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ की तरफ से इस बारे में अभी तक कोई मत स्पष्ट नहीं है। हालांकि नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के अध्यक्ष की तरफ कुलपति को लिखे पत्र में कहा गया है कि एनडीटीएफ स्पष्ट रूप से और सर्वसम्मति से दो नए प्रस्ताव को अस्वीकार करता है। दो नए प्रस्तावित दस्तावेज अकादमिक परिषद और कार्यकारी परिषद द्वारा पारित दस्तावेजों से भिन्न हैं और इसलिए भ्रम पैदा करते हैं। उधर डेमेक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाया है उनका कहना है कि इसे फिर से लाया जा रहा है और यह नई तरह की परेशानियां उत्पन्न करने वाला है।
डीटीएफ की अध्यक्ष नंदिता नारायण का कहना है कि हमने पहले भी इसका विरोध किया था और अब भी करते हैं। उधर एकेडमिक फार एक्शन एंड डेवलेपमेंट के पदाधिकारी डा.राजेश झा का कहना है कि नई शिक्षा नीति के तहत लाया जा क्रेडिट का यह प्रारूप पूरी तरह से शिक्षकों वर्कलोड को प्रभावित करेगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक तरफ जहां तदर्थ शिक्षकों के समायोजन की मांग हो रही है वहीं दूसरी तरफ उनकी नौकरी को खतरे में डाला जा रहा है।
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