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बुधवार, 2 नवंबर 2022

सिविल सेवाओं की विभिन्न कैटेगरी में दिव्यांगों को कैसे रखा जा सकता हैं, विचार करे केंद्र सरकार: अदालत



 सिविल सेवाओं की विभिन्न कैटेगरी में दिव्यांगों को कैसे रखा जा सकता हैं, विचार करे केंद्र सरकार: अदालत

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र से यह अध्ययन करने को कहा कि दिव्यांग जनों को सिविल सेवाओं में विभिन्न श्रेणियों के तहत कैसे रखा जा सकता है। न्यायमूर्ति एस ए नजीर और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा कि दिव्यांगता के लिए सहानुभूति एक पहलू है लेकिन फैसले की व्यावहारिकता को भी संज्ञान में लेना होगा।   

शीर्ष अदालत ने एक घटना साझा की जिसमें चेन्नई में शत प्रतिशत दृष्टिहीनता वाले एक व्यक्ति को दीवानी न्यायाधीश कनिष्ठ संभाग नियुक्त किया गया था और अदालत के अनुवादकों ने उनके द्वारा हस्ताक्षरित सभी आदेश प्राप्त कर लिए और बाद में एक तमिल पत्रिकार के संपादक के रूप में पोस्ट कर दिये।

पीठ ने कहा, ''कृपया आप अध्ययन कीजिए। वे सभी श्रेणियों में सही नहीं बैठते। सहानुभूति एक पहलू है, लेकिन व्यावहारिकता भी एक अन्य पहलू है।''शुरुआत में अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी ने केंद्र की ओर से दलील दी कि सरकार मामले में विचार कर रही है। उन्होंने समय भी मांगा। 

अदालत ने कहा कि वह आठ सप्ताह बाद मामले में सुनवाई करेगी।शीर्ष अदालत ने 25 मार्च को दिव्यांग जनों को  भारतीय पुलिस सेवा, दिल्ली, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह पुलिस सेवा (डैनिप्स) और भारतीय रेलवे सुरक्षा बल सेवा (आईआरपीएफएस) में अपनी प्राथमिकता के अनुसार आवेदन करने को कहा था और इस संबंध में यूपीएससी को आवेदन फॉर्म जमा करने को कहा था।


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