जीरो फीस पर दाखिला लेने पर संस्थान के खाते में जाएगी भरपाई की राशि
शिक्षण संस्थानों में जीरो फीस पर दाखिला लेने वाले शुल्क भरपाई की राशि अन्यत्र खर्च नहीं कर पाएंगे। इसके लिए समाज कल्याण विभाग ऐसी व्यवस्था करने जा रहा है कि वह राशि सीधे संस्थानों के खातों में ही जाएगी। यह व्यवस्था अगले सत्र से लागू कर दी जाएगी।
प्रदेश में अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को सरकारी व सहायता प्राप्त सरकारी संस्थानों में जीरो फीस पर दाखिला दिया जाता है। यह सुविधा इस वर्ग के उन विद्यार्थियों को मिलती है जिनके परिवार की सालाना आय 2.5 लाख रुपये तक है। अभी तक लागू व्यवस्था में सरकार संस्थानों के बजाय छात्रों के खातों में धनराशि भेजती है लेकिन देखने में आया है कि तमाम छात्र यह राशि अपने संस्थानों में जमा नहीं करते। इसके बजाय अन्य किसी काम में खर्च कर लेते हैं। बड़े पैमाने पर यह समस्या सामने आने पर अब समाज कल्याण विभाग नई व्यवस्था लागू करने जा रहा है।
इसके तहत शुल्क प्रतिपूर्ति की राशि के भुगतान के लिए प्रत्येक पात्र छात्र के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक कोड (रिडेम्पशन कोड) दिया जाएगा। जैसे ही वह इस कोड का इस्तेमाल करेगा, राशि उसके खाते के बजाय संस्थान के खाते में पहुंच जाएगी। अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों की शुल्क प्रतिपूर्ति का 60 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार देती है, इसलिए केंद्र सरकार के साथ इस बारे में वार्ता चल रही है। केंद्र का रुख भी इस मामले में सकारात्मक बताया जा रहा है। प्रदेश में हर साल अनुसूचित जाति व जनजाति के 15-20 लाख छात्रों को छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना का लाभ मिलता है।
ऑनलाइन आवेदन मंजूर होते ही दिखने लगेगा आधार सीडेड खाता
जिन वर्गों को जीरो फीस पर दाखिला की सुविधा नहीं है, उनके छात्रों को भी तमाम शिक्षण संस्थान बिना फीस या आंशिक फीस लेकर प्रवेश दे देते हैं। यह भी शिकायत मिली है कि इनमें से भी तमाम छात्र शिक्षण संस्थानों को भुगतान नहीं करते। वे ऑनलाइन आवेदन में कोई और खाता संख्या दे देते हैं, जबकि भुगतान की राशि उनके आधार सीडेड (जुड़े) खाते में ही जाती है।
इसलिए अब यह व्यवस्था की जा रही है कि ऑनलाइन आवेदन स्वीकार होने पर आधार सीडेड खाता संख्या भी विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षण संस्थानों और अन्य संबंधित अधिकारियों को दिखने लगेगी। इससे इस समस्या का काफी हद तक समाधान होने की उम्मीद है। इसके लिए यूआईडीएआई (यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया) से जरूरी अनुमति की औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं।
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