सरकारी आंकड़ों से हुआ खुलासा, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में खाली पड़े हैं 41 हजार से ज्यादा पद
सरकारी बैंकों में सिर्फ पांच फीसदी पद खाली
लोकसभा में यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार इस तथ्य से अवगत है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कर्मचारियों की भारी कमी है, जिसके कारण वे अपने कर्तव्यों का ठीक से पालन नहीं कर पा रहे हैं, मंत्री ने नहीं में उत्तर दिया। इसके जवाब में केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से प्राप्त इनपुट का हवाला देते हुए कहा कि इस साल 01 दिसंबर को, स्वीकृत कर्मचारियों की संख्या के मुकाबले 95 प्रतिशत कर्मचारी कार्यरत स्थिति में हैं। यानी की सिर्फ पांच फीसदी पद खाली हैं।
एसबीआई में सर्वाधिक 8,544 पद रिक्त हैं
उन्होंने कहा कि यह कहते हुए कि रिक्तियों का छोटा अनुपात सामान्य कारक सेवानिवृत्ति और अन्य कारणों के कारण काफी हद तक जिम्मेदार है। सीतारमण ने लिखित जवाब में बताया कि 1 दिसंबर, 2021 तक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 8,05,986 स्वीकृत पद हैं और इनमें से महज 41,177 रिक्त पद हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह पद तीन श्रेणियों अधिकारी, क्लर्क और उप-कर्मचारी में फैले हुए हैं। देश में सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंक हैं। एसबीआई में जहां 8,544 रिक्त पद थे, वहीं पंजाब नेशनल बैंक के लिए यह संख्या 6,743 थी। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 6,295 रिक्त पद थे, इसके बाद इंडियन ओवरसीज बैंक में 5,112 और बैंक ऑफ इंडिया में 4,848 पद थे। एसबीआई में अधिकारियों के लिए 3,423 और क्लर्क स्तर पर 5,121 रिक्त पद थे।
ऐसे समझें कहां-कितने पद खाली
- एसबीआई 8,544
- पीएनबी 6,743
- सीबीआई 6,295
- आईओबी 5,112
- बीओआई 4,848
छह साल में एक भी पद खत्म नहीं किया, आवश्यकतानुसार बैंकों ने की भर्तियां : वित्त मंत्री
सीतारमण ने यह भी कहा कि 2016 में पंजाब एंड सिंध बैंक में एक पद को छोड़कर, पीएसबी में पिछले छह वर्षों के दौरान किसी भी पद / रिक्ति को समाप्त नहीं किया गया है। बैंक अपनी आवश्यकता के अनुसार रिक्तियों को भरने के लिए कर्मचारियों की भर्ती करते हैं। आंकड़ों के अनुसार अन्य पीएसबी बैंकों में बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, केनरा बैंक, इंडियन बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, यूको बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया हैं।
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