पुरानी पेंशन बहाली समेत अन्य कई मांगों को लेकर शुरू हुआ प्रदर्शन
लुआक्टा महामंत्री अंशू केडिया ने बताया कि गुरुवार की सुबह लखनऊ के अलावा हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर और रायबरेली में भी लखनऊ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध 500 से ज्यादा कॉलेजों के लगभग 2 हजार शिक्षक इस आंदोलन में शामिल हो गए। शिक्षकों ने काला फीता बांधकर काम शुरू किया और बीच में क्लास से ब्रेक मिलने पर एकत्रित होकर अपनी बात भी रखी। लखनऊ में शिया पीजी कॉलेज, जेएनपीजी, डीएवी, मुमताज पीजी कॉलेज, नेशनल पीजी कॉलेज समेत लगभग सभी जगह के शिक्षक आंदोलन में शामिल हुए। लुआक्टा अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडेय ने बताया कि उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा के शिक्षक लम्बे समय से अपनी मांगो के लिए शासन से आग्रह कर रहे है लेकिन अभी तक उनकी मांगों पर सुनवाई नहीं हुई है,
जिससे शिक्षको में निराशा है। बीती पांच अक्टूबर को प्रदेश के सभी शिक्षक इसके लिए सामूहिक अवकाश पर भी थे और अपने विश्वविद्यालय मुख्यालय पर धरना दिया था। लेकिन शिक्षकों की समस्याओं का निस्तारण नहीं हुआ और 1 नवम्बर 2021 को प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति के लिए विसंगतिपूर्ण शासनादेश जारी कर दिया गया। इसी कारण से लुआक्टा कार्यकारिणी की बैठक बीती 3 दिसम्बर बुलाई गई, जिसमें आंदोलन का निर्णय लिया गया। इसके प्रथम चरण में 9,10 व 11 दिसम्बर को शिक्षक काला फीता बांधकर काला दिवस मनाएंगे। वहीं दूसरे चरण में 13, 14 और 15 दिसम्बर को काला फीता बांधकर काला दिवस मनाने के साथ-साथ कक्षाओं के बाद 30 मिनट तक महाविद्यालयों में धरना दिया जाएगा। इसके पश्चात भी यदि समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो लखनऊ विश्वविद्यालय की सेमेस्टर परीक्षाओं का बहिष्कार किया जाएगा। इससे छात्रों के होने वाले नुकसान की जिम्मेदार प्रदेश सरकार होगी।
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