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गुरुवार, 4 अप्रैल 2024

शिक्षा विभाग की नई परिपाटी: अंग्रेजी माध्यम के बच्चों की कॉपी हिन्दी माध्यम के शिक्षक जांचेंगे



 शिक्षा विभाग की नई परिपाटी: अंग्रेजी माध्यम के बच्चों की कॉपी हिन्दी माध्यम के शिक्षक जांचेंगे

सीकर प्रदेश में अंग्रेजी माध्यम के प्रति बढ़ते क्रेज की वजह से बोर्ड परीक्षाओं में भी अब अंग्रेजी माध्यम विद्यार्थियों की संख्या बढ़ने लगी है। पहले जहां आठवीं, दसवीं व बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं में निजी विद्यालयों के अंग्रेजी माध्यम के छात्र-छात्रा ही शामिल होते थे। अब महात्मा गांधी स्कूलों के लगातार क्रमोन्नत होने की वजह से विद्यार्थियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जबकि प्रदेश में अभी तक एक भी अंग्रेजी माध्यम शिक्षकों की भर्ती नहीं हो सकी है।


गौरतलब है कि प्रदेश में फिलहाल 3500 से अधिक अंग्रेजी माध्यम विद्यालय संचालित है। ऐसे में बोर्ड की भी वीक्षक पैनल में जो शिक्षक है, उन्ही से कॉपी जांच कराना मजबूरी हो गया है। विद्यार्थियों व अभिभावकों की ओर से अब मांग यह भी गूंजने लगी है कि जब सरकार ने अंग्रेजी माध्यम स्कूल अलग से खोल दिए तो फिर भर्ती भी अलग से होनी चाहिए, जिससे शैक्षिक प्रतिभाओं के साथ और बेहतर तरीके से न्याय हो सके।


शिक्षकों का दर्द: नहीं बढ़ा कॉपी जांचने का मानदेय नहीं

प्रदेश में बोर्ड परीक्षाओं की कॉपी जांचने वाले शिक्षकों का मानदेय भी लगभग 12 सालों से नहीं बढ़ा है। शिक्षकों का कहना है कि जबकि बोर्ड की ओर से परीक्षा शुल्क में कई बार बढ़ोतरी की जा चुकी है। वर्तमान में प्रति विद्यार्थी 600 रुपए बोर्ड परीक्षा का आवेदन शुल्क लिया जा रहा है। बोर्ड की ओर से वीक्षकों को मानदेय के तौर पर दसवीं के लिए 14 रुपए और बारहवीं के लिए 15 रुपए की राशि प्रति उत्तरपुस्तिका दी जाती है। 2012 के बाद इस राशि में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। शिक्षक संघ रेसटा के प्रदेशाध्यक्ष मोहर सिंह सलावद का कहना है कि बोर्ड परीक्षाओं में नियुक्त होने वाले कर्मचारियों के मानदेय में बढ़ोतरी होनी चाहिए।


अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों की कॉपी हिन्दी माध्यम के शिक्षकों की ओर से ही जांची जा रही है। हालांकि कॉपी जांचने वाले कई शिक्षक साक्षात्कार के जरिए अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में जरूर पढ़ाई करवा रहे है। इन विद्यार्थियों की कॉपियों का मूल्यांकन अंग्रेजी माध्यम में लगे हुए शिक्षक करे जो ज्यादा श्रेयस्कर होता। अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए नई भर्ती करने की आवश्यकता है।-विपिन प्रकाश शर्मा, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ


केस एक: मान्यता दी तो शिक्षक भी लगने चाहिए

सीकर के सुरेंद्र कुमार ने बताया पिछले साल आठवीं बोर्ड की परीक्षा अंग्रेजी माध्यम से दी थी। दो विषयों में कम नंबर आने पर आपत्ति भी जताई तो पुर्नमूल्याकण में नंबर बढ़े। उनके परिजनों का कहना है कि जब सरकार ने अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को मान्यता दी है तो शिक्षक भी नियुक्त होने चाहिए।


केस दो: अंग्रेजी स्कूलों में हिंदी माध्यम के शिक्षक

सीकर निवासी सेवानिवृत्त शारीरिक शिक्षक भंवर सिंह ने बताया कि पिछली सरकार ने नवाचार करते हुए अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले थे। इन स्कूलों में फिलहाल हिंदी माध्यम के ही शिक्षक नियुक्त है। उनका कहना है कि शिक्षा विभाग के पास अंग्रेजी माध्यम के पैनल शिक्षकों की संख्या काफी कमी है।


फैक्ट फाइल

प्रदेश में कुल महात्मा गांधी स्कूल: 3500

आठवीं बोर्ड में शामिल: 1200 महात्मा गांधी विद्यालयों के छात्र

दसवीं बोर्ड में शामिल: 205 महात्मा गांधी विद्यालयों के छात्र

बारहवीं बोर्ड में शामिल: 23 महात्मा गांधी विद्यालयों के छात्र

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