इलाहाबाद हाईकोर्ट: अध्यापक के सेवानिवृत्त होने के बाद बर्खास्तगी आदेश पर रोक लगाने का आदेश रद
इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील को स्वीकार करते हुए एकल जज द्वारा पारित उस आदेश को रद कर दिया है, जिसके द्वारा अध्यापक की सेवा समाप्ति आदेश को उसके सेवानिवृत्त होने के बाद के बाद रोक लगा दी गई थी।
राज्य सरकार के माध्यमिक शिक्षा विभाग ने एकल जज के आदेश के खिलाफ विशेष अपील दाखिल की थी। खंडपीठ ने एकल जज को गुण दोष पर विचार कर निर्णय के लिए याचिका वापस भेज दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा तथा न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दाखिल विशेष अपील पर पारित किया है।
अपील पर अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने बहस की। इनका तर्क था कि बर्खास्तगी आदेश पर रोक लगाने का मतलब याचिका को अंतिम रूप से मंजूर कर लेना होगा, जो नहीं किया जा सकता। एकल जज ने सेवा समाप्ति आदेश पर रोक लगाने का कोई उचित कारण नहीं बताया है। अध्यापक 31 मार्च 2022 को सेवानिवृत्त हो चुका था तो ऐसी स्थिति में उसकी बर्खास्तगी को लेकर 9 मार्च 2022 तथा 15 मार्च 2022 को पारित आदेश पर रोक लगाने का कोई औचित्य नहीं था।
बर्खास्तगी आदेश सक्षम अधिकारी द्वारा पारित नहीं
झांसी निवासी सहायक अध्यापक प्रमोद कुमार सिंह के अधिवक्ता जीके सिंह का कहना था कि बर्खास्तगी आदेश सक्षम अधिकारी द्वारा पारित नहीं किया गया है। यह भी कहा गया कि याची की नियुक्ति बतौर सहायक अध्यापक जन सहयोगी इंटर कॉलेज बुढ़ाना औरैया में एक जनवरी 1994 को हुई थी। ऐसे में उसे बिना विधिक प्रक्रिया अपनाये बर्खास्त करना गलत था।
बीएड की डिग्री फर्जी पाए जाने पर सेवा समाप्ति
मालूम हो कि याची की बीएड की डिग्री फर्जी पाए जाने के आधार पर जिला विद्यालय निरीक्षक ने उसकी सेवा समाप्त कर प्राथमिकी दर्ज कराने का प्रबंधक को निर्देश दिया था। प्रबंधक ने जिला विद्यालय निरीक्षक के निर्देश के अनुपालन में 15 मार्च 2022 को याची को बर्खास्त कर दिया था। एकल जज ने याची के 31 मार्च 2022 को रिटायर होने के बाद 20 अप्रैल 2022 को अंतरिम आदेश पारित कर सेवा समाप्ति आदेश पर रोक लगा दी थी जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
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