आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए प्रमाणपत्र जरूरी
नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय ने दिव्यांग जन के अलावा अन्य आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए वेबिनार का आयोजन किया। इसमें उनको नियमों, प्रमाणपत्रों व अन्य दिक्कतों के बारे में बताया गया।
डीयू की डीन एडमिशन प्रो. हनीत गांधी और डीयू के अधिकारी रोहन राय ने छात्रों को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का जाति प्रमाणपत्र अभ्यर्थी के नाम पर होना चाहिए। इसके अलावा प्रमाणपत्र में माता, पिता, जाति, जनजाति का नाम भी होना चाहिए। अभ्यर्थी का निवास, जिला, प्रदेश आदि के साथ यह प्रमाणपत्र सक्षम अधिकारी से प्रमाणित भी होना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह प्रमाणपत्र 31 मार्च 2022 के बाद बना हुआ होना चाहिए।
डीयू ने स्पष्ट किया कि गलत प्रमाणपत्र के तहत दाखिला लेने वाले छात्रों पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। गलत प्रमाणपत्र या शपथपत्र पर किसी छात्र को दाखिला नहीं दिया जाएगा। यह भी कहा गया कि छात्र को आरक्षण का लाभ तभी मिलेगा जब उसकी जाति केंद्र सरकार द्वारा जारी आरक्षित जातियों की सूची में हो।
समान अवसर प्रकोष्ठ के विशेष कार्य अधिकारी प्रो. बिपिन तिवारी ने छात्रों के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि दिव्यांग छात्रों को अपना प्रमाणत्र अपलोड करना होगा। भारत सरकार द्वारा दिव्यांग वर्ग को पांच फीसदी का आरक्षण है। इसमें भी कई श्रेणियां हैं और उसको परिभाषित किया गया है। इसलिए जो अभ्यर्थी आवेदन कर रहे हैं उनको डीयू का बुलेटिन देखना होगा। छात्रों को मेडिकल सर्टिफिकेट आवश्यक है। सरकारी अस्पताल के सक्षम अधिकारी द्वारा जारी प्रमाणपत्र ही माना जाएगा।
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