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सोमवार, 15 अप्रैल 2024

शिक्षा विभाग ने कराया भाषायी सर्वे: प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल होंगे देसी शब्द ऊंट को ऊंटड़ों और कौआ को पढ़ेंगे कागलो

 

 शिक्षा विभाग ने कराया भाषायी सर्वे: प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल होंगे देसी शब्द ऊंट को ऊंटड़ों और कौआ को पढ़ेंगे कागलो

झालावाड़. प्रदेश में नए सत्र से सरकारी स्कूलों में प्राथमिक शिक्षा के छात्र-छात्राओं को देसी शब्दों का शामिल करते हुए पढ़ाया जाएगा। स्कूलों में बच्चे ऊंट को ऊंटड़ों, मटकी को मटको, बंदर को बांदरो, प्याज को कांदा, कौआ को कागलो, बिल्ली को बल्ली और बकरी को छाठ्ठी पढ़ते हुए दिखेंगे। नई शिक्षा नीति के तहत सर्वे में कक्षा एक के बच्चों व उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षकों से भाषा की जानकारी ली गई थी। इसमें बच्चों के नाम के साथ उनके घर की भाषा, शिक्षक की भाषा, स्कूल का माध्यम, भाषा को समझने व बोलने की विद्यार्थियों की क्षमता के स्तर आदि का सर्वे कर उसे शाला दर्पण पर अपलोड कराया गया था।

शब्दकोष तैयार, जल्द लागू होगा

नई शिक्षा नीति में बदलाव करते हुए प्राथमिक कक्षाओं में मातृभाषा पर जोर देने की नीति लागू करने से ऐसा होगा। इसके लिए आरएससीईआरटी ने प्रदेश में संभागवार भाषाई सर्वे करा लिया है। अब स्थानीय बोली व भाषाओं के आधार पर शब्दकोष तैयार कराकर पाठ्यक्रम तैयार करने की कवायद पूरी हो चुकी है। नए सत्र में इसे लागू किया जाएगा। डब्ल्यूएच में कौन को कुण, क्या को कांई, कद को कदै पढ़ेंगे। सप्ताह के नाम में रविवार को दीतवार, शुक्रवार को सकरवार पढ़ेंगे।

यूनेस्को करता है मातृभाषा की पैरवी

विश्व के कई देश मातृभाषा में शिक्षा दे रहे हैं। इनमें जापान, जर्मनी, इटली, इजराइल, चीन, रुस सहित कई देश शामिल है। यूनेस्को भी मातृभाषा में पढ़ाई की पैरवी कर चुका है। कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय शोध भी पढ़ने-समझने के लिहाज से मातृभाषा में शिक्षा की वकालत कर चुके हैं।

स्थानीय बोलियों को किया शामिल
झालरापाटन डाइट वरिष्ठ व्याख्याता सुरेन्द्र जैन ने बताया कि गत दिनों स्थानीय भाषा पर आधारित कार्याशाला का आयोजन हुआ था। इसमें पशु-पक्षियों, प्रश्नवाचक शब्दावली, सप्ताह के नाम सहित कई शब्दों के स्थानीय भाषा में बोलचाल वाले शब्दों के चार्ट बनाए गए थे। स्थानीय बोलियों व भाषाओं के आधार पर शब्दकोष तैयार कर उनके आधार पर पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा है।


नई शिक्षा नीति के तहत भाषायी आधार पर सर्वेक्षण पूरा कर लिया है। स्थानीय बोलियों व भाषाओं के आधार पर शब्दकोष तैयार कर उनके आधार पर नए सत्र से पाठ्यक्रम तैयार होना प्रस्तावित है।-सुरेन्द्र जैन, वरिष्ठ व्याख्याता

राजस्थान में 30 भाषाओं का सर्वे

भारतीय भाषा सर्वेक्षण के तहत राजस्थान में 30 भाषाओं को लेकर सर्वेक्षण किया गया है। इनमें हाड़ौती, मारवाड़ी, थली, सांसी, बंजारा, गवारिया, मोटवाड़ी, देवड़ावाटी, खेराड़ी, वागड़ी, शेखावटी, ढूंढाड़ी आदि शामिल है।





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