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शुक्रवार, 25 नवंबर 2022

'सफल' से दिखाएंगे बच्चों को सफलता की राह, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सीबीएसई ने शुरू की तैयारी



 'सफल' से दिखाएंगे बच्चों को सफलता की राह, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सीबीएसई ने शुरू की तैयारी

गोरखपुर, प्रभात कुमार पाठक। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत अपनी तैयारी शुरू कर दी है। इसी क्रम में वर्ष 2023 से कक्षा तीन, पांच व आठ की परीक्षा आयोजित की जाएगी। 'सफल' नाम से होने वाली इस परीक्षा का उद्देश्य छात्रों के साथ-साथ विद्यालय व शिक्षा के स्तर का मूल्यांकन करना है। सीबीएसई ने गत 18 व 19 नवंबर को बड़ोदरा में आयोजित 28वें सीबीएसई सहोदय स्कूल कार्यशाला में स्कूल प्रबंधकों व प्रधानाचार्यों को इसकी जानकारी दी है।

शिक्षकों को प्रशिक्षित करने पर जोर

बोर्ड ने 'सफल' के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने पर विशेष जोर दिया है, ताकि शिक्षक अपने आप को इसके अनुरूप तैयार कर सकें। इससे बच्चों को समझने और शिक्षकों को उन्हें समझाने में आसानी होगी। बच्चों की शैक्षणिक क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई में सफल असेस्मेंट फ्रेमवर्क को लोकार्पित किया था। सफल यानी स्ट्रक्चर्ड असेस्मेंट फार एनलाइजिंग लर्निंग में तीनों स्तर के छात्र-छात्राओं के शिक्षण का मूल्यांकन अंग्रेजी या हिंदी, गणित और पर्यावरण विज्ञान या विज्ञान विषय के जरिये होगा।

प्रधानाचार्यों की बढ़ेगी भूमिका

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रधानाचार्यों की भूमिका बढ़ेगी। इसे प्रभावी रूप से लागू करने में प्रधानाचार्य नवाचार, क्षमता केंद्रित शिक्षण, कला आधारित शिक्षण, कहानी व खेल आधारित शिक्षण, सफल सहित अन्य व्यवस्थाओं को व्यवस्थित तरीके से लागू करने में अहम भूमिका निभाएंगे। इसके साथ ही कौशल शिक्षा पर अधिक जोर दिया जाएगा।

क्या कहते हैं निदेशक

जेपी एजुकेशन एकेडमी के प्रधानाचार्य व निदेशक डॉ. सलील के. श्रीवास्तव ने बताया कि सीबीएसई की बड़ोदरा में आयोजित सहोदय स्कूल कार्यशाला में आने वाले समय में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत स्कूलों को अपग्रेड करने के बारे में विस्तार से बताया गया है। वर्ष 2023 से स्कूल में और नया क्या होगा इस पर विस्तार से चर्चा हुई। सीबीएसई ने स्कूलों को आधुनिक तकनीक से शिक्षा देने के साथ ही बच्चों को आध्यात्मिक विकास के अवसर भी प्रदान करने को जरूरी बताया है। ऐसे अवसर जिनके जरिये बच्चे जीवन का मतलब और इसके उद्देश्य को समझें, उसे अनुभव करें, खुद को तैयार करें, पूछे और उसका आनंद भी ले सकें।

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