नौकरी के लिए लखनऊ के ईको गार्डेन में प्रदर्शन:सीएम, शिक्षामंत्री और जज ने भी माना अन्याय हुआ; अभ्यर्थी बोलीं- घुट-घुट के जीने से अच्छा है मर जाऊं
लखनऊ के ईको गार्डेन में 69000 शिक्षक भर्ती के 6800 अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे हैं। बुधवार को करीब 2000 अभ्यर्थी शिक्षा मंत्री संदीप सिंह से मिलने पहुंचे। लेकिन वह नहीं मिले। एक दिन पहले भी ये अभ्यर्थी संदीप सिंह के आवास पर जा रहे थे, तब रास्ते में ही पुलिस ने रोक लिया था। हालांकि कुछ लोग शिक्षा मंत्री के पास पहुंच गए थे। अभ्यर्थियों का कहना है कि जब सब कुछ सही है, हम योग्य हैं तो फिर हमें 2 साल से नियुक्ति क्यों नहीं दी जा रही?
हमारी सीट दूसरे को देकर हमें बेरोजगार छोड़ दिया
आंदोलन में शामिल होने कन्नौज से अनामिका कटियार भी आई हैं। वह कहती हैं, "सरकार ने माना कि भर्ती में गलती हुई है। योग्य लोगों के स्थान पर गलत लोगों की नियुक्ति हुई है। हम पिछड़े वर्ग से हैं इसलिए हमें ये कूड़े का ढेर समझते हैं। अब बताइए, हम अपनी सीट के लिए कहां जाएं? हम तो यह भी नहीं चाहते कि जिन्हें नौकरी दी है उन्हें हटाएं। सरकार ने न्यूमेरिक की बात कही, हम इस पर भी राजी हो गए लेकिन फिर भी नियुक्ति नहीं दे रहे।"
अनामिका बोलते-बोलते भावुक हो गई, वह कहती हैं, "मेरी 9 महीने की बेटी है, उसे निमोनिया हो गया है। घर छोड़कर यहां भटक रही हूं। अब किसी परीक्षा की तैयारी में मन भी नहीं लगता। परिवार के लोग अलग से ताना मारते हैं। इसलिए अब प्रण लिया है कि यहां से खाली हाथ नहीं जाऊंगी। रोज घुट-घुट के जीने से अच्छा है कि मर ही जाऊं।"
कोई जेंट्स पुलिस दुपट्टा खींच रहा तो कोई सूट
आंदोलन में शामिल होने भदोही की माधुरी भी आई हैं। वह बताती हैं, "शिक्षा मंत्री के आवास पर थी तो पुलिस वालों ने घेरकर गाड़ी में बैठाना शुरू कर दिया। मेरा दुप्पटा गले में लगा था, उसे इतनी जोर से खींच रहे थे कि लगा आज मर ही जाऊंगी। इसी दौरान कोई मेरा सूट भी खींच रहा था। कह रहे थे, इसे उतारो, इसे उतारो। ये लोग इतने अत्याचार पर उतारू हो गए हैं। इन्हें बहन बेटियां भी नहीं दिख रहे।"
शिक्षा मित्रों के समायोजन के रद्द होने से शुरू हुई थी भर्ती
25 जुलाई 2017, सुप्रीम कोर्ट ने प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक बने शिक्षा मित्रों के समायोजन को रद्द कर दिया। इससे वह दोबारा शिक्षा मित्र बन गए। सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को आदेश दिया कि जल्द से जल्द सहायक अध्यापकों के पद भरे जाएं। सरकार ने कहा, हम एक बार में इतनी भर्ती नहीं कर पाएंगे, दो बार में करेंगे। सरकार ने पहले 2018 में 68500 पदों के लिए भर्ती निकाली। इसमें भी 22 हजार पद नहीं भरे गए। हालांकि इस भर्ती पर आरक्षण से जुड़ा कोई सवाल नहीं खड़ा हुआ।
69000 भर्ती निकली तो कटऑफ को लेकर विवाद हो गया
6 जनवरी 2019, योगी सरकार ने 69 हजार पदों को भरने के लिए भर्ती निकाली। इस भर्ती में जनरल का कटऑफ 67.11% था। ओबीसी वर्ग का कटऑफ 66.73% था। लेकिन ओबीसी वर्ग के जो अभ्यर्थी जनरल के कटऑफ के ऊपर थे उन्हें भी ओबीसी आरक्षण कोटे का हिस्सा माना गया। जबकि बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 कहती है, अगर ओबीसी वर्ग का अभ्यर्थी जनरल कटऑफ से अधिक नंबर पाता है तो उसे जनरल कोटे में नौकरी मिलेगी न कि ओबीसी कोटे से।
27% की जगह महज 3.86% ही आरक्षण मिला
लखनऊ में प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का दावा है कि इस भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण के बजाय महज 3.86% ही आरक्षण मिला। जिन 31 हजार अभ्यर्थियों को नियुक्ति मिली है उसमें करीब 29 हजार लोग ऐसे थे जो जनरल कोटे की सीट पाने के हकदार थे। अभ्यर्थियों का दावा यह भी है कि एससी वर्ग में भी 21% के बजाय 16.6% ही आरक्षण मिला है। इस पूरी भर्ती में 19 हजार सीटों का हेरफेर हुआ है। पिछड़ा आयोग ने भी भर्ती में घोटाले की बात मानी है।
अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन शुरू किया तो सरकार झुक गई। 24 दिसंबर 2021 को उस वक्त के शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने माना कि आरक्षण के मानक का पालन नहीं हुआ। इसलिए, उन्होंने 6000 अभ्यर्थियों की भर्ती का वादा किया। इसके अलावा 17000 भर्ती का ऐलान किया। हालांकि दोनों ही घोषणाओं पर 9 महीने बाद भी अमल नहीं हुआ।
लिस्ट तो जारी की पर जिला अलॉट नहीं किया
बाराबंकी की रीता शेखर हमेशा से आंदोलन में शामिल होने लखनऊ आती रही हैं। वह कहती हैं, "सरकार पर बहुत दबाव पड़ा तो उसने 5 जनवरी 2022 को 6800 लोगों की लिस्ट जारी कर दी। लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने शेड्यूल नहीं जारी किया। वह यह इंतजार करते रहे कि ये लोग कोर्ट में पेटिशन डालें।" रीता आगे कहती हैं, सरकारी वकील सीएचसी रणविजय कोर्ट में आते ही नहीं, एकबार आए तो कहा गया कि जो 6800 लोग गलत भरे गए हैं उन्हें अलग करके हमें भरा जाए, तब उन्होंने कहा था कि ये पॉलिटिकल मामला हो जाएगा, क्या हम बाहर हैं ये पॉलिटिकल मामला नहीं हैं।
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