इलाहाबाद विश्वविद्यालय : अब विदेशी भाषाएं भी पढ़ सकेंगे छात्र
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में जल्द ही विभिन्न भाषाओं की भी पढ़ाई शुरू होगी। इसमें अंग्रेजी के अलावा फ्रेंच, रूसी, जर्मन, मंदारिन, मध्य ईरानी और तिब्बती की पढ़ाई होगी। इसके लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय में लैंग्वेज लैब (भाषा प्रयोगशाला) की स्थापना जल्द की जाएगी।
पीआरओ डॉ. जया कपूर ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत विभिन्न भारतीय और विदेशी भाषाओं में दक्षता पाठ्यक्रमों को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति में छात्रों को कई भारतीय और अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में कुशल बनाने पर जोर दिया गया है। इसका मकसद छात्रों में सर्वांगीण कौशल विकास करना है। पूर्व में भारतीय और विदेशी भाषाओं के कई पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम का हिस्सा थे। इनमें अंग्रेजी विभाग में फ्रेंच, रूसी और जर्मन में डिप्लोमा, संस्कृत विभाग में मंदारिन, पहलवी (मध्य ईरानी) और तिब्बती, हिंदी विभाग में बांग्ला, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और मराठी के कोर्स शामिल थे।
विभिन्न भाषाओं में दक्षता पाठ्यक्रमों को शुरू करने का निर्णय
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पीआरओ डॉ. जया कपूर ने कहा, "लैंग्वेज लैब के विकास पर कुलपति द्वारा विशेष बल दिया जा रहा है और इस दिशा में कार्य प्रगति पर है। विभिन्न भाषाओं के शिक्षकों की नियुक्तियों के साथ अब इस प्रक्रिया ने गति पकड़ ली है। नए सत्र में हम विभिन्न भाषाओं की लैब ट्रेनिंग भी देंगे।"
प्रो. रामसेवक दुबे हैं संयोजक
भाषा विभागों के प्रमुखों और इनमें से प्रत्येक विभाग के कुछ और संकाय सदस्यों के साथ एक समिति का गठन किया गया है। इसके संयोजक संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो. राम सेवक दुबे हैं।
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