
अब फिर स्कूलों में मिल्क पाउडर की जगह गाय का दूध देने की तैयारी
बीकानेर मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना में पहली से आठवीं तक के बच्चों को दिए जाने वाले पाउडर दूध की जगह गाय का दूध देने की तैयारियां की जाने लगी हैं। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के स्कूलों में दिए जाने वाले पाउडर दूध की जगह अच्छी व्यवस्था लागू करने की घोषणा करने के बाद शिक्षा निदेशालय से लेकर आयुक्तालय मिड डे मील तथा राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद तक हरकत में आ गया है। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने तो राज्य सरकार के उप शासन सचिव ग्रुप 5 के पत्र (22 फरवरी 24) के क्रम में स्कूल शिक्षा परिषद के राज्य परियोजना निदेशक एवं आयुक्त को इस बारे में पत्र भी लिखा है। इसमें सरकारी स्कूलों में पाउडर वाले दूध के स्थान पर गौ माता का प्राकृतिक ताजा दूध उपलब्ध कराने के राज्य सरकार के निर्देशों का जिक्र किया गया है। इसके साथ ही स्कूलों में साफ-सुथरे शौचालयों व जल की पर्याप्त व्यवस्था तथा बच्चों के बस्ते के बढ़ते बोझ को कम करने के बारे में भी परिषद को लिखा गया है।
इसलिए जरूरत पड़ी ताजा दूध आपूर्ति की
दरअसल वर्तमान में सरकारी स्कूलों में आठवीं तक के बच्चों को पाउडर से दूध बनाकर दिया जा रहा है। ग्रामीण बच्चे पाउडर का दूध पीना नहीं चाहते, क्योंकि ग्रामीण परिवेश में बच्चे गाय का ताजा दूध पीने के अभ्यस्त हैं। पहले गांव के बच्चों को वहीं के गौपालक से दूध लेकर तथा शहरी स्कूलों के बच्चों को डेयरी का दूध दिया जाता था, लेकिन कोरोनाकाल में दूध वितरण योजना ठप हो गई। कोरोना के बाद जब इसे पुन: मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना के नाम से शुरू किया गया, तो पाउडर के दूध की सप्लाई देनी शुरू कर दी गई।
पहले भी पिलाया जाता था गाय का दूध
प्रदेश में वसुंधरा राजे सरकार के दौरान 2 जुलाई 2018 को बच्चों के पोषण स्तर को सुधारने के लिए अन्नपूर्णा दूध योजना शुरू की गई थी। इस दौरान स्कूलों में गाय का ताजा दूध पिलाने की योजना शुरू की गई थी। बाद में सरकार चले जाने के बाद एक बार इस योजना को बंद कर दिया गया था। जब कांग्रेस सरकार ने इसे वापस शुरू किया, तो पाउडर का दूध सप्ताह में दो दिन पिलाया जाने लगा।
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