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शनिवार, 23 मार्च 2024

व्याख्याता के 12 हजार पदों पर 31 मार्च तक करनी है पदोन्नति, नियम ऐसा कि तय समय में 4000 की प्रक्रिया ही पूरी हो पाएगी,तीन साल से कोर्ट में था मामला, सरकार द्वारा नियम संशोधित करने के बाद मिली हरी झंडी



 व्याख्याता के 12 हजार पदों पर 31 मार्च तक करनी है पदोन्नति, नियम ऐसा कि तय समय में 4000 की प्रक्रिया ही पूरी हो पाएगी,तीन साल से कोर्ट में था मामला, सरकार द्वारा नियम संशोधित करने के बाद मिली हरी झंडी


व्याख्याता पद पर पदोन्नति से जुड़े नियम में संशोधन के बाद 12 हजार पदों पर तीन साल से लंबित डीपीसी का रास्ता साफ हो गया। 31 मार्च के तय समय तक करीब चार पदों पर ही डीपीसी की प्रक्रिया पूरी हो पाएगी। क्योंकि नियमानुसार सबसे पहले 2021-22 में रिक्त रहे करीब चार हजार पदों पर बकाया डीपीसी पूरी की जाएगी। इसके बाद अगले सालों की डीपीसी की प्रक्रिया शुरू होगी। चूंकि इस महीने के शुरुआत में ग्रेड सैकंड से व्याख्याता पद पर पदोन्नति के पात्र 47175 शिक्षकों की सूची जारी की गई थी। इसमें शिक्षकों से रिकॉर्ड में दुरस्तीकरण के लिए आपत्ति मांगी गई। आपत्तियों की सुनवाई के बाद 14 मार्च को सूची सीबीओ से ज्वाइंट डायरेक्टर को भेजी गई। 21 मार्च को सूची डायरेक्टर के पास भेज दी गई।


अब पदोजति पाने वाले शिक्षकों का डायरेक्टर के आदेश पर स्कूलों में पदस्थापन किया जाएगा। चूंकि होली का अवकाश होने के कारण यह प्रक्रिया 31 मार्च तक पूरी हो पाएगी। ज्वाइन नहीं करने वाले शिक्षकों के पदों को शामिल करते हुए साल 2022-23 के रिक्त रहे पदों पर पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके बाद 2023-24 की डीपीसी होगी। इसी बीच लोकसभा चुनाव में कार्मिकों की ड्यूटी लग जाएगी। ऐसे में सभी 12 हजार पदों पर डीपीसी करने में करीब डेढ़ महीने का समय लगेगा। उल्लेखनीय है कि डीपीसी में लगातार देरी होने पर मुख्य सचिव ने पिछले दिनों 31 मार्च तक लंबित पदोत्रति पूरी करने के निर्देश दिए थे। इसमें स्पष्ट किया गया था कि सालों से पदोन्नति लंबित रहना गंभीर विषय है।

 

एक्सपर्ट व्यू: पहले सबसे पुराने मामलों में डीपीसी होगी, इसी नियम के कारण देरी तय

डीपीसी का एक नियम और साइकिल बना हुआ है। जैसे 2021 से 2023 की डीपीसी लंबित है तो सबसे पहले 2021 की प्रक्रिया पूरी होगी। इसके बाद अगले साल की प्रक्रिया अमल में आई जाएगी। क्योंकि डीपीसी में लिस्ट जारी करना, आपत्ति मांगना और पदस्थापन प्रमुख है। ज्वाइनिंग में रिक्त रहे पद अगली डीपीसी में शामिल करते हुए प्रक्रिया पूरी करनी होती है। अक्सर नियमों के कारण मामले कोर्ट में जाने की वजह से अटक जाते हैं। ऐसे मामलों में सरकार जल्दी-जल्दी जवाब देकर इनका निस्तारण करवाए। कहीं नियम में बदलाव की जरूरत है तो उसे समय पर किया जाए। क्योंकि कोर्ट जनहित के मुद्दों पर जल्द सुनवाई करता है। डीपीसी के लिए अलग विभाग बना हुआ। हर साल 31 मार्च को डीपीसी पूरी करनी होती है। अगर प्लानिंग से काम हो तो कहीं दिक्कत नहीं होती।  


कमजोर पैरवी से अटकी रही फाइलें, ग्रेड सैकंड के 16 हजार पद पर होनी है डीपीसी

शिक्षा विभाग में 54 हजार से ज्यादा पदों पर पदोन्नति लंबित है। ज्यादातर मामले सरकार की कमजोर पैरवी के कारण कोर्ट में लंबित है। तीन-तीन साल से डीपीसी बकाया है। एक-एक स्कूल में 6 से 7 वाइस प्रिंसिपल बतौर व्याख्याता काम कर रहे हैं। ग्रेड सैकंड व उप प्राचार्य का मामला कोर्ट में लंबित है। प्रदेश के 65 हजार स्कूलों में 86 लाख विद्यार्थियों का नामांकन है। लेकिन कार्यरत शिक्षक चार लाख हैं।


