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रविवार, 31 मार्च 2024

देश में प्रदेश की रिपोर्ट खराब, रोज कितने बच्चे कर रहे भोजन, इसकी जानकारी देने में स्कूल लापरवाह



 देश में प्रदेश की रिपोर्ट खराब, रोज कितने बच्चे कर रहे भोजन, इसकी जानकारी देने में स्कूल लापरवाह

सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे पहली से आठवीं तक के बच्चों को दोपहर में परोसा जाने वाला भोजन कितने बच्चों ने खाया, इसकी रिपोर्ट ऑनलाइन अपलोड करने में सिरोही समेत प्रदेश के स्कूलों की स्थिति खराब।  पीएम पोषण योजना के तहत एमडीएमएचपी पोर्टल पर मिड डे मील के लाभार्थियों की संख्या अपलोड नहीं करने से राजस्थान का दैनिक स्टेट्स सिर्फ 21.9% रहने से भारत सरकार ने इसे गंभीरता से लिया। यह स्थिति इसलिए बनी कि प्रदेश के 67034 स्कूलों में से 49673 स्कूल दैनिक रिपोर्ट अपलोड नहीं कर रहे।


सिरोही जिले में पहली से 8वीं तक 1 लाख 21 हजार 209 बच्चे पढ़ रहे हैं। यहां की 934 स्कूलों में से 88 स्कूल ही रिपोर्ट ऑनलाइन कर रही है, इसलिए 33 जिलों में नीचे से दूसरे नंबर पर है। जैसलमेर जिले की 1285 स्कूलों में से 42 स्कूलों की रिपोर्ट होने से प्रदेश में सबसे नीचे हैं। किस स्कूल में कितना खाद्यान्न रोजाना उपयोग में लिया। इसे लेकर मिड डे मील आयुक्तालय की ओर से राजसिम्स नाम से एप्लिकेशन तैयार की है, इसमें रोज भोजन करने वाले विद्यार्थियों की सूचना नहीं भरी जा रही। मिड डे मील आयुक्त विश्व मोहन शर्मा ने 26 मार्च को प्रदेश के सभी डीईओ को नोटिस भेजा है। इससे पहले 14 मार्च को भी नोटिस भेजा था। 


पोर्टल की भारत सरकार कर रही मॉनिटरिंग


पीएम पोषण योजना के तहत संचालित ऑटोमेटेड मॉनिटरिंग सिस्टम (एमडीएमएचपी पोर्टल) पर सरकारी स्कूलों को रोज भोजन परोसे जाने के बाद पोर्टल पर लाभार्थियों की सूचना अपलोड करनी होती है। इसकी मॉनिटरिंग सीधे भारत सरकार की ओर से की जा रही है। एएमएस पोर्टल पर राजस्थान राज्य का दैनिक रिपोर्ट स्टेट्स केवल 21.09% रहने पर भारत सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है।  


मिड-डे-मील योजना के आयुक्त की ओर से पोर्टल की रिपोर्ट का अवलोकन करने पर पाया है कि पोर्टल की प्रभावी मॉनिटरिंग नहीं की जा रही है, अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे। आयुक्त डीईओ दिए नोटिस में दैनिक सूचना नहीं भिजवाने स्कूलों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा है। सीडीईओ हीरालाल माली ने बताया कि डवीं, 10वी, 12वीं बोर्ड परीक्षा और चुनावी कार्य की वजह से डेटा अपलोड में परेशानी आ रही है।

 

सरकारी स्कूलों में पोषाहार प्रभारी की जिम्मेदारी

हर स्कूल के मिड डे मील प्रभारी या संस्था प्रधान को रोजाना उपयोग में आए गेहूं व चावल की मात्रा भरने के साथ स्कूल में शेष बचे खाद्यान्त्र की जानकारी अपलोड करनी होती है। इस एप्लीकेशन से पता लगा जाएगा कि प्रदेश के किसी स्कूल में कक्षा पहली से आठवीं तक के कितने विद्यार्थी आए और पोषाहार खाया। स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या कम होने पर संस्था प्रधान से सवाल किया जा सकेगा।  


मिड डे मील में कक्षा पहली से 5वीं तक के विद्यार्थियों को रोजाना 100 ग्राम गेहूं या चावल तथा कक्षा 6 से 8वीं तक के विद्यार्थियों को 150 ग्राम गेहूं या चावल परोसा जाता है। इस मात्रा के आधार पर रोजाना स्कूल आने वाले विद्यार्थियों की उपस्थिति के अनुसार ही नापकर पोषाहार पकाया जाएगा। जैसे किसी स्कूल में कक्षा एक से पांचवीं तक के 10 विद्यार्थी आए तो पोषाहार में 1000 ग्राम गेहूं या चावल का उपयोग होगा। इसी तरह कक्षा 6 से 8वीं तक 10 विद्यार्थी आने पर 1500 ग्राम खाद्यान का उपयोग होगा। इस तरह एक दिन में 2500 ग्राम खाद्यान्न उपयोग होने की जानकारी एप्लीकेशन में भरनी होती है ।


पीएम पोषण योजनाः एमडीएमएचपी पोर्टल पर मिड-डे-मील के लाभार्थियों को संख्या स्कूल नहीं कर रहे अपलोड आयुक्तालय ने प्रदेश के डीईओ दिया नोटिस सिरोही जिले की 934 स्कूलों में से सिर्फ 88 स्कूलों ने ही रिपोर्ट की. 33 जिलों में नीचे से दूसरा नंबर, जैसलमेर में 42 स्कूलों की रिपोर्ट सबसे नीचे

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