विशेष शिक्षक भर्ती : हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा- क्या खाली पदों को भरने के लिए बढ़ा सकते हैं उम्रसीमा?
कई प्रयासों के बाद भी दिल्ली के सरकारी और नगर निगम के स्कूलों में मूक, बधिर, दृष्टिहीन और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को समुचित शिक्षा मुहैया कराने के लिए विशेष शिक्षकों की खाली सीटों को नहीं भरा जा रहा है क्योंकि योग्य उम्मीदवार नहीं मिल पा रहा है। अब हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से यह बताने के लिए कहा है कि क्या विशेष शिक्षकों की नियुक्ति में अधिकतम उम्रसीमा को बढ़ाया जा सकता है।
जस्टिस राजीव शकधर और तलवंत सिंह की बेंच ने यह आदेश लाल बहादुर व अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर विचार करते हुए दिया है। याचिका में उन्होंने खाली सीटों को भरने के लिए अधिकतम उम्रसीमा और केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) से छूट देने की मांग की है। कोर्ट ने सरकार की ओर से वकील अवनीश अहलवात को सक्षम अधिकारियों इस बारे में दिशा-निर्देश लेने को आदेश दिया है कि क्या विशेष शिक्षकों की नियुक्ति में अधिकतम उम्रसीमा को बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही बेंच ने दिल्ली सरकार और दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) से यह बताने के लिए कहा है कि विशेष शिक्षकों की कितनी सीटें खाली हैं और कितनी भरी गई हैं।
कोर्ट ने इस बारे में सरकार को इस मामले की अगली सुनवाई 6 मई से पहले जवाब दाखिल करने को कहा है। बेंच ने विशेष शिक्षक की नियुक्ति के लिए 2013 में आयोजित परीक्षा में सफल होने वाले लाल बहादुर व अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील अनुज अग्रवाल ने बेंच को बताया कि कई प्रयासों के बाद भी डीएसएसएसबी विशेष शिक्षकों की नियुक्ति को पूरा नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर विशेष शिक्षकों की सीटें खाली हैं और दूसरी तरफ भर्ती परीक्षा में सफल होने के बाद भी अधिकतम उम्रसीमा बीत जाने की वजह से कई आवेदक नियुक्ति से वंचित हैं।
उन्होंने कहा कि विशेष शिक्षक बनने के लिए विशेष पाठ्यक्रम पूरा करने वाले अभियर्थियों की उम्रसीमा बीत जाने की वजह से वे शिक्षक नहीं बन पा रहे हैं और दूसरी तरफ बड़े पैमाने पर सीटें खाली है। वकील अग्रवाल ने बताया कि सरकार ने वर्ष 2020 में प्रवीण खत्री के मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर शिक्षकों की नियुक्ति में सीटीईटी और उम्रसीमा में छूट दिया है, ऐसे में इसी आधार पर याचिकाकर्ताओं को भी छूट दी जाए।दूसरी तरफ सरकार की ओर से वकील अवनीश अहलावत ने बेंच को बताया कि याचिकाकर्तओं के पास कटआफ तारीख को विशेष शिक्षक बनने के लिए समुचित योग्यता नहीं है, ऐसे में उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दी जा सकती।
यह है मामला
दिल्ली सरकार ने अपने स्कूलों में मूक, बधिर, दृष्टिहीन और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को समुचित शिक्षा देने के लिए विशेष शिक्षकों नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था। डीएसएसएसबी ने वर्ष 2013 में परीक्षा आयोजित की। भर्ती परीक्षा में सफल होने के बाद भी सीटीईटी नहीं होने की वजह से याचिकाकर्तओं को नियुक्ति नहीं मिली। भर्ती के लिए जारी विज्ञापन के अनुसार, आवदेकों को मार्च, 2013 से पहले, सीटीईटी पास होना अनिवार्य था। योग्य आवेदक नहीं मिलने की वजह से बड़े पैमाने पर सीटें खाली रह गईं। याचिकाकर्ताओं ने अब कहा कि है कि चूंकि अब उन्होंने सीटीईटी पास कर ली है और सीटें भी खाली हैं तो उन्हें विशेष शिक्षक नियुक्त किया जाए। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने कुछ समय पहले तक कई आवेदकों को राहत देकर विशेष शिक्षक के पद पर नियुक्ति दी है।
कब कितनी भर्ती निकलीं
2011 में 858 सीटों पर भर्ती निकाली गई। बाद में भर्ती रद्द कर दी गई
2013 में 927 सीटों पर भर्ती निकाली गई। सिर्फ 214 सीटें भरी गईं
2014 में 670 सीटों पर भर्ती निकाली गई। सिर्फ 238 सीटें भरी गईं
2017 में 1329 सीटों पर भर्ती निकाली गई। सिर्फ 281 भरी गईं
2020 में 1326 सीटों पर भर्ती निकाली गई। सिर्फ 540 सीटें भरी गईं
याचिकाकर्ता ने यह जानकारी देते हुए बेंच को बताया कि अधिकतम उम्र सीमा महज 30 साल रखे जाने की वजह से योग्य आवेदक नहीं मिल रहे हैं। इसकी वजह से सीटें नहीं भरी जा रही हैं।मॉडर्न इंडियन लैंग्वेजेज अध्यापक परिवार (मिलाप) के महासचिव शम्स उद्दीन ने कहा कि दिल्ली में शिक्षक भर्तियों में अधिकतम उम्रसीमा बाकी राज्यों की तुलना में सब से कम है। उन्होंने कहा कि यहां पर पदवार आयु सीमा की विसंगतियां भी हैं जिनमें सुधार, समानता और आयु सीमा बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अधिकतम उम्र सीमा काम होने की वजह से ही सालों से विशेष शिक्षकों सीटें खाली रह जा रही हैं। इसे बढ़ाए जाने की जरूरत है।
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