कामकाज के लिए-बीटेक डिग्री धारकों का आईटीआई अनुदेशक भर्ती से बाहर करने की साजिश का आरोप
बीटेक डिग्रीधारी बेरोजगार इंजीनियरों के संगठन ग्रेज्यूएट इंजीनियरिंग स्टूडेण्ट वेलफेयर एसोसियेशन ने आईटीआई अनुदेशकों के पदों पर भर्ती में बीटेक अभ्यर्थियों को बाहर करने की साज़िश का आरोप लगाया है।संगठन के अध्यक्ष दीपक सिंह ने बयान में कहा है कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आईटीआई अनुदेशकों के 2504 पदों पर भर्ती निकाली गई है।
जिसमें 50 प्रतिशत पदों पर आईटीआई छात्र और 50 प्रतिशत बी-टेक एवं डिप्लोमा छात्रों के लिए आरक्षित किया गया है। साथ ही सरकार ने सभी के लिए सीआईटीएस पाठ्यक्रम की अनिवार्यता रखी है जिससे बीटेक एवं डिप्लोमा छात्र चयन प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे क्योंकि डिप्लोमा/बीटेक अभ्यर्थी सीआईटीएस का कोर्स नहीं करते हैं।
आईटीआई अनुदेशकों की शैक्षिक अर्हता का निर्धारण केन्द्र सरकार के कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के अधीन प्रशिक्षण महानिदेशालय द्वारा किया जाता है जिसने बीटेक/डिप्लोमा छात्रों को सीआईटीएस से छूट देते हुए तीन महीने की ट्रेनिंग का प्रवधान किया है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पिछले 2 भर्तियों 2014 और 2016 में बीटेक अभ्यर्थियों को सीआईटीएस से छूट दी गई थी।
उन्होंने कहा कि पहले जूनियर इंजीनियर के पदों से बीटेक अभ्यर्थियों को बाहर किया गया। अब आईटीआई अनुदेशकों के पदों पर सीआईटीएस अनिवार्य कर बीटेक अभ्यर्थियों को बाहर करने की साज़िश की जा रही। जिससे लाखों बीटेक/डिप्लोमा छात्र चयन प्रक्रिया में भाग लेने से वंचित रह जाएंगे।बीटेक अभ्यर्थियों ने यह मांग की है कि केन्द्र सरकार की गाइडलाइंस का पालन करते हुए उन्हें सीआईटीएस से छूट दी जाए। गाइडलाइंस के अनुसार ट्रेनिंग की व्यवस्था की जाए। अन्यथा अभ्यर्थी कोर्ट का रुख करेंगे।
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