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गुरुवार, 16 जनवरी 2025

8वीं वेतन आयोग: डॉ. एक्रायड फॉर्मूले से न्यूनतम वेतन 18,000 से बढ़कर 40,000 होने की संभावना

8वीं वेतन आयोग: डॉ. एक्रायड फॉर्मूले से न्यूनतम वेतन 18,000 से बढ़कर 40,000 होने की संभावना


8वीं वेतन आयोग: डॉ. एक्रायड फॉर्मूले से न्यूनतम वेतन 18,000 से बढ़कर 40,000 होने की संभावना

केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा कर दी है। हालांकि अभी कर्मचारी संगठन इस संबंध में 'टर्म आफ रेफरेंस' का इंतजार कर रहे हैं। स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सदस्य और अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी.श्रीकुमार का कहना है, सरकार को इस बार बड़ा दिल दिखाना होगा। अभी 53 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता 'डीए' मिल रहा है। आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें एक जनवरी 2026 से लागू होंगी। मतलब, अगले वर्ष से वेतनमान रिवाइज होंगे। तब तक संभव है कि डीए की दर 60 प्रतिशत या उससे अधिक हो जाए। अभी तक सरकार 'डॉ. एक्राय्ड' फॉर्मूले के आधार पर वेतनमान रिवाइज करती रही है। श्रीकुमार के मुताबिक, सरकार को अब इस फार्मूले से आगे बढ़ना होगा। आर्थिक परिस्थितियां लगातार बदल रही हैं। अगर आठवां वेतन आयोग 'डॉ. एक्राय्ड' फॉर्मूले से आगे बढ़कर अपनी सिफारिशें देता है तो देश में न्यूनतम वेतनमान 18,000 रुपये से बढ़कर 40000 रुपये हो सकता है।   


बता दें कि सातवें वेतन आयोग ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनरों का वेतन बढ़ाने के लिए डॉ. एक्राय्ड फॉर्मूले का इस्तेमाल किया था। इस फॉर्मूले के अनुसार, सरकारी क्षेत्र की नौकरियों में न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये प्रति माह तय करने की सिफारिश की गई। सातवें वेतन आयोग का नेतृत्व करने वाले न्यायमूर्ति एके माथुर ने कहा था, सरकार को वैल्यू इंडेक्स के आधार पर मौजूद आंकड़ों के आधार पर हर साल केंद्रीय कर्मचारियों के वेतनमान की समीक्षा करनी चाहिए। वेतन मैट्रिक्स की समीक्षा के लिए दस साल की लंबी अवधि का इंतजार करने की जरुरत नहीं है। बतौर श्रीकुमार, मौजूदा समय में बेसिक न्यूनतम वेतनमान 18,000 रुपये प्रतिमाह है। आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद मूल वेतनमान बढ़कर 40 हजार से 42 हजार रुपये हो सकता है। सरकार को इस आंकड़े की तरफ गंभीरता से सोचना चाहिए। आज देश में सब कुछ प्राइवेट हो रहा है। 


स्कूल और अस्पताल, ये सब निजी हाथों में जा रहे हैं। सरकारी कर्मचारी, इनकी फीस वहन करने में सक्षम नहीं है। परिवहन और बिजली व्यवस्था भी प्राइवेट हाथों में जाने की तरफ अग्रसर है। इन स्थितियों में डॉ. एक्राय्ड फॉर्मूले के तहत आठवां वेतन आयोग, वेतनमान रिवाइज करने की सिफारिश देता है तो कैसे काम चलेगा। कर्मचारी संगठनों, आर्थिक विशेषज्ञों एवं दूसरे राष्ट्रों का अध्ययन, इन सबके साथ ही वेतन आयोग द्वारा, डॉ. एक्राय्ड फॉर्मूले की टेबल को भी ध्यान में रखा जाता है। 


कर्मचारी नेता के बताया, अब वो समय नहीं है, जब इंसान की जरुरत 'रोटी, कपड़ा और मकान' तक सीमित थी। वर्तमान समय में इससे काम नहीं चलेगा। डॉ. एक्राय्ड फॉर्मूले में तो परिवार की महिला को एक फुल यूनिट के तौर पर नहीं गिना जाता है, जबकि वह महिला सबसे अधिक काम करती है। ऐसे में क्या उसे 75 प्रतिशत यूनिट के हिसाब से भोजना और कपड़ा दिया जाए। ये गणना बिल्कुल गलत है। आठवें वेतन आयोग में महिला को फुल यूनिट मानना होगा। उक्त फार्मूले में तो बच्चों को तो छोटा ही माना जाता है। श्रीकुमार ने कहा, यहां पर सवाल खड़ा होता है कि क्या बच्चे, हमेशा बच्चे ही रहते हैं। क्या वे बड़े नहीं होते। क्या उनकी जरुरतें नहीं बढ़ती। आठवें वेतन आयोग में बच्चों को बड़ा मानना होगा। तभी सही मायने में जरुरतों के मुताबिक वेतनमान रिवाइज हो सकेगा।  

   

आज सब कुछ डिजिटल होता जा रहा है, मोबाइल में नेट भी तो है, वेतन आयोग को अपनी सिफारिशों में इस खर्च की गणना भी करनी चाहिए। यह खर्च भी तो बढ़ रहा है। पांचवें वेतन आयोग ने पुरानी पेंशन को ध्यान में रखकर निर्णय दिया, लेकिन 2004 में एनपीएस लागू हो गया। वेतन आयोग ने अपनी सिफारिशों में यह गणना तो नहीं की थी कि सरकारी कर्मचारी को अपने वेतन का दस फीसदी सरकार में जमा कराना है। इससे तो कर्मचारी को नुकसान हुआ। बीस साल से वह आर्थिक नुकसान जारी है।

 

वेतन संरचना में मुद्रास्फीति के परिणामस्वरूप परिलब्धियों के वास्तविक मूल्य में किसी भी महत्वपूर्ण गिरावट को संबोधित करने की आवश्यकता होनी चाहिए। व्यक्ति को उसकी योग्यता का उचित एवं पर्याप्त मुआवजा मिलना चाहिए। वेतन संरचना में वृद्धि बाजार की ताकतों के साथ तालमेल नहीं बिठा सकती, साथ ही यह इतनी अनाकर्षक भी नहीं होनी चाहिए कि प्रतिभा सरकारी सेवा की ओर आकर्षित न हो। सरकारी सेवा कोई अनुबंध नहीं है। यह एक स्थिति है। कर्मचारियों को केंद्र सरकार से उचित व्यवहार की उम्मीद है। राज्यों को सेवाओं के लिए एक रोल मॉडल की भूमिका निभानी चाहिए। इससे कर्मचारी उत्साह के साथ कार्य करते हैं। 


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