ग्रेड थर्ड से ग्रेड सैकंड
एडिशनल विषय से पदोन्नति के कारण मामला एक साल से सुप्रीम कोर्ट में अटका हुआ है। ग्रेड (वरिष्ठ अध्यापक) के कुल 32 हजार पद रिक्त है। इनमें से 50 फीसदी पदों पर पदोत्रति के तहत 16 हजार पदों पर डीपीसी हो सकती है। इसमें सरकार को कोई अतिरिक्त आर्थिक भार नहीं पड़ रहा है।


सरकार की लापरवाही:
सरकार एडिशनल विषय वाले शिक्षकों को पढेनति का फायदा दे रही थी। शिक्षकों ने यूजी में शामिल रहे तीन विषयों में ही पदकेति दिए जाने की मांग को लेकर इस पर स्टे लिया था। डिविजन बैंच ने एडिशन क्वालिफिकेशन को गलत माना। शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की ।


व्याख्याता से उप प्राचार्य
2022-23 में डीपीसी हुई, लेकिन कोर्ट से स्टे लग गया। 9854 वाइस प्रिंसिपल एक साल बाद भी व्याख्याता ही हैं। कोर्ट स्टे में 2023-24 की डीपीसी भी लंबित हो गई। प्रधानाचार्य के 6500 पद खाली हैं। इन पर पदोन्नति मिलती है तो व्याख्याता के 6500 व अन्य रिक्त 2600 पदों पर 9100 वाइस प्रिंसिपल लगाए जा सकेंगे

 व्याख्याता से उप प्राचार्य बने कार्मिकों को उसी स्कूल में कार्य ग्रहण करवा दिया। पद स्थापन से पहले मामला उनकी मेरिट को लेकर हाई कोर्ट में स्टे हो गया। सरकार मेरिट को दुरुस्त कर पहली ही पेशी में मामले का निस्तारण करवा सकती थी। लेकिन मामला एक साल से कोर्ट में लंबित है।


ग्रेड सैकंड से व्याख्याता
यूजी पीजी में असमान विषय वाले वरिष्ठ अध्यापकों को व्याख्याता पद पर पदोत्रत किया जा रहा था। तीन अगस्त 2021 को सरकार ने यूजी-पीजी में समान विषय होने की शर्त लगा दी। इसके विरोध में शिक्षकों ने पदोत्रति पर स्टे ले लिया। इसलिए तीन साल डीपीसी नहीं हो सकी।

सरकार ने समय पर संशोधन नहीं किया। नतीजा डीपीसी अटकी रही। हाल ही में सरकार ने संशोधन करते हुए तय किया कि 3 अगस्त 2021 तक पीजी-यूजी में असमान विषय वालों को भी अवसर मिलेंगे। इससे कोर्ट ने सरकार को राहत दे दी इसलिए अब 12 हजार पदों पर पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू हो पाई है।


अव्यवस्थाः एक स्कूल में 6 उप प्राचार्य, दूसरे में डेढ़ साल से खाली है पद

 
• केस 1. राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय रसीदपुरा
खुड़ी में 200 बच्चों का नामांकन है। शहीद सुरेंद्र राजकीय उमावि में भी 200 बच्चों का नामांकन है। दोनों ही स्कूलों में उप प्राचार्य नहीं लगे हुए हैं। इन स्कूलों के पास पीओ का चार्ज भी है। इसके लिए आस पास के स्कूलों की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी होती है। प्रधानाचार्य पीओ का काम देखते हैं। ऐसे में अन्य शैक्षिक व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही है। 

केस 2. लक्ष्मणगढ़ के जोधराज मोहनलाल राउमावि में 6, फतेहपुर की रामचंद्र नेवटिया रा उ मा वि में 7 उप प्राचार्य हैं। फरवरी 2023 में 10 हजार व्याख्याताओं को उप प्राचार्य पद पर पदोन्नत किया गया था। उन्हें उसी स्कूल में 27 फरवरी को शिक्षा निदेशालय के आदेश से ज्वाइन करवा दिया गया। काउंसलिंग के दौरान कोर्ट स्टे हो गया। इसलिए इन्हें दूसरी स्कूलों में पद स्थापितनहीं किए जा सके।


शिक्षा विभाग दृढ़ इच्छा शक्ति से डीपीसी करना चाहता है तो प्रभावी पैरवी कर न्यायालय प्रकरणों का निस्तारण शीघ्र करवाए। निदेशालय में एक अलग शाखा गठित कर बकाया डीपीसी का कार्य नए सत्र से पहले पूरा करे। जिससे नए सत्र में नामांकन भी बढ़े और शैक्षिक गुणवत्ता भी हो सके। -उपेन्द्र शर्मा, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत)

 

डीपीसी की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा। कुछ मामले कोर्ट में अटके हुए हैं। इन मामलों के कोर्ट से निस्तारित होने के बाद तत्काल इनकी डीपीसी भी पूरी करवा दी जाएगी। -आशीष मोदी, डायरेक्टर शिक्षा विभाग

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