बेसिक के शिक्षकों के लिए सिरदर्द बना डीबीटी कार्य
बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को शासन की ओर से कई योजनाओं का लाभ दिया जाता है। लेकिन कमीशनखोरी के कारण शत प्रतिशत लाभ योजनाओं का विद्यार्थियों को नहीं मिल पाता। अब कमीशनखोरी को खत्म करने तथा योजनाओं का लाभ सीधे विद्यार्थियों को मिल सके। इसके लिए प्रयास सरकार द्वारा कराए जा रहे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग के द्वारा डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) एप पर बच्चों का ब्योरा पूर्ण करने पर जोर दे रहा है। जबकि तकनीकी परेशानी व खातों की निष्क्रियता विभाग के लिए परेशानी का सबब बनी हुई हैं।
शासन स्तर से भी यह फैसला हो चुका है कि यह धनराशि केवल उन्हीं खातों में भेजी जाएगी, जिनमें पिछले दो महीने में लेनदेन हुआ हो। निष्क्रिय खातों में धनराशि नहीं भेजी जाएगी। जनपद में करीब सवा लाख विद्यार्थियों के अभिभावकों के खाते डीबीटी एप से जुड़ने हैं। विद्यार्थियों के अभिभावकों के खाते में डीबीटी के जरिए स्कूल बैग, यूनीफार्म व जूता-मोजा के लिए ग्यारह सौ रुपये प्रति छात्र धनराशि स्थानांतरित की जानी है। अभिभावकों के खातों का सत्यापन कराने का काम भी शिक्षकों के अलावा संबंधित बैंक को देना है।
जिले के करीब 66 हजार बच्चों के अभिभावकों के खातों का डाटा विभाग के द्वारा शासन को भेजा जा चुका है। करीब इतने ही विद्यार्थियों का डाटा अभी फीड होना शेष रह गया है। ऐसे में समय से विद्यार्थियों के खातों में योजनाओं की धनराशि का आना मुश्किल है। वहीं पिछले छह माह से क्रियाशील न होने वाले खातों से भी दिक्कतें बढ़ जाएंगी। जिसके कारण इनके खातों में धनराशि स्थानांतरित करना संभव नहीं है।
पोटर्ल पर फीडिंग का कार्य शीघ्र होगा : पजिला समन्वयक अनंतमोहन का कहना है कि जिन अभिभावकों के खाते निष्क्रिय हैं शिक्षक उनसे संपर्क कर खाता सक्रिय कराने के लिए प्रयासरत हैं। जिनके आधार का सही ब्योरा अभी तक उपलब्ध नहीं हो सका है उसके लिए भी निर्देशित कर दिया गया है। जल्द ही पोर्टल पर फीडिंग का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा।
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