एसीआर के अभाव में अटके 15 हजार एसीपी प्रकरण
बीकानेर . शिक्षा विभाग में करीब 15 हजार शिक्षकों तथा कार्मिकों के एसीपी प्रकरण इस वजह से बकाया हो गए हैं, क्योंकि इन शिक्षकों तथा कार्मिकों की पिछले साल की एसीआर विभाग में उपलब्ध नहीं है। हालांकि शिक्षा विभाग में एसीपी के लिए ऑनलाइन आवेदन करने तथा फर्स्ट कम फर्स्ट आउट का नियम लागू है, लेकिन एसीआर नहीं होने से ऐसे प्रकरणों में ऑब्जेक्शन लगाए जा रहे हैं, जिससे फर्स्ट कम फर्स्ट आउट का नियम पूरी तरह सफल नहीं हो पा रहा है। एसीआर के अभाव में मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से लेकर निदेशालय तक 14 हजार 963 प्रकरण बकाया चल रहे हैं।
यह है मामला : पुराने बकाया एसीपी और एमएसीपी 15 दिन में तथा नए आने वाले को 7 दिन में निपटाना होता है। विभाग में सभी को 9, 18, 27 वर्ष पर अगले पद का वेतनमान एसीपी तथा एमएसीपी के रूप में मिलने लगा है। इसके लिए कार्मिकों-शिक्षकों को ऑनलाइन आवेदन करना होता है। स्वीकृति नियुक्ति अधिकारी करता है। इसलिए शिक्षकों के स्तर के अनुसार ऑनलाइन आवेदन स्कूल से मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, वहां से जिला शिक्षा अधिकारी, फिर संयुक्त निदेशक और फिर निदेशालय पहुंचता है। विभाग में फर्स्ट इन फर्स्ट आउट का ऑप्शन लागू है, इसलिए पहले ऑनलाइन आवेदन करने वाले की स्वीकृति पहले जारी होती है। फिर भी राज्य में हजारों शिक्षकों के ऐसे वित्तीय लाभ लंबित चल रहे हैं।
सूची के अनुसार इतने प्रकरण लंबित : हाल ही में वित्तीय सलाहकार (माध्यमिक शिक्षा) ने सभी संबंधित अधिकारियों को एक सूची जारी कर लंबित चल रहे एसीपी तथा एमएसीपी को 15 दिनों में नियमानुसार स्वीकृत करने तथा उनके बाद आने वालों को भी 7 दिनों में निस्तारित करने के निर्देश दिए हैं। निर्देश में संलग्न सूची के अनुसार पूरे राज्य के स्कूल स्तर पर 3 हजार 792, सीबीईओ कार्यालय स्तर पर 1 हजार 338, डीईओ स्तर पर 2 हजार 527, संयुक्त निदेशक कार्यालय स्तर पर 3,857 तथा निदेशालय स्तर पर 3 हजार 449 एसीपी या एमएसीपी प्रकरण लंबित चल रहे हैं।
एसीपी स्वीकृति में कार्मिक की नियमित वार्षिक वेतन वृद्धियां स्वीकृत होने, नियंत्रण अधिकारी द्वारा संतोषजनक सेवा का प्रमाण पत्र जारी होने, विभागीय जांच नहीं होने के साथ पिछले 2 साल की एसीआर होने पर एसीपी स्वीकृति का प्रावधान है। लेकिन अधिकांश शिक्षकों की विभागीय जांच, सेवा संतोष तथा नियमित वेतन वृद्धियां स्वीकृत होने पर भी केवल एसीआर नहीं होने के कारण प्रकरण रोक दिए जाते है। शिक्षक संगठनों ने ऐसे मामलों का शीघ्र निपटारा कराने की मांग की है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें