Breaking

Primary Ka Master Latest Updates | Education News | Employment News latter 👇

शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2023

NCERT Class 6 History in Hindi Chapter-2 | UPSC CSE Notes



 NCERT Class 6 History in Hindi Chapter-2 | UPSC CSE Notes


आखेटक-खाद्य संग्राहक का जीवन :

आरंभिक मानव आखेटक-खाद्य संग्राहक था. इसका मतलब यह है की वह भोजन के लिए शिकार करता था और कंद-मूल-फल इकठ्ठा करता था. वह किसी खानाबदोश की तरह रहता था, यानि एक स्थान से दुसरे स्थान तक घूमता रहता था.

खानाबदोश जीवन के कारण :

आरंभिक मानव के खानाबदोश जीवन के कई कारण होंगे –

  1. एक ही जगह पर ज्यादा दिनों तक रहने के कारण वहाँ पर भोजन के स्रोत समाप्त हो जाते थे, इसलिए लोगों को नई जगह खोजने के लिए आगे बढ़ना पड़ता था.
  2. जानवर अपने शिकार के लिए अथवा हिरण तथा मवेशी अपना चारा ढूंढने के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाते है. इसलिए शिकार के नजरिये से लोगों को एक जगह से दूसरी जगह जाना पड़ता होता.
  3. पेड़ और पौधों में फल-फूल अलग-अलग मौसम में आते है, इसलिए लोग उनकी तलाश में मौसम के हिसाब से एक जगह से दूसरी जगह जाना पड़ता था.
  4. कुछ नदियाँ और तालाब गर्मियों में सुख जाते है, इसलिए लोगों को पानी की तलाश में नई जगह जाना पड़ता था.

पाषाण युग :

आरंभिक मानव अपने औजार बनाने के लिए पत्थरों का इस्तेमाल करते थे, इसलिए इस युग को पाषाण युग कहते है. पाषाण युग को तीन कालों में बाँटा गया है –

1. पुरापाषाण युग

आरंभिक काल को पुरापाषाण काल कहते है. यह दो शब्दों पुरा यानि प्राचीन तथा पाषाण यानि पत्थर से बना है. यह काल पुरास्थलों से प्राप्त पत्थर के औजारों के महत्त्व को दर्शाता है.

पुरापाषाण काल की अवधि 20 लाख साल पूर्व से 12 हजार साल पूर्व तक माना जाता है. मानव इतिहास की 99% कहानी इसी काल के दौरान घटित हुई है. इस काल को भी तीन भागों में विभाजित किया गया है –

  1. आरंभिक पुरापाषाण काल
  2. मध्य पुरापाषाण काल
  3. उत्तर पुरापाषाण काल

2. मध्य पाषाण युग

जिस युग में पर्यावरणीय बदलाव मिलते है, उसे मध्य पाषाण युग ( मेसोलिथ ) कहते है. इस युग की अवधि 12 हजार साल पूर्व से लेकर 10 हजार साल पूर्व तक माना जाता है.

मध्य पाषाण युग के औजार आमतौर पर बहुत छोटे होते थे, इसलिए इन्हें लघुपाषाण ( माइक्रोलिथ ) कहा जाता है. इन औजारों में हड्डियों या लकड़ियों के मुट्ठे लगे हंसिया और आरी जैसे औजार मिले थे.

3. नव पाषाण युग

नव पाषाण युग की शुरुआत लगभग 10 हजार साल पहले से होती है. इस युग में कृषि एवं पशुपालन का विकास हुआ. कृषि का प्राचीनतम साक्ष्य मेहरगढ़ ( बलूचिस्तान, पाकिस्तान ) से प्राप्त हुआ था. कृषि के लिए अपनाई गई सबसे प्राचीन फसल गेंहूँ और जौ है.

पत्थरों के अलावा, औजार बनाने के लिए लकड़ी और हड्डियों का इस्तेमाल होता था. पत्थरों से बने औजारों की सबसे बड़ी खासियत यह है की इनमें से कुछ तो हम आज भी इस्तेमाल करते है. जैसे की घरों में मसाला पीसने के लिए सिलबट्टे का इस्तेमाल.

पत्थरों के औजारों का उपयोग :

पत्थरों के औजारों का उपयोग मांस और हड्डियों को काटने के साथ-साथ पेड़ की खाल और जानवर की चमड़ी उतारने के लिए किया जाता था. इसका उपयोग फल और जड़ काटने के लिए भी किया जाता था. कुछ औजारों को हड्डी या लकड़ी से बने हैंडल से जोड़कर कुल्हारी या हथौड़ा बनाया जाता था.

पर्यावरण में बदलाव :

पाषाण युग का अधिकांश हिस्सा हिम युग के दौरान बीता था. उस ज़माने में चारो तरफ बर्फ ही बर्फ थी और धरती पर घास-पात न के बराबर होती थी. लगभग 12,000 साल पहले तापमान में वृद्धि हुई और हिम युग का अंत हो गया. तापमान में वृद्धि होने से हरित पादप पनपने लगे.

हरे-हरे पौधों के पनपने से जानवरों और मनुष्यों के लिए भोजन की उपलब्धता बढ़ने लगी. यही वह समय था जब आज के ज़माने के कई स्तनधारियों का विकास हुआ. इससे मांस की उपलब्धता भी बढ़ गई.

हिम युग के बाद घास के परिवार के पौधें पूरी दुनिया में तेजी से पनपने लगे. धान, गेहूं और मक्का जैसे पौधे घास के परिवार के सदस्य है यानि हमारे भोजन का अधिकांश हिस्सा घास के परिवार से मिलता है. यहीं वह समय रहा होगा, जब लोगों ने अनाज का इस्तेमाल करना शुरू किया होगा.

पाषाण युग के लोग कहाँ रहते थे ?

पूरापाषाण युग में लोगों के रहने के कुछ मुख्य स्थान निम्नलिखित है –

  1. भीमबेटका ( मध्य प्रदेश )
  2. हुस्गी ( कर्णाटक )
  3. कुरनूल की गुफाएँ ( आंध्र प्रदेश )

लोग इन गुफाओं में इसलिए रहते थे, क्योंकि यहाँ उन्हें बारिश, धुप और हवाओं से राहत मिलती थी. ये गुफाएँ नर्मदा घाटी के पास है. यहाँ लोगो को पानी की कमी नहीं होती थी. इसके साथ ही उन्हें औजार बनाने के लिए पत्थर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध था.

  • पुरास्थल, उस स्थल को कहते है जहाँ औजार, बर्तन और इमारतों जैसी वस्तुओं के अवशेष मिलते है.
  • लोगों द्वारा पौधे उगाने और जानवरों की देखभाल करने को ‘बसने की प्रक्रिया’ कहा गया है.
  • कृषि के लिए अपनाई गई सबसे प्राचीन फसलों में गेंहूँ तथा जौ आती है.
  • सबसे पहले पालतू बनाए गए जानवरों में कुत्ते के बाद भेड़-बकरी आती है.
  • उद्योग स्थल, ऐसे स्थानों को कहा जाता है जिसका इस्तेमाल औजार बनाने के लिए किया जाता था.
  • कुछ उद्योग स्थलों पर लोग घर बनाकर रहते थे, जिसे आवास उद्योग स्थल कहते है.

पत्थर के औजारों का निर्माण :

पत्थर के औजारों को कैसे बनाया जाता होगा, इस बारे में इतिहासकारों ने कुछ अनुमान लगाए है. पाषाण युग के औजारों को बनाने की दो विधियाँ हो सकती है –

1. पत्थर से पत्थर को टकराना :

इस तरीके से औजार बनाने के लिए एक हाथ में एक पत्थर को लेकर उसपर किसी दुसरे पत्थर से वार किया जाता था. ऐसा तब तक किया जाता था, जब तक की सही आकार न मिल जाये.

2. दवाब शल्क तकनीक :

इस विधि से क्रोड ( जिस पत्थर से औजार बनाना हो ) को किसी सख्त सतह पर रख दिया जाता था. फिर इसे किसी बड़े पत्थर से पीट-पीट कर सही आकार दिया जाता था.

आग की खोज :

आग की खोज, मानव जाति के लिए एक बहुत बड़ी क्रांति थी, इससे मानव जीवन अभूतपूर्व ढंग से बदल गया. ऐसा अनुमान लगाया जाता है की जंगल में लगी आग के नतीजे देखकर लोगों ने आग का इस्तेमाल करना सीखा होगा.

किसी ने जंगल में लगी आग से जले मांस को चखा होगा तब उसे पके हुए भोजन का स्वाद पता चला होगा और फिर लोगों ने दो पत्थरों को आपस में टकराकर आग जलाने का तरीका सीखा होगा.

कुरनूल की गुफाओं से राख के अवशेष मिले है. इससे पता चलता है की इन गुफाओं में रहने वाले लोग आग का इस्तेमाल करते थे. आग का इस्तेमाल कई कार्यों के लिए किया गया होगा जैसे की प्रकाश के लिए, मांस भूनने के लिए और खतरनाक जानवरों को दूर भगाने के लिए.

शैल चित्रकला ( रॉक पेंटिंग ) :

पाषाण युग के लोग अच्छे कलाकार भी थे. इस युग की गुफाओं में कई रॉक पेंटिंग मिली है. भीमबेटका की गुफाओं में कई सुंदर तस्वीरे मिली है. ज्यादातर पेंटिंग में जानवरों और शिकार को दिखाया गया है. इतिहासकारों का मानना है की ऐसी तस्वीरों को किसी खास उत्सव के मौके पर बनाया जाता होगा या फिर शिकार पर जाने से पहले बनाते होगें.

यह भी हो सकता है की लोगों को इतना खाली समय मिलने लगा होगा की अपने आस-पास की सुंदर प्रकृति को निहार सके और उसके बारे में सोच सके. इन पेंटिंग से यह भी पता चलता है की लोग समूहों में रहने लगे थे. समूह में रहने के कई फायदे होते है –

  • एक बड़े समूह में रहने से शिकारियों से सुरक्षा मिलती है.
  • एक समूह आसानी से किसी बड़े जानवर को मार सकता है, जिससे प्रचुर मात्रा में भोजन मिल सकता है.

ऐसा माना जाता है की अक्सर पुरुष ही शिकार पर जाते थे, जबकि महिलाएँ गुफा में रहकर बच्चों की देखभाल करती थी. महिलाएँ कंद-मूल और फल इकठ्ठा करती होगी.

बुर्जहोम ( वर्तमान कश्मीर ) के लोग गड्ढे के नीचे घर बनाते थे, जिन्हें गर्तवास कहा जाता है.

मेहरगढ़, ईरान जाने वाले सबसे महत्त्वपूर्ण रास्ते, बोलन दर्रे के पास एक हराभरा समतल स्थान है. मेहरगढ़ संभवतः वह स्थान है जहाँ के स्त्री-पुरुषों ने इस इलाके में सबसे पहले जौ, गेहूँ उगाना और भेड़-बकरी पालना सीखा था. मेहरगढ़ में चौकोर तथा आयताकार घरों के अवशेष मिले है, जिसमें चार या उससे ज्यादा कमरे है, जिनमें से कुछ संभवतः भंडारण के काम आते होंगे.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें