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शनिवार, 5 मार्च 2022

UPPSC: शासन ने पीसीएस संवर्ग में लेटरल इंट्री से नियुक्ति का विचार छोड़ा, 2 मार्च को संशोधित कार्यवृत्त जारी



UPPSC :शासन ने पीसीएस संवर्ग में लेटरल इंट्री से नियुक्ति का विचार छोड़ा, 2 मार्च को संशोधित कार्यवृत्त जारी

शासन ने पीसीएस अधिकारियों के रिक्त पदों के सापेक्ष 10 प्रतिशत पदों को अन्य विभागों से स्थानांतरण सेवा व लेटरल इंट्री के जरिए भरने का विचार छोड़ दिया है। प्रतिष्ठित अखबार में खबर छपने के बाद अफसरशाही को बैकफुट पर आना पड़ा। लेटरल इंट्री से रिक्ति भरने संबंधी विचार को त्यागते हुए संशोधित दिशानिर्देश जारी कर दिया गया है।

मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने 1 फरवरी, 2022 को विविध सेक्टर के अंतर्गत वित्त, कार्मिक, नियुक्ति, नियोजन, न्याय व प्रशासनिक सुधार विभाग के अधिकारियों का प्रस्तुतीकरण देखा था। इस बैठक में दिए गए निर्देशों से संबंधित कार्यवृत्त 11 फरवरी को जारी हुआ। इस कार्यवृत्त में कार्मिक विभाग के अंतर्गत आखिरी बिंदु में निर्देशित किया गया था कि ‘पीसीएस अधिकारियों के रिक्त पदों के सापेक्ष 10 प्रतिशत पदों को भरे जाने हेतु अन्य विभागों से स्थानांतरण सेवा, लेटरल इंट्री के माध्यम से नियुक्ति हेतु विचार कर प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाए।प्रतिष्ठित अखबार में  खबर छपते ही हड़कंप मच गया। कई जगह युवाओं ने शासन के इस विचार के खिलाफ आक्रोश जताया। सोशल मीडिया पर भी मुखर विरोध शुरू हो गया।  

बताया जा रहा है कि शीर्ष स्तर से बिना सम्यक विचार-विमर्श युवाओं को भड़काने वाले विचार को आगे बढ़ाने की कोशिश की गई थी। बीच चुनाव इस तरह की हरकत पर नाराजगी जताए जाने के बाद अफसरों ने इस खबर को झुठलाने की कोशिश शुरू कर दी। 23 फरवरी को लखनऊ में चुनाव के दिन अवकाश होने के बावजूद दफ्तर खोलकर माथापच्ची कर सफाई जारी की गई। कहा गया, नियुक्ति विभाग में पीसीएस संवर्ग में अन्य विभागों से सेवा स्थानांतरण व लेटरल इंट्री के माध्यम से पेशेवरों की नियुक्ति का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। 

मगर इस लीपापोती से बात बनने वाली नहीं थी। लिखापढ़ी में दिए गए निर्देश पर अमल तब तक रुकना संभव नहीं था, जब तक लिखापढ़ी में उस विचार को हटाने का आदेश न हो। आखिरकार दो मार्च को गत 11 फरवरी को जारी कार्यवृत्त को संशोधित कर नया आदेश जारी किया गया। संशोधित कार्यवृत्त में लेटरल इंट्री के माध्यम से नियुक्ति संबंधी बिंदु को हटा दिया गया है। अपर मुख्य सचिव कार्मिक को संशोधित कार्यवृत्त में दिए गए बिंदुओं पर कार्यवाही को निर्देशित किया गया है। इस तरह शासन ने अपना विवादित कदम वापस खींच लिया है।

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