Breaking

Primary Ka Master Latest Updates | Education News | Employment News latter 👇

मंगलवार, 10 मई 2022

न्यायमूर्ति ने कहा : प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक के पाठ्यक्रम में शामिल किए जाएं महाराणा प्रताप



 न्यायमूर्ति ने कहा : प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक के पाठ्यक्रम में शामिल किए जाएं महाराणा प्रताप

महाराणा प्रताप धार्मिक एवं सामाजिक समरसता के प्रतिमूर्ति थे। उनके जीवन दर्शन से विश्व समुदाय को धार्मिक सहिष्णुता एवं जातीय बंधुता की प्रेरणा लेनी चाहिए। महाराणा प्रताप जैसे राष्ट्र नायक की जीवन हर किसी के लिए प्रेरणास्रोत है। सोमवार को आजादी के अमृत महोत्सव के तहत हिंदुस्तानी एकेडेमी के गांधी सभागार में महाराणा प्रताप की जयंती पर आयोजित धार्मिक एवं सामाजिक समरसता में लोकनायक महाराणा प्रताप का योगदान विषयक परिचर्चा में बतौर मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान ने कही। यह परिचर्चा हिंदुस्तानी एकेडेमी और दलित साहित्य एकेडमी की जिला इकाई के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित थी।

न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने महाराणा प्रताप के सेनापति हकीम खान, वीर योद्धा राणा पूंजा, भामाशाह के शौर्य पर भी रोशनी डाली। हिंदुस्तानी एकेडमी के अध्यक्ष डॉ. उदय प्रताप सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप का संपूर्ण जीवन एवं संघर्ष विश्व इतिहास में विशिष्ट महत्व रखता है। महाराणा प्रताप का जीवन विश्व समुदाय के लिए प्रेरणादायक है। उनके आदर्शों से सीख लेनी चाहिए। दलित साहित्य अकादमी की जिला इकाई के अध्यक्ष डॉ. इंदु प्रकाश सिंह ने महाराणा प्रताप के शौर्य को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने पर जोर दिया।

महाराणा प्रताप और हकीम खां के संबंधों को जन-जन तक पहुंचाने पर जोर

उनका कहना था कि इतिहास के पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप का जीवन एवं संघर्ष प्राथमिक शिक्षा से उच्च शिक्षा तक के पाठ्यक्रम में अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाना चाहिए। उनका कहना था कि अगर हम युवा पीढ़ी के हृदय में धार्मिक एवं जातीय भाईचारे का बीज बोना चाहते हैं और धार्मिक एवं जातिगत द्वेष कम करना चाहते हैं तो महाराणा प्रताप के जीवन आदर्श को प्राथमिक शिक्षा में शामिल करना होगा।

साथ ही उच्च शिक्षा के क्षेत्र में और अधिक शोध एवं लेखन को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए महाराणा प्रताप और हकीम खान सूर के संबंधों से जन-जन को परिचित कराने पर जोर दिया। बतौर विशिष्ट अतिथि इतिहास के प्रोफेसर डॉ. धीरेंद्र कुमार ने महाराणा प्रताप के जीवन एवं संघर्ष की व्याख्या की। धीरेंद्र ने बताया कि मेवाड़ के राज चिह्न में जहां एक ओर क्षत्रिय प्रतीक को स्थान मिला है, वहीं दूसरी तरफ भील जनजातियों के प्रतीक चिह्न को भी स्थान दिया गया है।

इस दौरान धार्मिक, सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए समाज में उल्लेखनीय योगदान देने वाले लोगों को सम्मानित भी किया गया। इनमें प्रमुख रूप से राजकुमार सिंह चौहान, अरविंद कुमार सिंह, डॉ. समरजीत सुमन शामिल थे। इससे पहले संगोष्ठी का शुभारंभ न्यायमूर्ति मंजू रानी ने मां सरस्वती और महाराणा प्रताप के चित्रों पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन कर किया। अतिथियों को अंगवस्त्र और प्रतीक चिह्न के तौर पर महाराणा प्रताप की प्रतिमा भेंट की गई।


शिक्षा समाचार से अपडेट रहने के लिए ज्वाइन करें हमारा टेलीग्राम चैनल

Join FREE Telegram Channel

वॉट्सएप ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें

Join GovJobsUP WhatsApp Group

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें