बजट 2022 की 7 चुनौतियां, महंगाई, रोजगार, विनिवेश, रुपया, कच्चा तेल, निर्यात और विदेशी निवेशक
क्या बजट में इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव होग? क्या स्टैंडर्ड डिडक्शन एक लाख होगा? 80 सी में और छूट मिलेगी? ऐसे जानें अनगिनत सवाल नौकरीपेशा लोगों के मन में हैं। ऐसे ही किसानों के मन में भी बजट से लेकर बहुत सारे सवाल हैं। जैसे क्या किसान सम्मान निधि की राशि बढ़ेगी? क्या बजट में खाद, बीज, फसल बीमा, या इनकम बढ़ाने के लिए कोई नई योजाना आएगी? लेकिन, इन सवालों और पब्लिक की उम्मीदों के बीच सरकार के पास दूसरी तरह की चुनौतियां हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2022-23 का आम बजट पेश करेंगी। वित्त मंत्री के सामने कोरोना से प्रभावित अर्थव्यवस्था में मजबूती लाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत होगी। इस बार बजट में 7 प्रमुख चुनौतियों पर फोकस किया जा सकता है..
1- महंगाई
घरेलू स्तर पर महंगाई एक चिंता का विषय बना हुआ है। दिसंबर 2021 में देश में खुदरा महंगाई दर पांच महीने के उच्च स्तर 5.59 फीसदी थी। वहीं, खुदरा महंगाई दर भी 13.56 फीसदी थी। आर्थिक विशेषज्ञों के साथ आम जनता भी महंगाई में कमी लाने की बात कर रहे हैं। ऐसे में वित्त मंत्री पर महंगाई को काबू करने वाले कदम उठाने का दबाव होगा।
2- रोजगार
कोरोना महामारी के बाद लोगों की नौकरियां जाने से इस समय देश में बेरोजगारी बड़ा मुद्दा बना हुआ है। विशेषज्ञ भी अर्थव्यवस्था में मजबूती लाने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार से जोड़ने की सलाह दे रहे हैं। दिसंबर 2021 में देश में बेरोजगारी दर 7.91 फीसदी पर थी। ऐसे में बजट में रोजगार बढ़ाने वाले उपायों पर फोकस रहने की संभावना है।
3- विनिवेश
कोरोना के कारण सरकार पर आर्थिक बोझ पड़ा है। सरकार का खजाना खाली है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले बजट में विनिवेश के जरिए 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य तय किया था, लेकिन इसमें से अभी तक सिर्फ 12,029 करोड़ रुपए ही जुटाए जा सके हैं। सरकार अगले साल विनिवेश के जरिए ज्यादा से ज्यादा पैसा जुटाने के लिए भी बड़े ऐलान कर सकती है।
4- रुपया
डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत लगातार कमजोर बनी हुई है। इसकी वजह से आयात पर ज्यादा लागत आती है और विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ता है। सरकार लगातार रुपये में मजबूती लाने की बात कहती रही है, लेकिन इसमें ज्यादा सफलता मिलती नहीं दिख रही है। ऐसे में इस बार रुपये में मजबूती के लिए कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
5- निर्यात
सरकार लंबे समय से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं। इसमें विभिन्न सेक्टर्स के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) जैसी योजनाएं प्रमुख हैं। हालांकि, अभी निर्यात को बढ़ाने में उम्मीद के अनुसार सफलता नहीं मिल पाई है। अप्रैल से दिसंबर 2021 के दौरान 443.82 अरब डॉलर का आयात किया गया है जबकि निर्यात 301.38 अरब डॉलर ही रहा। ऐसे में व्यापार घाटे में कमी लाने के लिए बड़ी घोषणाएं हो सकती हैं।
6- कच्चा तेल
यूक्रेन-रूस के बीच तनाव, मांग-आपूर्ति में अंतर और सप्लाई बाधित होने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 90 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बनी हुई हैं। पांच राज्यों में चल रहे चुनाव के कारण सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं कर रही हैं। भविष्य में पेट्रोल-डीजल महंगे होते हैं तो इसका महंगाई पर सीधा असर होगा। ऐसे में वित्त मंत्री के सामने महंगे कच्चे तेल से निपटने की चुनौती भी होगी।
7- विदेशी निवेशक
सरकार विभिन्न सेक्टर्स में विकास पर फोकस कर रही है। इसके लिए पैसे की जरूरत होती है। विकास कार्यों के लिए ज्यादा से ज्यादा पैसा जुटाने के लिए लंबे समय से विदेशी निवेशकों को लुभाया जा रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार के विभिन्न-मंत्रालय दूसरे देशों में अभियान भी चला रहे हैं। ज्यादा विदेशी निवेशकों को लुभाने के लिए वित्त मंत्री टैक्स छूट समेत अन्य लाभों का ऐलान भी कर सकती हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें