8th Pay Commission: 8वें वेतन आयोग पर सरकार का बड़ा बयान, DA मर्जर रुका पर उम्मीदें अभी बाकी
केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के बीच 8वें वेतन आयोग को लेकर कई महीनों से चल रही उम्मीदों को 1 दिसंबर 2025 को बड़ा झटका लगा, जब सरकार ने लोकसभा में बेहद स्पष्ट भाषा में बता दिया कि फिलहाल महंगाई भत्ता (DA) या महंगाई राहत (DR) को मूल वेतन में जोड़ने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सांसद आनंद भदौरिया के सवालों का लिखित जवाब देते हुए कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव लंबित नहीं है, जबकि कर्मचारी संगठनों ने पिछले कई वर्षों से यह मांग उठाई है कि कम से कम 50 प्रतिशत DA को मूल वेतन में मर्ज किया जाए, क्योंकि पिछले तीन दशकों में खुदरा महंगाई इतनी तेजी से बढ़ी है कि मौजूदा DA/DR वास्तविक महंगाई की क्षति की भरपाई नहीं कर पा रहा।
यह जवाब खास तौर पर इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि पिछले कुछ महीनों से सोशल मीडिया, कर्मचारियों के मंचों और संघों के बीच यह चर्चा तेज थी कि सरकार संभवतः 8वें वेतन आयोग से पहले ही बड़ी राहत दे सकती है। कई अफवाहों में यहां तक कहा गया कि 55 से 58 प्रतिशत के आसपास पहुंच चुके DA को सीधे मूल वेतन में जोड़कर नई संरचना लागू कर दी जाएगी, जिससे वेतन और पेंशन दोनों में एकमुश्त भारी बढ़ोतरी हो सकती है। लेकिन दिसंबर की शुरुआत में आया सरकारी बयान सभी अटकलों पर विराम लगा गया।
हालांकि, विशेषज्ञ इसे कर्मचारियों के लिए बड़ा झटका नहीं मानते, बल्कि इसे “वास्तविक स्थिति को साफ रखने” वाला कदम बताते हैं। वित्तीय मामलों के जानकार और वेतन-संरचना विशेषज्ञ रोहिताश्व सिन्हा का कहना है कि सरकार सिर्फ कर्मचारियों की अपेक्षाओं से नहीं, बल्कि देश के आर्थिक संतुलन से भी संचालित होती है। वे कहते हैं कि चुनावी वर्ष में सरकारी व्यय पर कड़ा नियंत्रण रखा जाता है और यदि इतने भारी पैमाने पर DA-मर्जर कर दिया जाए, तो यह वित्तीय अनुशासन पर सीधा दबाव डाल सकता है। इसी वजह से सरकार ने अभी के लिए DA-मर्जर को पूरी तरह नकार दिया है।
लेकिन इसी बातचीत के बीच आगे का रास्ता खुला हुआ दिखता है। विशेषज्ञों के मुताबिक 8वें वेतन आयोग की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और आयोग बनने के तुरंत बाद वेतन-ढांचे के पुनर्गठन पर काम तेज हो जाएगा। इस बार जिस तत्व पर सबसे अधिक नज़र है, वह है “फिटमेंट फैक्टर” वही गुणांक जिसके आधार पर नया मूल वेतन तय होता है। 7वें वेतन आयोग में fitment factor 2.57 रखा गया था। यदि 8वें आयोग में इसे बढ़ाकर 3.0 जैसा किया जाता है, तो शुरुआती स्तर का मूल वेतन 15–20 प्रतिशत तक बढ़ सकता है और इसके साथ HRA, TA जैसे भत्तों में भी स्वतः बढ़ोतरी दर्ज होगी, क्योंकि सभी की गणना मूल वेतन पर निर्भर होती है। इसी अनुपात में पेंशन भी बढ़ेगी, क्योंकि पेंशन हमेशा संशोधित बेसिक पे का 50 प्रतिशत होती है।
इधर, 7वें वेतन आयोग की अवधि 31 दिसंबर 2025 को समाप्त होने जा रही है। कर्मचारियों में चिंता यह भी थी कि क्या जब तक 8वां वेतन आयोग लागू नहीं होता, तब तक DA/DR बढ़ोतरी रोक दी जाएगी? लेकिन सरकार ने इस पर भी साफ संकेत दिए हैं कि DA और DR की गणना हर छह महीने में जारी रहेगी। यह संशोधन श्रम ब्यूरो द्वारा जारी AICPI-IW (औद्योगिक श्रमिकों के अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) के आधार पर ही होगा, जो लगातार महंगाई के दबाव को मापता है। यानी जनवरी 2026 और जुलाई 2026 की नियमित DA बढ़ोतरी तय समय पर लागू होती रहेगी।
कुल मिलाकर, कर्मचारियों की तत्काल राहत की उम्मीद भले टूट गई हो, लेकिन 8वां वेतन आयोग उनके लिए बड़ा सहारा बन सकता है। DA-मर्जर भले न हो पाए, लेकिन fitment factor में बढ़ोतरी नए वेतन ढांचे में भारी असर छोड़ेगी। ऐसे संकेत भी मिल रहे हैं कि आयोग अपनी रिपोर्ट 12 से 18 महीनों में सौंप देगा और उसके बाद केंद्र सरकार कर्मचारियों के वेतन-पेंशन ढांचे में बड़ा बदलाव लागू कर सकती है। फिलहाल कर्मचारियों की नज़रें सरकार के अगले औपचारिक संकेत का इंतजार कर रही हैं क्योंकि असली राहत अब 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों में ही छिपी है।
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