भीलवाड़ा पीटीएम में रहा अव्वल,जबकि श्रीगंगानगर की उपस्थिति रही 81 फीसदी
श्रीगंगानगर. विद्यार्थियों के लिए किसी विषय को रटने के बजाय समझना ज्यादा जरूरी है। यह समझाने के उद्देश्य से श्रीगंगानगर-अनूपगढ़ सहित प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 22 मार्च को मेगा शिक्षक-अभिभावक बैठक (पीटीएम) हुई। इसमें प्रदेश के सभी जिलों में अभिभावकों की संख्या काफी कम रही। ऐसे में पीटीएम का मुख्य उद्देश्य ही गौण हो गया।
राजस्थान में शिक्षा के बढ़ते कदम (आरकेएसएमबी) के आंकलन तीन में विद्यार्थियों की दक्षता में बेहतर करने के प्रयास नाकाफी रहे। प्रदेश में संस्था प्रधानों की ओर से शाला दर्पण पोर्टल पर 30 मार्च तक आंकड़े भी पूरे अपलोड नहीं किए गए। इसमें श्रीगंगानगर जिले के 1936 स्कूलों में से 81 प्रतिशत ने ही उपस्थिति दर्ज करवाई गई थी। वहीं,पीटीएम में अभिभावकों की उपस्थिति 58 प्रतिशत रही जबकि नौ जिलों में साठ प्रतिशत से कम, तो छह जिलों में अस्सी प्रतिशत से अधिक स्कूलों में मेगा पीटीएम हुई जबकि 18 जिलों में साठ से अस्सी प्रतिशत तक स्कूलों में पीटीएम हुई है। भीलवाड़ा के अभिभावकों ने सबसे ज्यादा रुचि दिखाई है और चूरू के अभिभावकों की रुचि कम नजर आई है।
नौ जिलों में 60 प्रतिशत से कम रही भागीदारी
शिक्षा विभाग के अनुसार नौ जिलों में साठ प्रतिशत या उससे कम स्कूलों में पीटीएम हुई। इसमें चूरू में 44, डूंगरपुर 49, जोधपुर 50, बांसवाड़ा 50, सिरोही, बाड़मेर तथा झुंझुनूं 56, अजमेर 59 तथा जयपुर में 60 प्रतिशत स्कूलों में पीटीएम आयोजित की गई।
इन जिलों में 80 प्रतिशत से अधिक स्कूलों में पीटीएम
प्रदेश के छह जिलों में 80 प्रतिशत से अधिक स्कूलों में पीटीएम हुई। इसमें श्रीगंगानगर में 81, बारां में 82, भरतपुर 85, झालावाड़ 86, बूंदी 86 तथा भीलवाड़ा में 93 प्रतिशत स्कूलों में पीटीएम हुई।
मेगा पीटीएम के बाद सूचना शाला दर्पण पर अपलोड की जानी थी। इन्फ्लुएंसर के साथ अभिभावकों की चर्चा के वीडियो बनाने थे। अभिभावकों के कम पहुंचने और अधिकांश स्कूलों में इन्फ्लुएंसर नहीं पहुंचने के कारण कई स्कूलों की ओर से सूचना तक अपलोड नहीं की है जबकि श्रीगंगानगर जिले में 81 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज की गई। पीटीएम में 58 प्रतिशत अभिभावक शामिल हुए।-गिरजेशकांत शर्मा, डीइओ,माध्यमिक शिक्षा,श्रीगंगानगर।
सबसे कम भागीदारी चूरू और सबसे अधिक भीलवाड़ा में रही
राज्य में सबसे कम चूरू जिले में और सबसे अधिक भीलवाड़ा के स्कूलों में पीटीएम हुई। चूरू जिले में 44 प्रतिशत स्कूलों में ही पीटीएम हुई। इसमें 30 फीसदी अभिभावकों की भागीदारी रही। सबसे अधिक भीलवाड़ा के स्कूलों में पीटीएम हुई। इसमें जिले में 93 प्रतिशत स्कूलों में पीटीएम हुई और इनमें 68 फीसदी अभिभावकों की भागीदारी रही।
अभिभावकों ने नहीं दिखाई रुचि
इस पेटीएम में शिक्षकों ने अभिभावकों को विद्यार्थी की पढ़ाई की प्रगति एवं कमजोरी के बारे में जानकारी दी गई थी। प्रदेश के नौ जिलों की स्थिति तो यह थी कि वहां के अभिभावकों ने कोई रुचि नहीं दिखाई। यही स्थिति स्कूल प्रशासन की भी है,जहां पर साठ प्रतिशत से कम पीटीएम का आयोजन किया गया था जबकि पीटीएम के लिए शिक्षा विभाग ने कई निर्देश जारी किए थे।
श्रीगंगानगर. विद्यार्थियों के लिए किसी विषय को रटने के बजाय समझना ज्यादा जरूरी है। यह समझाने के उद्देश्य से श्रीगंगानगर-अनूपगढ़ सहित प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 22 मार्च को मेगा शिक्षक-अभिभावक बैठक (पीटीएम) हुई। इसमें प्रदेश के सभी जिलों में अभिभावकों की संख्या काफी कम रही। ऐसे में पीटीएम का मुख्य उद्देश्य ही गौण हो गया।
राजस्थान में शिक्षा के बढ़ते कदम (आरकेएसएमबी) के आंकलन तीन में विद्यार्थियों की दक्षता में बेहतर करने के प्रयास नाकाफी रहे। प्रदेश में संस्था प्रधानों की ओर से शाला दर्पण पोर्टल पर 30 मार्च तक आंकड़े भी पूरे अपलोड नहीं किए गए। इसमें श्रीगंगानगर जिले के 1936 स्कूलों में से 81 प्रतिशत ने ही उपस्थिति दर्ज करवाई गई थी। वहीं,पीटीएम में अभिभावकों की उपस्थिति 58 प्रतिशत रही जबकि नौ जिलों में साठ प्रतिशत से कम, तो छह जिलों में अस्सी प्रतिशत से अधिक स्कूलों में मेगा पीटीएम हुई जबकि 18 जिलों में साठ से अस्सी प्रतिशत तक स्कूलों में पीटीएम हुई है। भीलवाड़ा के अभिभावकों ने सबसे ज्यादा रुचि दिखाई है और चूरू के अभिभावकों की रुचि कम नजर आई है।
नौ जिलों में 60 प्रतिशत से कम रही भागीदारी
शिक्षा विभाग के अनुसार नौ जिलों में साठ प्रतिशत या उससे कम स्कूलों में पीटीएम हुई। इसमें चूरू में 44, डूंगरपुर 49, जोधपुर 50, बांसवाड़ा 50, सिरोही, बाड़मेर तथा झुंझुनूं 56, अजमेर 59 तथा जयपुर में 60 प्रतिशत स्कूलों में पीटीएम आयोजित की गई।
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